रोज़ाना : झकास अनिल कपूर
रोज़ाना
झकास अनिल कपू
-अजय ब्रह्मात्मज
अनीस बज्मी की ‘मुबारकां’ के ट्रेलर लांच के मौके पर अनिल कपूर मौजूद थे। मंच पर उनकी
उर्जा देख कर सभी खुश थे। उन्हें इस उम्र(61 वर्ष) में भी उर्जावान देख कर हैरानी
नहीं होती। वे अपने समकालीनों में सबसे चुस्त-दुरुस्त हैं। वे लगातार काम कर रहे
हैं। उन्होंने अभी तक अपने जूते नहीं टांगे हैं। इसकी कोई संीाावना भी नहीं है।
इसी ट्रेलर लांच में जब आतिया शेट्टी और इलियाना डिक्रूज उन्हें बार-बार ‘सर’ संबोधित कर रही थीं तो उन्होंने
बिफर कर कहा,क्या कभी मैंने तुम दोनों को मैथ्स या साइंस पढ़ाया है या मुझे
ब्रिटेन की महारनी ने ‘सर’ का खिताब दिया है। प्लीज मुझे ‘सर’ न कहो। अनिल कपूर की यही
झकास अदा है। वे जवानों के बीच उनसे भी अधिक जवान दिखते हैं। वे नहीं चाहते कि उन्हें
बुजुर्ग बता कर दरकिनार कर दिया जाए। डेनी डेंजोग्पा उनके नियमित कसरत की तारीफ
करते हैं। शूटिंग की व्यस्तता के बीच भी वे वाक और रन के लिए समय निकाल लेते
हैं।
अड़तीस साल हो गए। सन् 1979 में अनिल कपूर ने उमेश
मेहरा की फिल्म ‘हमारे तुम्हारे’ में एक छोटी भूमिका निभाई थी। यों कैमरे के सामने वे 1971
में ही आ गए थे। 1971 में बन रही ‘तू पायल मैं गीत’ में शशि कपूर के बचपन के रोल में अनिल कपूर थे। यह फिल्म
रिलीज नहीं हो पाई थी। बापू की तेलुगू फिल्म ‘वंश वृक्षम’ में उन्हें पहली प्रमुख भूमिका मिली थी। हिंदी में ‘वो सात दिन’ उनकी पहली फिल्म थी।
अड़तीस सालों में सैंकड़ों फिल्में करने के बाद भी अनिल कपूर अपनी पीढ़ी के
अभिनेताओं में पूरे दम-खम के साथ सक्रिय हैं। अभी भतीजे अर्जुन कपूर के साथ उनकी
फिल्म ‘मुबारकां’ आएगी। अर्जुन कपूर के डबल रोल की इस फिल्म में उनका महत्वपूर्ण
किरदार है। ठीक है कि उन्हें फिल्मों में अमिताभ बच्चन की तरह केंद्रीय
भूमिकाएं नहीं मिल पा रही हैं,लेकिन फिल्मों में उनकी मौजूदगी नजरअंदाज नहीं
होती।
सुरिन्दर कपूर के मझले बेटे अनिल कपूर ने परिवार के
साथ मुश्किल दिनों में संघर्ष किया। चेंबूर साधारण मध्यवर्गीय बस्तियों में उनकी
परवरिश हुई। वहां के शब्द,मुहावरे और चाल-ढाल उनके व्यक्तित्व का हिस्सा हैं।
उन्होंने ही हिंदी फिल्मों में ‘झकास’ शब्द प्रचलित किया। ‘झकास’ का मतलब बेहतरीन व अतिउत्तम होता है। उनके डांसिंग स्टेप्य
में चेंबूर की बस्तियों कर मस्ती रहती है। डांस के झटके और ठुमकों से वे मुंबई के
आम दर्शकों को प्रभावित करते हैं। अनिल कपूर ने फिल्मी करिअर में भिन्न मिजाज की
फिल्में कीं और उन्हें संजीदगी से पर्दे पर उतारा। उनके किरदारों का भोलापन हमेशा
पसंद किया गया। वे अपने किरदारों को पूरे उमंग और उर्जा के साथ निभाते हैं।
कम लोग जानते हैं कि उनके पिता सुरिन्दर कपूर ने फिल्मों
में साधारण शुरुआत की थी। कभी उनके परिवार को राज कपूर के गैरेज में भी रहना पड़ा
था। बाद में वे शम्मी कपूर की पूर्व पत्नी गीता बाली के सेक्रेटरी बन गए थे।
यहां से उनकी जिंदगी में बदलाव आया। परिवार की हालत सुधरी। सुरिन्दर कपूर के
परिवार की तीसरी पीढ़ी की सोनम कपूर और राज कपूर के परिवार की तीसरी पीढ़ी के
रणबीर कपूर संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘सांवरिया’ में एक साथ लांच हुए थे। अनिल कपूर के परिवार की यह अनकही
कहानी है।
Comments