दरअसल : पाकिस्तान जाएगा सुपर सिंह
दरअसल...
पाकिस्तान
जाएगा सुपर सिंह
-अजय ब्रह्मात्मज
आज पाकिस्तान के
आठ शहरों के 36 सिनमाघरों में अनुराग सिंह निर्देशित ’सुपर सिंह’ रिलीज होगी। दिलजीत दोसांझ और सोनम बाजवा अभिनीत ‘सुपर सिंह’ एक पंजाबी सुपरहीरो की कहानी है। पंजाबी में सुपरहीरो
क्रिएट करने की पहली कोशिश की गई है। पंजाबी में बनी यह फिल्म भारत के साथ पाकिस्नान
में भी आज रिलीज हो रही है। एक अंतराल के बाद कोई भारतीय फिल्म पाकिस्तानी सिनेमाघरों
में एक ही दिन रिलीज हो रही है। यह एक खुशखबर है,जो दोनों देशों के नागरिकों को करीब
ले आएगी।
याद करें तो पिछले
साल ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज के समय भयंकर पाकिस्तान विरोधी माहौल था। मुंबई में एक राजनीतिक पार्टी
ने खुली घोषणा कर दी थी कि अगर पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान को भारत बुलाया गया तो
हंगामा होगा। तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने निर्देशक करण जौहर और उक्त पार्टी
के नेता के बीच मध्यस्थता की थी। उसके बाद दो हिंदी फिल्में आईं,जिनमें पाकिस्तानी
कलाकार माहिरा खान और सबा कमर थीं। उन फिल्मों को लेकर कोई हंगामा नहीं हुआ। सबा कमर
की फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ को हिंदी दर्शकों
ने खूब पसंद किया। दर्शकों के जहन में यह बात भी नहीं आई कि इरफान की बीवी बनी अभिनेत्री
पाकिस्तान की है। सबा कमर ने अंग्रेजी की ग्रंथि से पीडि़त बीवी का किरदार शानदार
और विश्वसनीय तरीके से निभाया।
यहां बता दें कि
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों को नया काम देने की अघोषित पाबंदी लगने के बाद पाकिस्तान
ने भी हिंदी फिल्मों की रिलीज रोक दी थी। लंबे समय के बाद विशेष तौर पर रिति5क रोशन
की ‘काबिल’ रिलीज की गई थी।
चीन में धम मचा रही ‘दंगल’ पाकिस्तानी सेंसर के संकीर्ण रवैए की वजह से वहां रिलीज नहीं हो सकी थी। उन्हें
फिल्म में भारत के राष्ट्र गान पर आपत्ति थी। आमिर खान ने स्पष्ट किया था कि बगैर
राष्ट्रगान के वे पाकिस्तान में ‘दंगल’ रिलीज नहीं करना चाहते। इस बीच दोनों देशों के बीच तनातनी और झड़पें चल रही हैं।
हांलांकि इन दिनों इंग्लैंड में चल रहे चैंपियत ट्राफी में भारत-पाकिस्तान की क्रिकेट
टीम का मैच हुआ। संभावना है कि दोनों देश फिर से फायनल में टकराएं। सरहद पर दोनों देशों
की सेनाएं चौकन्ना रहती हैं। पाकिस्तानी घुसपैठ को नाकाम करने की काशिशमें भारतीय
सेना आगे रहती है। सरहद के इसतनाव के बावजूद दोनों देशों के नागरिक क्रिकेट और फिल्मों
में रुचि लेते रहते हैं। पाकिस्तान के सिनेमाघरों में हिंदी फिल्में भले ही नहीं
लग रही हों,लेकिन पाकिस्तानी दर्शक दूसरे प्लेटफार्म पर हिंदी फिल्में देखने से
नहीं चूकते।
‘सुपर सिंह’ का पाकिस्तान में रिलीज होना स्वागतयोग्य कदम हैं। पंजाबी फिल्म से शुरू होकर
यह कदम हिंदी फिल्मों की तरफ बढ़ेगा।दरअसल,भारत और पाकिस्तन के सिनेमाई संबंध विभाजन
और दुश्मनी के बावजूद कभी सक्रिय तो कभी शिथिल
रूप में बने रहे। भारतीय सिनेमा की नींव गढ़ने में लाहौर की बड़ी भूमिका रही है। आजादी
के पहले हिंदी सिनेमा के तीन प्रमुख गढ़ थे। मुंबई,कोलकाता और लाहौर में एक साथ हिंदी
फिल्मों का निर्माण हो रहा था। अविभाजित भारत में लाहौर प्रमुख सांस्कृतिक और शैक्षणिक
शहर था। फिल्म सहित सारी सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद था लाहौर...उच्च
शिक्षा,थिएटर,साहित्य और फिल्म में लाहौर की अग्रणी भूमिका थी। विभाजन के बाद लाहौर
से अनेक निर्मात,निर्देशक और कलाकार मुंबई आ गए। कुछ कलाकार और निर्देशक मुंबई से लाहौर
गए। कालांतर में लाहौर की फिल्म इंडस्ट्री प्रतिभाओं और बाजार के अभाव में सिमटती
गई और धीरे-धीरे खत्म हो गई। आल पाकिस्तान में सिनेमा का अस्तित्व खतरे में है।
दोनों देशों के बीच फिल्मों, कलाकारों और कलाकारों की आमदरुत बढ़ती है तो पाकिस्तान
में फिल्मों केनर्माण में रवानगी आती है।
इस संदर्भ और पृष्ठभूमि में पाकिस्तान के
36 शहरों में ‘सुपर सिंह’ की रिलीज से दोनों
देशों के बीच बने छत्तीस के संबंध में नरमी आएगी। देखना यह है कि भारत की इस पंजाबी
फिल्म का पाकिस्तान में कैसा स्वागत होता है और कितने दर्शक मिलते हैं?
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