रोज़ाना : ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म



रोज़ाना
ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म
-अजय ब्रह्मात्‍मज
कुछ दिनों पहले हालीवुड के स्‍टार ब्रैड पिट कुछ घंटों के लिए भारत आए थे। मौका उनकी नई फिल्‍म के भारत में इवेंट का था। ब्रैड पिट की यह फिल्‍म नेटफिल्‍क्‍स के सहयोग से बनी है। नेटफिल्‍क्‍स ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म है। आप एक निश्चित रकम देकर नेटफिल्‍क्‍स पर फिल्‍में,टीवी शो और अन्‍य ऑडिये-विजुअल कार्यक्रम देख सकते हैं। भारत में नेटफिल्‍क्‍स के साथ अमैजॉन भी भविष्‍य की तैयारियों में है। ये दोनों प्‍लेटफॉर्म बड़ पैमाने पर भारतीय कंटेंट खरीद रहे हैं और भारतीय निर्माताओं व कलाकारों के सहयोग से नए कंटेंट तैयार कर रहे हैं। इन दिनों हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री का हर सक्रिय सदस्‍य किसी न किसी प्रकार इन दोनों ऑन लाइन फल्‍ेटफॉर्म में से किसी एक से जुड़ना चाह रहा है।
ब्रैड पिट ने त्रवार मशीन का निर्माण नेटफिल्‍क्‍स के लिए किया। यह फिल्‍म ऑनलाइन ही देखी जा सकेगी। माना जा रहा है कि सिनेमा का यही भविष्‍य है या फिर एक कमाईदार विकल्‍प है। वार मशीन जैसी फिल्‍में थिएटर रिलीज को ध्‍यान में रख कर नहीं बनाई जा सकती थी। हालीवुड के स्‍टूडियो भी ऐसी फिल्‍मों में निवेश करने से घबराते हैं। ब्रैड पिट ने हिम्‍मत से कामलिय और वार मशीन के ऑनलाइन दर्शकों पर भरोसा किया। मंबई प्रवास में ब्रैड पिट ने शाह रुख खान के साथ एक इंटरव्‍यू भी दिया। वहीं उन्‍होंने नेटफिल्‍क्‍स जैसे प्‍लेटफॉर्म की जरूरत और संभावना पर विचार रखे। भारतीय स्‍टार शाह रूख खान नेभी स्‍वीकार किया कि हमें भी सोचना चाहिए। हमें बाक्‍स आफिस कलेक्‍शन की निर्भरता खत्‍म करनी चाहिए।
भारत में नेटफिल्‍क्‍स और अमैजॉन जैसे ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म की सही भूमिका कुछ सालों में पता चलेगी। संक्षेप में समझने के निए उदाहरण दें तो यह शहरी यायतायात में पॉपुलर हो रहे उबर और ओला के समान है। ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म पारंपरिक एवेन्‍यू के साथ चलेंगे और सिनेमा के लोकतंत्रीकरण में सहायक होंगे। और यह जूरूरी भी है। अभी हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री कुछ घरानों और कारपोरेट हाउस की मुट्टी में है। फिल्‍म के वितरण और प्रदर्शन की लगाम सिनेमा के नए व्‍यापारियोंं ने थाम रखी है। वे अपने छिदले ज्ञान से तय करते हैं कि दर्शकों को किस तरह की फिल्‍में पसंद आएंगी। हाफ गर्लम्‍्रेंड और हिंदी मीडियम ने बाजार को बताया कि दर्शकों को क्‍या पसंद है? इसके बावजूद बेहतरीन फिल्‍मों के प्रति व्‍यापारियों का विश्‍वास नहीं बढ़ रहा है। ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म कंटेंट के सहारे दर्शकों के बीच जगह बनाएगा।
गौर करें तो भारत जैसे विशाल देश में जरूरत है कि सिनेमा का विकेंद्रीकरण हो। स्‍थानीय प्रतिभाओं को स्‍थानीय स्‍तर पर काम मिले। सभी को मुंबई ,चेन्‍नई या हैदराबाद जाने की जरूरत न पड़े। वे अपने माहौल में अपनी कहानियां लेकर आएं तो अपने दायरे में सफलता का इतिहास रच सकते हैं। ब्रैड पिट ने राह दिखाई है। उम्‍मीद है भारतीय स्‍टासर भी अनुकरण करेंगे।

Comments

Shashwat said…
ब्रैड पिट का यह कदम सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। इस सिलसिले में उनका भारत आना बताता है कि इस क्षेत्र में भारत की भूमिका जबरदस्त होगी।

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