कोएक्टर से प्रतिस्पर्धा नहीं करता-दीपक डोबरियाल
कोएक्टर से प्रतिस्पर्धा नहीं करता-दीपक डोबरियाल
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले दिनों आई ‘हिंदी मीडियम’ में उन्होंने श्याम प्रकाश की भूमिका से दर्शकों को रुला
कर उनका दिल जीता। दीपक डोबरियाल ने इसके पहले ‘तनु
वेड्स मनु’ की दोनों फिल्मों में दर्शकों कां
हंसने का मौका दिया था। रुलाने और हंसाने की इस काशिश में दीपक विभिन्न किरदारों
के साथ पर्दे पर आना चाहते हैं। उनकी दो फिल्में जल्द ही दर्शकों के बीच होंगी।
- कौन कौन सी फिल्में आ रही हैं आप की?
0 अक्षत वर्मा की ‘काला कांडी’ आएगी। उन्होंने इसके पहले ‘डेहली
बेली’ लिखी थी। वे अलग तरह से सोचते और
लिखते हैं। फिल्ममेकिंग भी उनकी अलग है। उसके पहले रंजीत तिवारी की ‘लखनऊ सेंट्रल’ आ जाएगी। इसके निर्माता
निखिल आडवाणी हैं। उसमें फरहान अख्तर मेन लीड में हैं। वह कैदियों के बैंड ग्रुप
पर है। एक और फिल्म की है ‘कुलदीप पटवाल’।
- ‘काला कांडी’ के बारे में अभी क्या बता सकेंगे?
0 ‘काला कांडी’ एक शहर की कहानी है।
उस शहर की एक रात की कहानी है। उसमें तीन कहानियां एक साथ आगे बढ़ती हैं।
बररिश की रात है। रोमांस,उन्माद और रियलाइजेशन की ये कहानियां एक-दूरे को काटती
और जुड़ती हैं। मैं और विजय राज एक कहानी के हिस्से हैं।
- ‘कुलदीप पटवाल’ क्या फिल्म है?
0 रेमी कोहली की फिल्म है यह। जल्दी ही यूके,कनाडा
और अमेरिका में रिलीज होगी1 वह पॉलिटिकल थ्रिलर है। गुलशन देवैया,राईमा सेन,परवीन
दबास और अनुराग अरोड़ा हैं। बाद में भारत में रिलीज होगी। पूरी फिल्म दिल्ली में
शूट की गई है। कुलदीप पटवाल सीएम के मर्डर चार्ज में फंसा आम आदमी है। पॉलिटिक्स
कैसे आम आदमी की जिंदगी तबाह कर देती है। यही फिल्म है।
- ‘लखनऊ सेंट्रल’ में आप क्या कर रहे हैं?
0 मैं बंगाली किरदार विक्टर चट्टोपाध्याय के किरदार
में हूं1 वह किसी क्राइम में जेल आ गया है। वह हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं है। उससे
अपराध हो गया है। अब वह जेल में है। यह किरदारों की फिल्म है। इसमें
इनामुलहक,राजेश शर्मा और फरहान अख्तर भी हैं। सभी के लगभग बराबर सीन हैं। हालांकि
रंजीत तिवारी की यह पहली फिल्म है,लेकिन उन्होंने किसी अनुभवी डायरेक्टर की तरह
सभी से काम लिया।
- ‘हिंदी मीडियम’ में आप की बहुत तारीफ हुई है। क्या ऐसी तारीफ की उम्मीद थी?
0 ऐसी तारीफ के बारे में नहीं सोचा था। ‘तनु वेड्स मनू’ पीछे रह गई। मेरे लिए खुशी
की बात है। अप्रत्याशित है। यह तारीफ इरफान भाई के साथ काम करने की वजह से हुई।
लोग कहते हैं कि उनके सामने एक्टर खड़े नहीं हो पाते हैं। लोगों ने मुझ से पूछा
कि आप कैसे इतने सहज रहे? मैं यही कहता हूं कि इसमें
उन्हीं का योगदान है। उन्होंने मुझे सहज रखा। उनकी वजह से रेंज ही बदल गई।
- एक्टर ही बताते हैं कि साथ के एक्टर से सहयोग मिले
तो सीन निखर जाते हैं...
0 बिल्कुल...सोचने की बात है कि इरफान भाई ने मुझे
इतना सपोर्ट क्यों किया? उन्हों देखा कि सीन बन रहा
है। निखर रहा है। उन्होंने कह दिया था कि दीपक जो भी इम्प्रूवाइज कर रहा है,उसे
करने दो। मुझे पंद्रह दिनों का अवकाश मिल रहा था,लेकिन मैं लौट कर नहीं आया। मैं
वहीं अपने किरदार में रहा। मैंने प्रोडक्शन हाउस से कह दिया था कि मैं अपने खर्चे
से रह लूंगा। उसकी नौबत नहीं आई। इरफान भाई ने मेरी शिद्दत देखी। उन्होंने पूरा
माहौल पॉजीटिव रखा। केमिस्ट्री नहीं बन पाती,तब एक्टर को सीन में अपनी प्रेजेंस
की लंबाई दिखने लगती है। इस फिल्म के दरम्यान हम ऐसे घुलमिल गए थे इन बातों का
खयाल ही नहीं आया। मैं खुद भी नहीं देखता। सैफ अली खान,आर माधवन और इरफान के साथ
यही विश्वास काम आया।
-यह भी तो होता है कि कोएक्टर हावी होने या सीन
चुराने की कोशिश करता है?
0 फिर तो सीन और कैरेक्टर टूट जाते हैं। ध्यान कहीं
और टिक जाता है। ऐसा करते समय आप कैरेक्टर छोड़ कर एक्टर से कंपीटिशन करने लगते
हैं। कैरेक्टर तो कहीं और रह गया। ऐसे में मजा नहीं आता। मैं कोएक्टर से प्रतिस्पर्धा नहीं करता।
-आगे की क्या योजनाएं है?
0 इन फिल्मों की रिलीज के बाद देखूंगा। अभी स्क्रिप्ट
पड़ रहा हूं। कुछ नया फायनल नहीं किया है।
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