रोज़ाना : दर्शकों के समर्थन से कामयाब ‘हिंदी मीडियम’
रोज़ाना
दर्शकों के समर्थन से कामयाब ‘हिंदी मीडियम’
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले हफ्ते रिलीज हुई ‘हिंदी
मीडियम’ और ‘हाफ
गर्लफ्रेंड’ की कहानियां एक-दूसरे की पूरक की
तरह दर्शकों के बीच आईं। साकेत चौधरी के निर्देशन में बनी ‘हिंदी मीडियम’ में इरफान और सबा कमर मुख्य
भूमिकाओं में थे। इस फिल्म दीपक डोबरियाल ने भी एक अहम किरदार निभाया है। दिल्ली
के परिवेश में रची इस कहानी में नायक बने इरफान अपनी बीवी सबा कमर के दबाव में आकर
बेटी का एडमिशन हाई-फाई अंग्रेजी स्कूल में करवाना चाहता है। इसके लिए उसे झूठ और
प्रपंच का भी सहारा लेना पड़ता है। दूसरी फिल्म तो चूतन भगत के उपन्यास ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ पर आधारित है। इसका नायक
अर्जुन कपूर अंगेजी न बोल पाने की वजह से थोड़ी दिक्कत में है। वह अंग्रेजी से
आतंकित नहीं है,लेकिन अंग्रेजी नहीं जानने की वजह से उसकी जिंदगी में अड़चनें आती
हैं।
एक ही दिन रिलीज हुई दोनों फिल्मों का वितान और
परिवेश अलग है। उनके किरदार अलग हैं। ‘हिंदी मीडियम’ ठेठ दिल्ली से आज की दिल्ली के बीच पसरी है। आज की दिल्ली
में समा चुकी अंग्रेजी मानसिकता की विसंगतियों को लेकर चलती यह फिल्म सामाजिक
अंतर्विरोधों और सोच के भेछ खोलती है। भाषा और बच्चों के स्कूल जब सोशल स्टेटस
तय कर रहे हों। अंग्रेजी नहीं जानने पर बच्चों के तनाव में आने की संभावना पर गौर
करती यह फिल्म मैट्रो शहरों की शिक्षा व्यवस्था करती है। दूसरी तरफ ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ में नायक के अंग्रेजी नहीं
जानने की मनोदशा है। चेतन भगत ने किताब और फिल्म में माधव झा को रेफरेंस और
प्रतीक के रूप में ही इस्तेमाल किया है। खेल के कोटे से एडमिशन पा चुके अर्जुन
कपूर के लिए अंग्रेजी कोई चुनौती नहीं है। वह अंग्रेजीदां श्रद्धा कपूर से कम्युनिकेट
भी कर लेता है। बाद में उसे अधिक परेशानी नहीं होती। फिल्म की समस्या अंगेजी से
शिफ्ट होकर श्रद्धा और अर्जुन के रिश्तों उलझ जाती है।
दोनों में से ‘हिंदी मीडियम’ बजट,स्टार और प्रस्तुति के हिसाब से छोटी फिल्म है,जबकि ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ की प्रस्तुति और माउंटिंग
मंहगी है। पहले दिन ‘हिंदी मीडियम’ को केवल 2.80 करोड़ की ओपनिंग मिली। ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ ने पहले ही दिन 10 करोड़ से
अधिक का कलेक्शन किया। ऊपरी तौर पर ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ कामयाब फिल्म कही जा सकती है,लेकिन असल कामयाबी तो ‘हिंदी मीडियम’ ने हासिल की। शुक्रवार से
रविवार के बीच फिल्म का कलेक्शन बढ़कर दोगुना हो गया। ‘हाफ गर्लफ्रेंड’ के तीन दिनों के कलेक्शन
में मामूली इजाफा हुआ। दर्शक अच्छी फिल्मों का भरपूर समर्थन करते हैं। वे अच्छी
फिल्में सूंघ लेते हैं और सिनेमाघरों से निकलने पर दूसरों को भी देखने के लिए
प्रेरित करते हैं। सामान्य और औसत फिल्मों के दर्शक वीकएंड में नहीं बढ़ते।
‘हिंदी मीडियम’ की बेहतरीन कामयाबी से बार फिर साबित हुआ कि छोटी और अच्छी
फिल्मों के भी दर्शक हैं। ऐसी फिल्मों का वे समर्थन करते हैं। दर्शकों के ऐसे भरोसे
से ही नए फिल्मकार आते हैं और नए विषयों पर फिल्में बनती हैं।
Comments
पोस्ट में कुछ टाइपिंग की गलतियाँ है जैसे चेतन का नाम एक जगह गलत लिखा है। उसे सुधार दीजियेगा।
बाकी अच्छी फिल्म बाद में अपने रिव्यु के कारण चल निकलती हैं। ये बात सच है। उन्हें पहले भले ही बड़ी ओपनिंग न मिले।