रब के बनाए रिश्ते हैं राब्ता - दिनेश विजन
दिनेश विजन
-अजय ब्रह्मात्मज
दिनेश विजन पहले निर्माता बने और फिर उन्होंने
निर्देशक की कमान संभली। उनके निर्देशन सुशांत सिंह राजपूत और कृति सैनन अभिनीत ‘राब्ता’ अगले हफ्ते रिलीज होगी। दिनेश विजन ने इस बातचीत में
अपनी पसंद और यात्रा के बारे में बातें कीं।-क्या शुरू से ही निर्देशन में आने का
इरादा था?
0 मुझे तो यह भी मालूम नहीं था कि मैा फिल्में
बनाऊंगा। 20साल की उम्र में अपने बहनोई के साथ एक ऐड फिल्म के शूट पर गया था। तब यह
विचित्र दुनिया मुझे अच्छी लगी थी। वह आकर्षण तक ही रहा। मुझे बचपन से किस्से सुनाने
का शौक रहा है। मैंने अपने पिता से कहा भी था कि मुझे फिल्म और टीवी के लिए काम करना है। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आकर
बर्बाद हुए अनेक लोगों के बारे में सुन रखा था। उन्होने साफ शब्दों में कहा कि आप
एमबीए करोगे।उनके इस आदेश का एक फायदा हुआ कि मुझे बिजनेस की समझ हो गई। पिताजी चाहते
थे कि मैं उनके बिजनेस को आगे बढ़ाऊं। मैाने होमी अदजानिया केसाथ मिल कर एक कंपनी बनाई।
होमी ने ‘बीइंग साइरस’ की कहानी सुनाई
थी। हम ने वह फिल्म अंग्रेजी में बना दी। उसके बाद भी पिताजी ने कहा कि अपनी कैंकिंग
की नौकरी में वापस जाओ। बहरहाल,’राब्ता’ का हीरो एक बैंकर है।
-मतलब वह दिनेश विजन है?
0 नहीं,फिर भी जब आप किरदार रचते हैं तो
उसमें आप की झलक आ ही जाती है। हर किरदार के साथ ऐसा होता है।-खैर,आप ने सैफ अली खान
के साथ कंपनी बनाई और फिल्म निर्माण में एक्टिव हो गए?
0 ‘बीइंग साइरस’ के समय ही सैफ से मुलाकात हुई थी। हमारी अच्छी दोस्ती हो गई तो साथ में फिल्में
बनाने की योजना बनी। हम दोनों ने ‘लव आज कल’ बनाई। उसके बाद सब कुछ खुद ही आगे बढ़ता गया। मैाने प्रोउ्यूसर का जॉब सीख लिया।-क्या
करना पड़ता है प्रोड्यसर को...पैसे निवेश करने के अलावा?
0हाहा..सबसे महत्वपूर्ण है कि वह अपनी टीम
के बंदों को समझे और उन्हें संभाले। आखिरी फायदा तो उसी का होता है। डासयरेक्टर और
एक्टर संवेदनशील प्राणि होते हैं। उन्हे समझना पड़ता है। सिर्फ पैसों से फिल्में
नहीं बनतीं। मैं पैसों केलिए फिल्में नहीं बनाता और न पैसे बचाता हूं। मुझे फिल्में
बनाना संतुष्टि देता है। मुझे 13 साल हो गए।
-और अब निर्देशन में आ गए हैं।
0 रब के बनाए रिश्ते को ‘राब्ता’ कहते हैं। जो रिश्ते हमारी समझ में नहीं आते,लेकिन
जिनका एहसास गहरा होता है उसे राब्ता कह सकते हैं। पहली बार में ही सुशांत और कृति
की केमिस्ट्री देख कर मैं दंग रह गया। सुशांत तो पहले से तय थे। बाद में कृति भी फायनल
हो गईं।और फिर जिम आ गया। वह वाइल्ड एक्टर है। उसे संभालना पड़ता है। जिम सभी की
नजर में आएगा। निर्देशन के पहले मैंने अलग से फिल्में बनाईं। सैफ के साथ इलुमिनाती
कंपनी है। उसमें सैफ के इर्द-गिर्द ही फिल्में बनानी थीं। कुछ फिल्में मैडॉक के तहत
बनीं,क्योंकि मैं दूसरे एक्टर के साथ भी कुछ करना चाहता था।
-कैसा अनुभव रहा फिल्मों से जुड़ने का?
0 अच्छा रहा। शुरू में स्ट्रेस था। पिताजी
चाहते थे कि मैं किसी तकलीफ में ना फंसूं।
हमेशा यही कहते रहे कि रात में सही नींद आनी चाहिए। मतलब यह था कि कोई गलत काम नहीं
करना। मैंने हर तरह की फिल्में बना लीं। बहुत जरूरी है कि हम जिंदगी जिएं,सिर्फ गुजारें
नहीं। आगे मेरी कोशिशरहेगी कि हर फिल्म से दर्शक कुछ लेकर जाएं और हम भी कुछ सीखें।
इस लिहाज से ‘हिंदी मीडियम’ का अनुभव बहुत
अच्छा रहा। हिंदी और अंग्रेजी के फर्क का दबाव मैंने खुद महसूस किया है। अंग्रेजी
खराब होने से कैसे कोई बंदा खराब हो जाएगा।- ‘राब्ता‘ में एक और कहानी है...
0 वह फिक्शनल है। कोई खास पीरियड या डायनेस्टी
नहीं है। हम ने रिसर्च किया और और एक काल्पनिक कहानी बुनी। वह हिस्सा सिर्फ 25 मिनट
का है।
बाक्स:सुशांत- बहुत मेहनती और एकाग्रचित्त
एक्टर है। उसे सिर्फ अपने काम की लगी रहती है। निर्देशक की सोच को समझ लेता और बेहतर
प्रदर्शन करता है। अपनी लगन से वह किसी भी ऊंचाई तक जा सकता है। वह प्रतिभाशाली भी
है। शार्प है। भाषा पर अच्छी पकड़ है उसकी।कृति- कृति ने मेहनत की है। उसे खुद नहीं
मालूम था कि वह कितनी जबरदस्त एक्टर है। अपने किरदार की ढाई महीने की तैयारी के बाद
वह आई तो उसने सभी को चौंका दिया। सभी श्ंकालु थे कि पता नहीं सुशांत को मैच कर पाएगी
या नहीं? वह पर्देपर बहुत सुंदर दिखती है।
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