रोज़ाना : फ्लेवर,फन और ज्वॉय
रोज़ाना
फ्लेवर,फन और ज्वॉय
-अजय ब्रह्मात्मज
गौर किया होगा...इम्तियाज अली ने अपनी फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' के पहले लुक और नाम की
घोषणा दो पोस्टरों के साथ की थी। बाद में दोनों पोस्टर को एक पोस्टर में डाल
कर पूरा नाम लिखा गया। इस फिल्म के नाम की चर्चा अभी तक नहीं थमी है। कुछ इसे
इम्तियाज अली की पुरानी फिल्म से प्रेरित मानते हैं तो कुछ इसे
लेखक-निर्देशक(इम्तियाज स्वयं) की सोच और कल्पना का दिवालियापन समझ रहे हैं। यह
नाम चल तो रहा है,लेकिन गति नहीं पकड़ सका है। ‘जब
हैरी मेट सेजल’ की संपूर्णता टुकड़ों में ही अपनी
प्रेम कथा परोसेगी।
हाल ही में ‘जब हैरी मेट सेजल’ के मिनी ट्रेलर जारी किए गए। इस ट्रेलर को जारी करने के दो दिन पहले इम्तियाज अली और शाह रूख खान मीडिया से मिले थे। उन्होंने प्रायवेट स्क्रीनिंग के दौरान अपनी बातें रखी थं और बताया था कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। दो-तीन छोटी झलकियों के बाद एक गाना जारी किया जाएगा। कोशिश यह है कि दर्शक फिल्म के फ्लेवर,फन और ज्वॉय के लिए तैयार हो सकें। इम्तियाज अली इसे नए मिजाज की फिल्म मानते हैं,इसलिए पारंपरिक ट्रेलर लाकर स्वाद नहीं बिगाड़ना चाहते। क्या यह उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी मात्र है या सचमुच फिल्म की भिन्नता की वजह से उन्हें यह तरकीब अपनानी पड़ी है।
हाल ही में ‘जब हैरी मेट सेजल’ के मिनी ट्रेलर जारी किए गए। इस ट्रेलर को जारी करने के दो दिन पहले इम्तियाज अली और शाह रूख खान मीडिया से मिले थे। उन्होंने प्रायवेट स्क्रीनिंग के दौरान अपनी बातें रखी थं और बताया था कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। दो-तीन छोटी झलकियों के बाद एक गाना जारी किया जाएगा। कोशिश यह है कि दर्शक फिल्म के फ्लेवर,फन और ज्वॉय के लिए तैयार हो सकें। इम्तियाज अली इसे नए मिजाज की फिल्म मानते हैं,इसलिए पारंपरिक ट्रेलर लाकर स्वाद नहीं बिगाड़ना चाहते। क्या यह उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी मात्र है या सचमुच फिल्म की भिन्नता की वजह से उन्हें यह तरकीब अपनानी पड़ी है।
हर नई फिल्म की रिलीज के समय बड़े स्टारों की घबराहट
अति पर होती है। वे दर्शकों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। नई तरकीबें
अपनाते हैं। दर्शकों को चौंकाते हें। पूरी कोशिश रहती है कि दर्शक आकर्षण या
जिज्ञासा पूरी करने सिनेमाघरों में पहुंचें। फिर फिल्म अच्छी लगे तो
दोबारा-तिबारा आएं। इन दिनों फिल्में देखना मंहगा काम हो गया है। फिर भी दर्शक
दोबारा-तिबारा आते हैं। उनसे ही फिल्में हिट होती हैं। चूंकि शा रूख खान अपने
समकालीन दोनों खानों से थोड़े पिछड़ चुके है,इसलिए उन्हें जबरदस्त कामयाबी की
जरूरत है। फिल्मों के बड़े स्टारों को स्वयं या आपस में दो-चार असफलताओं से
फर्क नहीं पड़ता हो,लेकिन प्रशंसकों का जोश ठंडा पड़ता है। दर्शक भी घटते हैं।
इर्शक और प्रशंसक दो श्रेणियां हैं। लोकप्रिय स्टारों
को दोनों की जरूरत पड़ती है। सोशल मीव रहते हैं। वे अपने प्रिय स्टारों के लिए
माहौल बनाते हैं। नए दौर में ट्वीटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के फैन क्लब,ग्रुप
और हैंडल स्टार के नौकरी साफ्ता स्टाफ चलाने लगे हैं। मूड और माहौल बनाने में
उनकी भूमिका होती है। हालांकि कोई भी स्टार स्वीकार नहीं करता,लेकिन सोशल मीडिया
पर अधिकांश एक्टिविटी स्टार की मर्जी और जानकरी में होती है।
यह देखना रोचक होगा कि टुकड़ों में दी गई झलकियों से
इम्तियाज अली और शाह रूख खान कितने दर्शक बना पाते हैं? दोनों की पिछली फिल्में थोड़ी नरम पही हैं।
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