रोजाना : रंगोली सजाएंगी नीतू चंद्रा
रोजाना
रंगोली सजाएंगी नीतू चंद्रा
-अजय ब्रह्मात्मज
अगले रविवार से दूरदर्शन से प्रसारित ‘रंगोली’ की होस्ट बदल रही हैं। अभी
तक इसे स्वरा भास्कर प्रस्तुत कर रही थीं। 28 मई से नीतू चंद्रा आ जाएंगी। 12
साल पहले हिंदी फिल्म ‘गरम मसाला’ से एक्टिंग करिअर आरंभ कर चुकी हैं। नीतू चंद्रा ने कम फिल्में
ही की हैं। बहुप्रतिभा की धनी नीतू एक्टिंग के साथ खेल में भी एक्टिव हैं। वह
थिएटर भी कर रही हैं। अब वह टीवी के पर्दे को शोभायमान करेंगी। नई भूमिका में वह
जंचेंगी। इस बीच उन्होंने भोजपुरी और मैथिली में फिल्मों का निर्माण किया,जिनका
निर्देशन उनके भाई नितिन नीरा चंद्रा ने किया। बिहार की भाषाओं में ऑडियो-विजुअल
कंटेंट के लिए कटिबद्ध भाई-बहन का समर्पण सराहनीय है।
‘रंगोली’ दूरदर्शन का कल्ट प्रोगांम है। कभी हेमा मालिनी इसे प्रस्तुत
करती थीं। बाद में शर्मिला टैगोर,सारा खान,श्वेता तिवारी,प्राची शाह और स्वरा
भास्कर भी होस्ट रहीं। सैटेलाइट चैनलों के पहले दूरदर्शन से प्रसारित ‘रंगोली’ और ‘चित्रहार’ दर्शकों के प्रिय कार्यक्रम
थे। सभी को उनका इंतजार रहता था। दोनों कार्यक्रमों ने कई पीढि़यों का स्वस्थ
मनोरंजन किया है। अभी जरूरत है कि ‘रंगोली’ की प्रसतुति का कायाकल्प हो। होस्अ तो सभी ठीक हैं। वे दी
गई स्क्रिप्ट को अच्छी तरह पेश करते हैं। इसके सेट को बदलना चाहिए। कंप्यूटरजनित
छवियों से आकर्षण और भव्यता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। सुना है कि कुछ म्यूजिक
कंपनियां ‘रंगोली’ को अपने गीत नहीं देतीं। ‘रंगोली’ के बजट में उनकी रॉयल्टी नहीं बन पाती। मुझे लगता है कि म्यूजिक
कंपनियों को ‘रंगोली’ के लिए थोड़ी राहत देनी चाहिए। उन्हें ऐसे क्रम का समर्थन
करना चाहिए जो शुद्ध मुनाफे के लिए नहीं तैयार की जातीं।
‘रंगोली’ का शैक्षणिक महत्व भी है। 1996 में बृज कोठारी ने महसूस
किया था कि अगर ऑडियो-विजुअल कंटेंट के साथ ‘सेम लैंग्वेज सबटाइटल्स’ दिए जाएं तो वह साक्षरता बढ़ाने के काम आ सकता है। ‘रंगोली’ में इसे आजमाया गया। ‘रंगोली’ के गीतों के साथ हिंदी में
आ रहे सबटाटल्स से नवसाक्षरों में लिखने-पढ़ने की क्षमता बढ़ती है। भारत ही नहीं
दूसरे देशों में भी साक्षरता बढ़ाने में ‘सेम लैंग्वेज सबटाइटल्स’ उपयोगी रहा है। बीच में कुछ समय के लिए ‘रंगोली’ के सबटाइटल्स बंद हो गए
थे। अधिकारियों ने इसकी जरूरत समझ कर फिर से चालू किया है। ‘रंगोली’ आज भी देश का मनोरंजन करता
है। इसके साथ दी गई फिल्मी इतिहस के पन्नों से दी गई जानकारियां रोचक होती हैं।
गॉसिप के बजाए ठोस जानकारियों से दर्शकों की रुचि समृद्ध होती है। हालांकि इन
दिनों एफएम चैनल और गानों के ऐप्प की भरमार है,लेकिन ‘रंगोली’ अपनी सादगी और परंपरा में
आज भी दर्शकों का चहेता और नियमित कार्यक्रम है। इसे चलते रहना चाहिए।
नीतू चंद्रा अपनी प्रतिभा से इसे और दर्शनीय व आकर्षक
बना सकती हैं। उन्हें अच्छी टीम मिली है। ‘रंगोली’ का लेखन रीना पारीख करती हैं। उनके जुड़ने के बाद ‘रंगोली’ निखरी और चटखदार हुई है।
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