रोज़ाना : दिलीप साहब की जीवन डोर हैं सायरा बानो
रोज़ाना
दिलीप साहब की जीवन डोर हैं सायरा बानो
-अजय ब्रह्मात्मज
कल सायरा बानो का जन्मदिन था। हिंदी फिल्मों की यह
मशहूर अदाकारा शादी के बाद धीरे-धीरे दिलीप कुमार के आसपास सिमट कर रह गईं। बीमार
और अल्जाइमर के शिकार दिलीप कुमार के साए की तरह उनके साथ हर जगह मौजूद सायरा
बानों को देख कर तसल्ली होती है। तसल्ली होती है कि कुछ संबंध वक्त के साथ और
मजबूत होते हैं।
11 अक्टूबर 1966 को दोनों की शादी हुई। तब सायरा बानो
की उम्र महज 22 थी और दिलीप कुमार 44 के थे। अटकलें लगाने के लिए कुख्यात फिल्म
इंडस्ट्री में कहा जाता रहा कि यह बेमेल शादी लंबे समय तक नहीं चलेगी। आज हम देख
रहे हैं कि शादी के 50 सालों के बाद भी दोनों न केवल एक साथ हैं,बल्कि एक-दूसरे से
बेपनाह मोहब्बत करते हैं। पिछले कुछ समय से दिलीप कुमार पूरी तरह से सायरा बानो
पर निर्भर हैं,लेकिन कभी सायरा बानो के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखाई देती। वह
अपने ‘कोहिनूर’ के साथ दमकती और मुस्कराती रहती हैं। जी हां,सायरा बानो
दिलीप कुमार को अपनी जिंदगी का कोहिनूर मानती हैं।
यों लगता है कि सायरा बानो की हथेली में रिमोट की तरह
बटन लगे हुए हैं। सार्वजनिक स्थानों पर दिलीप साहब का बाएं हाथ की हथेली वह अपनी
हथेली में थामे रहती हैं। जैसे ही कोई सामने आता है या कोई और बात होती है तो
हथेलियां जुंबिश करती हैं। बगैर कुछ कहे ही दिलीप साहब सब समझ लेते हैं और फिर
जरूरत के अनुसार मुस्कराते और बोलते हैं। सायरा बानो की हथेली दिलीप साहब को सब
कुछ बता देती है। जरूरत पड़ने पर वह उनके कानों में कुछ फुसफुसाती हैं और दिलीप
साहब की आंखों में चमक के साथ होठों पर मुस्कान तैर जाती है। इधर तबियत बिगड़ने
से दिलीप साहब को बार-बार अस्पताल जाना पड़ा है। सायरा हमेशा उनके साथ रहीं।
दिलीप साहब की देखभाल के साथ उन्होंने उनके प्रशंसकों का भी बराबर खयाल रख। अस्पताल
से उनकी तबियत में हो रहे सुधार की लगातार जानकारी देती रहीं। पिछले दिनों शाह रुख
खान ने दिलीप साहब से मुलाकात की तो उन्होंने ही तस्वीरें शेयर कीं।
सायरा बानो की जिंदगी दिलीप साहब के आसपास और उनकी सोच
में ही गुजरी है। 12 साल की उम्र से उनकी दीवानी सायरा बानो आखिरकार दिलीप साहब की
जिंदगी में आईं। समर्पित बीवी की भूमिका में आने से पहले उन्होंने अभिनय की ल्रबी
सफल पारी खेली। दिलीप कुमार के साथ भी कुछ यादगार फिल्में कीं। अब तो उन्हें
फिल्मों से संन्यास लिए भी चालीस से अधिक साल हो गए।
Comments
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'