रोज़ाना : देओल परिवार की दिक्कतें
रोज़ाना
देओल परिवार की दिक्कतें
-अजय ब्रह्मात्मज
देओल परिवार के धर्मेन्द्र और उनके बेटों सनी और बॉबी
देओल से दर्शक प्यार करते हैं। खास कर पंजाब और उत्तर भारत के दर्शक तो उन पर
मर-मिटने का तैयार रहते हैं। धर्मेन्द्र अपे समय के पॉपुलर और संवेदनशील स्आर
रहे। उनकी फिल्मों में गजब की वैरायटी मिलती है। हालांकि ढलती उम्र में उन्होंने
कुछ फालतू फिल्में की,लेकिन उनकी बेहतरीन फिल्मों की संख्या कम नहीं है। आज के
दर्शक भी उन्हें प्यार और आदर से याद करते हैं। उनकी बातें सुनना चाहते हैं।
णमेंन्द्र इन दिनों बातें करते हुए यादों में खो जाते हैं। शायद उन्हें बीते साल
किसी रील की तरह बातचीत करते समय दिखाई पड़ते हों। उनकी यादें ताजा है। उन यादों
में बसी भावनाओं में एक युवक के सपनों की गूंज आज भी बाकी है। लंबे करिअर और
कामयाबी के बावजूद धर्मेन्द्र सुना ही देते हैं...
नौकरी करता
सायकिल पर आता-जाता
फिल्मी पोस्टर में अपनी झलक देखता
अनहोने ख्वाब सजाता
और सुबह उठ कर आइने से पूछता
मैं दिलीप कुमार बन सकता हूं क्या?
धर्मेन्द्र के सारे ख्वाब पूरे हो गए,लेकिन कोई कसक
है। वह उनकी बातों और यादों में चुभती सुनाई पड़ती है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री
में जिन हस्तियों का सही मूल्यांकन नहीं हुआ और जिन्हें उनके योगदान की तुलना
में सम्मान नहीं मिला,उनमें से एक धर्मेन्द्र भी हैं।
धर्मेन्द्र के प्रति हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की
उदायीनता से उनके बड़े बेटे सनी देओल दुखी रहते हैं। उनकी बातचीत में भी यह तड़प
सुनाई पड़ती है। उन्हें लगता है कि उनके पिता के महत्व के मुताबिक समाज और सरकार
ने उन्हें प्रतिष्ठा नहीं दी। देओल परिवार की इस तकलीफ में सच्चाई है। देओल
परिवार के सदस्य दूसरे फिल्मी परिवारों की तरह चालू और होशियार नहीं हैं। उस
परिवार में कोई भी बहिर्मुखी स्वभाव का नहीं है। वे अपना पीआर भी ढंग से नहीं कर
पाते। यहां तक कि प्रचार के जरूरी ताम-झाम से भी दूर रहते हैं। उनकी बातचीत में
आत्म प्रचार के प्रति बेरुखी झलकती है। यही कारण है कि वे अपनी ख्याति को भी समय
की मांग के मुताबिक भुना नहीं पाते। उनकी एक छवि बन गई है कि वे मीडिया और प्रचार
से दूर रहते हैं।
चंद मुलाकातों और दूसरों से सुनी बातों से यही अंदाजा
लगता है कि देओल परिवार अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं है। आज सनी देओल को कम फिल्में
मिल रही हैं। बॉबी देओल के पास फिल्में ही नहीं हैं। धर्मेन्द्र चाहते हैं कि
उन्हें फिल्में मिलें,लेकिन उन्हें ध्यान में रख कर फिल्में नहीं लिखी जातीं।
देओल परिवार की वर्तमान स्थिति के लिए वे स्वयं भी जिम्मेदार हैं। सनी को उम्र
के हिसाब से खुद का बदलने और रीइन्वेंट करने की जरूरत है। साठ के करीब पहुंच चुके
सनी देओल को अब उनकी प्रचलित छवि के मुताबिक लीड रोल नहीं मिल सकते। वैसी फिल्मों
का दौर भी चला गया है।
देखें,देओल परिवार की अगली पीढ़ी के करण देओल के पर्दे
पर आने के बाद देओल परिवार की दिक्कतें कम होती हैं या नहीं? सनी देओल स्वयं ही उन्हें ‘पल पल
दिल के पास’ में निर्देशित कर रहे हैं।
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