रोज़ाना : नाम और पोस्टर
रोज़ाना
नाम और पोस्टर
-अजय ब्रह्मात्मज
इम्तियाज अली की शाह रूख खान और अनुष्का शर्मा की
फिल्म का टायटल फायनल हो गया। ‘जब हैरी मेट सेजल’ नाम से फिल्म के पोस्टर एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित
किए गए है। गौर करें तो यह दो पोस्टर का सेट है,जिसमें पहले पोस्टर पर ‘जब हैरी’ और दूसरे पोस्टर पर ‘मेट सेजल’ लिखा बया है। दोनों
किरदारों के नाम लाल रंग में लिखे गए हैं। पोस्टर में टैग लाइन है...’ह्वाट यू सीक इज सीकिंग यू’।
जलालुद्दीन रुमी की यह पक्ति इम्तियाज अली को बेहद पसंद है। उन्होंने इस पंक्ति
को फिल्म में संवाद के तौर पर रखा है। हिंदी साहित्य से परिचित पाठक लगभग इसी
भाव पर लिखी रामनरेश त्रिपाठी की ‘अन्वेषण’ शीर्षक कविता याद कर सकते हैं...
’ मैं ढूँढता तुझे था, जब कुंज और वन में।
तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में।
तू खोजता मुझे था, तब दीन के सदन में।
सारे संबंध पारस्परिक होते हैं। हम जिसकी तलाश में
रहते है,वह खुद हमारी तलाश में रहता है। भारतीय दर्शन में ‘तत् त्वम असि’ भी कहा गया है। इम्तियाज
अली भी अपनी फिल्मों में संबंधों और भावों की तलाश में रहते हैं। ऊपरी तौर पर
उनकी फिल्में एक सी लगती हैं,लेकिन उनमें तलाश की भिन्नता देखी जा सकती है।
सरल प्रेमकहानी की फिल्मों के लिए विख्यात इम्तियाज
अली संगुफित व्यक्ति हैं। उनकी आंखों में ख्वाहिशों से अधिक खोज झलकती है। अपनी
फिल्मों को लकर वह उलझते हैं। फिल्म का टायटल डिसाइड करने में इम्तियाज अली को
देरी लगती है। याद करें तो ‘जब वी मेट’ टायटल फायनल करने के पहले भी उन्होंने समय लिया था। उस फिल्म
के लिए जनमत संग्रह किया गया था और आखिरकार ‘जब वी मेट’ पर सहमति बनी थी। उसके पहले ‘पंजाब
मेल’ और इश्क वाया भटिंडा’ टायटल उछले थे। इस बार पहले ‘रिंग’ और फिर ‘रहनुमा’ टाटल मीडिया में चलते रहे। ‘जब
हैरी मेट सेजल’ सुनते ही हॉलीवुड की फिल्म ‘ह्वेन हैरी मेट सैली’ का स्मरण होता है। स्वयं
इम्तियाज अली की फिल्म ‘जब वी मेट’ भी याद आती है। फिल्म देखने के बाद ही सही विश्लेषण हो
सकता है कि यह टायटल कितना उपयुक्त है।
फिलहाल सोशल मीडिया पर इस टायटल का सकारत्मक स्वागत
नहीं हुआ है। कुछ लोगों ने तो इसे बुरे टायटल का अवार्ड देने तक की बात लिखी है।
फिल्म में सेजल नाम आने से ऐसा लग रहा है कि अनुष्का का गुजरात से संबंध हो सकता
है। कुछ आलोचकों को यह टायटल किसी गुजराती नाटक का भ्रम देता है। हालांकि शेस्पीयर
ने कहा था कि नाम में क्या रख है? लेकिन फिल्मों के संदर्भ
में किसी भी फिल्म का पहला संकेत टायटल ही देता है। दर्शक उससे अनुमान लगाते हैं
कि फिल्म की कहानी क्या हो सकती है? इम्तियाज अली में रोमांस और
किरदारों का सफर तो रहेगा ही। उनकी अनायास मुलाकात भी कहानी का मूल हो सकती है।
’जब हैरी मेट सेजल’ दो पोस्टरों का सेट है। हिंदी फिल्मों के इतिहास में ऐसा
दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। प्रचार और सिनमाघरों की युविधा के लिए मुमकिन है कि बाद
में एक पोस्टर आए,जिस पूर पूरा टायटल लिखा हो।
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