दरअसल : भारत में जू जू,चीन में आमिर खान
दरअसल...
भारत में जू जू,चीन में आमिर खान
-अजय ब्रह्मात्मज
कबीर खान निर्देशित ‘ट्यूबलाइट’ में चीन की अभिनेत्री जू जू दिखाई पड़ेंगी। यह पहला मौका
होगा जब किसी हिंदी फिल्म में पड़ोसी देश की अभिनेत्री सलमान खान जैसे लोकप्रिय
सितारे के साथ खास किरदार निभाएंगी। पिछले कुछ सालों से भारत और चीन के बीच फिल्मों
के जरिए आदन-प्रदान बढ़ा है। कुछ फिल्मों का संयुक्त निर्माण हुआ है। कुछ
निर्माणाधीन हैं। चीन में ‘दंगल’ की कामयाबी ने हमारी तरफ से दरवाजे पर चढ़ाई गई कुंडी खोल दी
है। दरवाजा खुला है। अभी तक भारत में चीनी सामानों को दोयम दर्जे के सस्ते
प्रोडक्ट का का माना और मखौल उड़ाया जाता है। चीन के राष्ट्रपति तक ने भारत के प्रधानमंत्री से ‘दंगल’ की तारीफ की। ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ नारे की अनुगूंज अब कहीं नहीं सुनाई पड़ती। 21 वीं सदी में
दोनों देशों की सिनेमाई दोस्ती नई लहर के तौर पर आई है। ‘हिंदी-चीनी सिनेमाई भाई’ का नारा बुलंद किया जा सकता
है।
जू जू को हिंदी में झू झू और चू चू भी लिखा जा रहा है।
हम दूसरे देशों की भाषा के शब्दों के प्रति लापरवाही की वजह से सही उच्चरित शब्द
की खोज नहीं करते। हिंदी ध्वनि प्रधान भाष है। थोड़ी मेहनत की जाए तो हिंदी में
दुनिया की हर भाषा का करीबी उच्चरण किया जा सकता है। बहरहाल,जू जू में एक जू उनका
पारिवारिक सरनेम है। और उनके जू नाम का मतलब मोती है। मोती की चमक और शुद्धता है
जू जू के व्यक्तित्व में। जू जू अगले महीने 33 साल की हो जाएंगी। चीन के पेइचिंग
शहर में एक सैनिक परिवार में पैदा हुई जू जू बचपन से कलात्मक रुझान की हैं। उन्होंने
छोटी उम्र में पियानो बजाना सीखा। बता दें कि चीन में लगभी सभी बच्चे कोई न कोई
वाद्य यंत्र बजाना सीखते हैं। चीन में आर्थिक उदार नीति आने के बाद पियानो का
आकर्षण बढ़ा है। सांस्कृतिक क्राति के दौर में पियानों जैसे वाद्य यंत्र पर
पाबंदी सी लगी थी। गाने-बजाने की शौकीन जू जू भारत की अनेक प्रतिभाओं की तरह ही एक
म्यूजिकल कंटेस्ट से सामने आईं। उन्होंने चीन में एमटीवी के शो होस्अ किए और
अपने रुझान का दायरा बढ़ाती गईं। 2011 में आई छन तामिंग की फिल्म ‘वु चिड़ न्वी रन सिन’(औरतें क्या चाहती हैं) से
उनके एक्टिंग करिअर की शुरुआत हुई। 2012 में उन्हें हालवुड की ‘ द मैन विद द आयन फिस्ट’ फिल्म मिल गई। फिल्मों और
टीवी शो से इंटरनेशनल पहचान हासिल कर चुकी जू जू ने 2016 में ‘ट्यूबलाइट’ साइन की। वह भारत आईं और
उन्होंने हिंदी भी सीखी।
जू जू का भारत में कैसा स्वागत होगा? यह तो कुछ घंटों के बाद पता चल जाएगा। ‘हिंदी-चीनी सिनेमाई भाई’ के संदर्भ में हाल में चीन
में मिली आमिर खान की पहचान और सफलता उल्लेखनीय है। किसी भी भारतीय कलाकार को चीन
में ऐसी कमर्शियल कामयाबी नहीं मिली थी। वैसे चीन में राज कपूर और उनकी फिल्म ‘आवारा’ के बारे में 35-40 से अधिक
उम्र के सभी नागरिक जानते हैं। अमेरिकी फिल्मों के प्रवेश के पहले भारतीय फिल्में
ही चीनी दर्शकों के विदेशी मनोरंजन के लिए उपलब्ध थीं। उनमें राज कपूर शीर्ष पर
रहे। ‘दंगल’ ने
आमिर खान की पहचान मजबूत कर दी है। राजकुमार हिरानी की ‘3 इडियट’ ने सबसे पहले चीनी दर्शकों
को आमिर खान के प्रति आकर्षित किया। बता दें कि 2009 में आई ‘3 इडियट’ का अधिकांश चीनियों ने
पायरेटेड फार्मेट में देखा। यह फिल्म वहां के युवकों के बीच खूब पसंद की गई। उन्हें
रैंचो अपने बीच का ही युवक लगा था। फिर ‘धूम 3’ की रिलीज तक चीन में थिएटर का्रति आ चुकी थी। सिनेमाघरों के
संख्या मशरूम की तर बड़ी। आमिर खन की ‘धूम 3’ को चीन में अच्छी रिलीज मिली। इस फिल्म में एक्शन और
अदाकारी से आमिर खान से चीनी दर्शकों के दिल में जगह बना ली। उनकी ‘पीके’ भी वहां पॉपुलर रही। और अब ‘दंगल’ ने तो सारे रिकार्ड तोड़
दिए। अभी तो कहा जा रहा है कि चीन का हर फिल्मप्रेमी आमिर खान को पहचानता है।
उसने ‘दंगल’ देख
रखी है।
जू जू और आमिर खान दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक
दोस्ती के नए राजदूत हैं। जू जू अपनी व्यस्तता की वजह से ‘ट्यूबलाइट’ के प्रचार में शामिल नहीं
हो सकी,लेकिन आमिर खान ‘दंगल’ के लिए चीन गए थे। उम्मीद है कि आगे यह सहयोग और संपर्क
बढ़ेगा।
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