रोज़ाना : जे पी दत्ता की ‘पलटन’
रोज़ाना
जे पी दत्ता की ‘पलटन’
-अजय ब्रह्मात्मज
खबरें आ रही हैं कि जेपी दत्ता ‘उमराव जान’ की रिलीज के 11 सालों के
बाद फिर से ‘लाइट कैमरा एक्शन’ कहने के लिए तैयार हैं। वे ‘पलटन’ नाम की फिल्म का निर्देशन करेंगे,जिसमें उनके चहेते फिल्म
स्टार अभिषेक बच्चन रहेंगे। अभिषेंक बच्चन के साथ सूरज पंचोली और पुलकित सम्राट
भी फिल्म में होगे। जेपी दत्ता की ‘बोर्डर’ के सीक्वल की खबरें लंबे समय तक चलीं। यह फिल्म धरी रह गई।
सबसे बड़ी वजह बजट और कलाकारों की भागीदारी है। इन दिनों फिल्म स्टार किसी भी भी
को 30 से 60 दिनों का समय देते हैं और चाहते हैं कि एक ही शेड्यूल में फिल्म पूरी
हो जाए। अगर आज के माहौल में जेपी दत्ता की ‘एलओसी कारगिल’ की कल्पना करें तो वह असंभव हो जाएगी। इस पैमाने,स्तर और समय के साथ अभी फिल्में
बनाना मुश्किल हो चुका है। ऐसा लगता है कि ‘बाहुबली’ फिल्मों की कामयाबी ने ही जेपी दत्ता को अपने किस्म की
एपिक फिल्म के लिए तैयार किया होगा।
अभिशेक बच्चन और करीना कपूर की पहली फिल्म ‘रिफ्यूजी’ के निर्देशक जेपी दत्ता ही
थे। उन्हें उन दोनों का गॉडफादर कहा जाता है। वे दिन दूसरे थे। तब अभिषेक बच्चन
और करीना कपूर की बड़ी बहन करिश्मा कपूर के बीच प्रेम था। दोनों की सगाई और शादी
की बातें चल रही थीं। ‘रिफ्यूजी’ की रिलीज के समय मुंबई के ‘द क्लब’ में शानदार पार्टी हुई थी,जिसमें बच्चन और कपूर परिवार के
सभी सदस्य शामिल हुए थे। बाद में अनजान कारणों से यह यह संबंध पक्का नहीं हुआ।
दोनों परिवारों के बीच भी खटास हुई। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कुछ कहानियां सभी
जानते हैं,लेकिन उन्हें कोई बताता या लिखता नहीं है। कभी तो लिहाज और कभी समाज के
डर से सभी उसे भूल जाते हैं। बहरहाल, अभिषेक बच्चन और जेपी दत्ता के संबंध बने
रहे। जेपी दत्ता ने तो अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय के साथ ‘उमराव जान’ भी बनाई। यह फिल्म रेखा की
‘उमराव जान’ के पासंग में भी नहीं बैठ
सकी।
‘पलटन’ अंग्रेजी शब्द प्लैटून का प्रचलित हिंदी रूप है। सैनिकों
की टुकड़ी को पलटन कहते हैं। आम भाषा में जिसे दस्ता भी कहा जाता है। जेपी दत्ता
की ‘पलटन’ 1962
के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर है। कारगिल और 1971 के युद्ध पर जेपी दत्ता
ने ‘एलओसी कारगिल’ और ‘बोर्डर’ का निर्देशन किया था,इस बार वे भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि
में कुछ जांबाज सैनिकों की कहानी कहेंगे। उल्लेखनीय है कि कबीर खान की ‘ट्यूबलाइट’ भी भारत-चीन युद्ध की पृष्ठभूमि
पर है,लेकिन उसकी कहानी युद्ध से अधिक भोले युवक लक्ष्मण(सलमान खान) की है। जेपी
दत्ता को इस बार अपने पिता ओपी दत्त की क्रिएटिव कमी महसूस होगी। उनकी सारी फिल्मों
की पटकथा और संवाद में उनका भारी योगदान रहता था।
जरूरत है कि ‘पलटन’ जैसी फिल्मों के साथ जेपी दत्ता लौटें। आज के दर्शकों को
सघन भाव और संबंधों की ऊष्मा से भरे किरदारों को किसी एपिक फिल्म में देखने का
आनंद मिले।
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