रोज़ाना : मॉडर्न क्लासिक ‘ताल’ का खास शो
रोज़ाना/ अजय ब्रह्मात्मज
मॉडर्न क्लासिक ‘ताल’ का खास शो
महानगर मुंबई और इतवार की शाम। फिर भी सुभाष घई का
निमंत्रण हो तो कोई कैसे मना कर सकता है? उत्तर मुंबई के उपनगर से
दक्षिण मुंबई मुखय शहर में जाना ही पहाड़ चढ़ने की तरह है। इसके बावजूद खुद को
रोकना मुश्किल था,क्योंकि सुभाष धई ने अपन फिल्म ‘ताल’ देखने का निमंत्रण दिया था। सुभाष घई अब सिनेमाघर के बिजनेस
में उतर आए हैं। वे पुराने सिनेमाघरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें नई सुविधाओं से
संपन्न कर रहे हें। उन्हें मुंबई के फोर्ट इलाके में स्थित न्यू एक्स्लेसियर
सिंगल स्क्रीन में आधुनिक प्रोजेकशन और साउंड सिस्टम बिठा दिया है। उसयकी सज-धज
भी बदल दी है। इसी सिनेमाघर में वे 1999 में बनी अपनी फिल्म ‘ताल’ दिखा रहे थे। इस खास शो में
उनके साथ म्यूजिक डायरेक्टर एआर रहमान, कैमरामैन कबीर लाल, कोरियोग्राफर श्यामक
डावर, संवाद लेखक जावेद सिद्दीकी व गायक सुखविंदर सिंह भी मौजूद रहेथ।
फिल्ममेकिंग की रोचक और खास
प्रक्रिया है। एक डायरेक्टर अपने विजन के अनुसार कलाकारों और तकनीशियन की टीम जमा
करता है और फिर महीनों, कई बार सालों में अपनी सोच को सेल्युलाइड पर उतारने की
कोशिश करता है। लोकप्रिय, चर्चित और देखी हुई क्लासिक की रचना और निर्माण
प्रक्रिया से वाकिफ होने पर फिल्म के दृश्य खुलते हैं। उनके साथ जुड़ी घटनाओं को
जानने पर हर दृश्य का रोमांच बढ़ जाता है। ‘ताल’ शोमैन सुभाष घई की म्यूजिकल लवस्टोरी है।
मिस वर्ल्ड ऐश्वर्या राय के
सौंदर्य से प्रेरित ‘ताल’ में नृत्य
और संगीत का नया आकर्षण था। एआर रहमान के लयपूर्ण संगीत की ताजगी आज भी कानों में
रस घोलती है। लगातार 17 दिनों तक सुभाष घई के दिन और एआर रहमान की रातों की मेहनत
से ‘ताल’ का
संगीत तैयार हुआ था। आनंद बख्शी के गीतों को रहमान ने संगीत से संवारा। शब्दों
में लय और गति जोड़ी। श्यामक डावर ने उसी लय और गति को नृत्य में उतार दिया। ‘ताल’ में ऐश्वर्या राय की नृत्य
मुद्राएं भित्ति चित्रों की रूपसियों और अप्सराओं की याद दिलाती हैं।
‘ताल’ हर लिहाज से 20 वीं सदी की
मॉडर्न क्लासिक हिंदी फिल्म है।
@brahmatmajay
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