कॉमन मैन अप्रोच है अक्षय कुमार का - सुभाष कपूर

कॉमन मैन अप्रोच है अक्षय कुमार का
-सुभाष कपूर
सबसे पहले तो मैं अक्षय कुमार को बधाई दूंगा। उन्‍हें सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता का राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार मिलना खुशी की बात है।
हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में अक्षय कुमार ऐसे अभिनेता रहे हैं,जो बार-बार राइट ऑफ किए जाते रहे हैं। फिल्‍मी पत्र-पत्रिकाओं में ऐसी घोषणाएं होती रही हैं। समय-समय पर कथित एक्‍सपर्ट उनके अंत की भविष्‍यवाणियां करते रहे हैं। उनके करिअर की श्रद्धांजलि लिखी गई है। अक्षय कुमार अपनी बातचीत में इसका जिक्र करते हैं। इन बातों को याद रखते हुए वे आगे बढ़ते रहे हैं।
अच्‍छा है कि एक मेहनती और अच्‍छे अभिनेता की प्रतिभा को राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार ने रेखांकित किया है। अभी वे जैसी फिल्‍में कर रहे हैं,जैसे किरदार चुन रहे हैं,जैसे नए विषयों पर ध्‍यान दे रहे हैं,वैसे समय में उनको यह पुरस्‍कार मिलना बहुत मानी रखता है।
अक्षय कुमार बहुत ही सरल अभिनेता हैं। वे मेथड नहीं अपनाते। वे नैचुरल और नैसर्गिक अभिनेता हैं। जॉली एलएलबी 2 के अनुभव से कह सकता हूं कि वे किरदार और फिल्‍म पर लंबे विचार-विमर्श में नहीं फंसते। अपने किरदार को देखने-समझने की उनकी आम लोगो की शैली है। मुझे ऐसा लगता है कि उसकी कॉमन मैन अप्रोच से वे फिल्‍म करने ना करने का फैसला लेते हैं।
अक्षय कुमार सौ फीसदी निर्देशक के अभिनेता हैं। वे सेट पर अधिक सवाल नहीं पूछते। वे अपने अनुभव या अभिव्‍यंजना को किरदार में जबरन नहीं डालते। डायरेक्‍टर की बात सुनते हैं। उसके निर्देशों का पालन करते हैं। मेरी फिल्‍म में उनके साथ कई प्रशिक्षित अभिनेता थे। वे उनकी बहुत इज्‍जत करते हैं। वे अक्‍सर कहते हैं कि प्रशिक्षित अभिनेताओं के सामने उनकी कोई काबिलियत नहीं है। फिर भी मैं कहूंगा कि कई बार वे चौंकाते हैं।
मेरी फिल्‍म में हीना सिद्दीकी के साथ के उनके सीन बहुत पावरफुल हैं। उन सीन में अक्षय कुमार ने पूर्ण समर्पण किया। उन्‍होंने सामने के कनाकार को पूरा मौका दिया। वे उन सीन में कुछ भी नहीं कर रहे हें। जाहिर सी बात है कि सीन में कैरेक्‍टर के महत्‍व को समझते हुए वे हीरोगिरी करने से बचते हैं। ऐसा ही एक सीन सौरभ शुक्‍ला और अन्‍नू कपूर के धरने पर बैठने का है। वहां जॉली चुपचाप रहता है। अक्षय कुमार का यह फेवरिट सीन है।
मुझे नहीं लगता कि किसी योजना के तहत अक्षय कुमार इस मुकाम पर आए हैं। सब कुछ होता गया और उस प्रवाह में दम साधे अक्षय कुमार बढ़ते रहे। लोकरुचि बदल रही है,वक्‍त बदल रहा है,इसका उन्‍हें भरपूर एहसास है। अपनी बातों में वे बताते हैं कि दर्शक कैसे बदल रहे हैं? वे कलाकारों और निर्देशकों से अपनी सोच में बदलाव लाने पर जोर देते हैं। खुद को उसी के अनुरूप वे बदलते गए। बदलते वक्‍त की समझ रखते हैं अक्षय कुमार। यह उनके काम की वैरायटी में साफ नजर आता है। वे निजी बातचीत में बगैर जुमलों के अपने विचार रखते हैं।
यह उनकी विनम्रता है कि वे स्‍वयं को फिल्‍म इंडस्‍ट्री का सबसे टैलेटेड या खूबसूरत एक्‍टर नहीं मानते। वे अपनी कड़ी मेहनत और अनुशासन का जरूर उल्‍लेख करते हैं। काम और प्रोफेशन के प्रति समर्पण को वे सर्वोपरि मानते हैं1 हां,एक बात जरूर कहूंगा कि उन्‍हें कैरा और लेंस की बहुत अच्‍छी समझ है। वे अपने परफारमेंस की बारीकी और निर्देशक की जरूरत समझते हैं।
अमिताभ बच्‍चन और विनोद खन्‍ना उनके आदर्श और प्रिय अभिनेता हैं।
( राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार से सम्‍मानित सुभाष कपूर जॉली एलएलबी 2 के निर्देशक हैं। फिलहाल वे अक्षय कुमार के साथ मुगल की तैयारी कर रहे हैं।)

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