वक्त के साथ बदला है सिनेमा - विक्रमादित्य मोटवाणी
विक्रमादित्य
मोटवाणी
-अजय ब्रह्मात्मज
विक्रमादित्य मोटवाणी की ‘लूटेरा’ 2010 में आई थी। प्रशंसित
फिल्में ‘उड़ान’ और ‘लूअेरा’ के बाद उम्मीद थी कि
विक्रमादित्य मोटवाणी की अगली फिल्में फआफट आएंगी। संयोग कुछ ऐसा रहा कि उनकी
फिल्में समाचार में तो रहीं,लेकिन फलोर पर नहीं जा सकीं। अब ‘ट्रैप्ड’ आ रही है। राजकुमार राव
अभिनीत यह अनोखी फिल्म है।
सात सालों के लंबे अंतराल की एक वजह यह भी रही कि
विक्रमादित्य मोटवाणी अपने मित्रों अनुराग कश्यप,विकास बहल और मधु मंटेना के साथ
प्रोडक्शन कंपनी ‘फैंटम’ की
स्थापना और उसकी निर्माणाधीन फिल्मों में लगे रहे। वे अपना पक्ष रखते हैं,’ मैं कोशिशों में लगा था। ‘लूटेरा’ के बाद ‘भावेश जोशी’ की तैयारी चल रही थी। लगातार एक्टर बदलते रहे और फिर उसे
रोक देना पड़ा। बीच में एक और फिल्म की योजना भी ठप्प पड़ गई। प्रोडक्शन के काम
का दबाव रहा। इन सगकी वजह से वक्त निकलता गया और इतना गैप आ गया।‘
‘ट्रैप्ड’ जैसी अपारंपरिक फिल्म का आयडिया कहां से आया? हिंदी की आम फिल्मों से अलग संरचना और कथ्य की इस फिल्म
की योजना कैसे बनी? विक्रमादित्य बताते हैं,’ यह मेरा आयडिया नहीं है। अमित जोशी का एक मेल मिला था। उन्होंने
अपनी फिल्मों के एक-दो सिनोप्सिस भेजे थे। यह आयडिया मुझे अच्छा लगा था। मैंने
स्क्रिप्अ की मांग की तो कोई जवाब नहीं आया। दो महीनों के बाद वे 120 पेज की
स्क्रिप्ट लेकर आए। मैंने अमित जोशी के साथ हार्दिक मेहता को जोड़ा और उन्हें
स्क्रिप्ट डेवलप करने के लिए कहा। मैंने सोचा था कि स्क्रिप्ट तैयार कर लेते
हैं। जब 20-25 दिन का समय और कोई एक्टर मिलेगा तो कर लेंगे। बीच में ऐसा एक विंडो
आया तो मैंने राजकुमार से पूछा। वे राजी हो गए।‘ वे
आगे कहते हैं,’ राजकुमार राव ही मेरी पहली और आखिरी
च्वाइस थे। ‘मसान’ के
समय राजकुमार राव फायनल हो चुके थे। फिर किसी वजह से वे अलग हो गए। उसके पहले से
ही मेरे मन में था कि उनके साथ एक फिल्म करनी है। ‘ट्रैप्ड’ के रोल के लिए वे सही चुनाव हैं। वनरेबल और ऑनेस्ट किरदार
में वे सही लगे।‘
‘ट्रैप्ड’ ऊंची बिल्डिंग में फंसे एक व्यक्ति की कहानी है। फिल्म में
अकेले किरदार की भूमिका राजकुमार राव निभा रहे हैं। इस फिल्म का निर्देशन किसी
चुनौती सें कम नहीं रही। एक्टर और डायरेक्टर को मिल कर घटनाएं इतनी तेज और रोचक
रखनी थीं कि दर्शकों का इंटरेस्ट बना रहे। विक्रमादित्य बताते हैं,’ हम ने स्क्रिप्ट पर मेहनत की थी। दर्शको को इंटरेस्ट हर
सीन में बना रहे। मैं इसे किरदार के दिमाग से नहीं बना रहा था। मुझे इंटरेस्टिंग
एक्टर मिल गया था। उनकी वजह से थोड़ा काम आसान हो गया था।‘
विक्रमादित्य ने फिल्म का बजट सीमित रखा। वे ऐसी
फिल्मों के लिए इसे जरूरी मानते हैं,’ इस फिल्म को हम 20 करोड़
में नहीं बना सकते थे। किसी पॉपुलर स्टार के साथ भी बनाते तो फिल्म मंहगी हो
जाती और दर्शकों की अपेक्षाएं बढ़ जातीं। अभी ऐसी फिल्मों के दर्शक आ गए हैं। यों
अभी ‘दंगल’ जैसी
कमर्शियल फिल्में बन रही हैं। पिछले साल कमर्शियल फिल्मों में भी वैरायटी आ गई
है। अभी अक्षय कुमार ने ‘जॉली एलएलबी2’ जैसी फिल्म की। पांच-दस साल पहले आप इन स्टारों के साथ ऐसी
फिल्मों की कल्पना नहीं कर सकते थे। हम ने अपनी औकात में ही ‘ट्रैप्ड’ बनायी है।‘ इस फिल्म के ट्रेलर पर आ रहे रिएक्शन से विक्रम खुश हैं।
सभी को लग रहा है कि राजकुमार राव फोन क्यों नहीं कर रहे? विक्रमादित्य हंसते हैं,’ मैं
अभी नहीं बताऊंगा। उसके पीछे एक राज है। मुझ से तो कुछ पत्रकारों ने भी पूछा।‘
विक्रमादित्य मोटवाणी की अगली फिल्म ‘भावेश जोशी’ में हर्षवर्द्धन कपूर हैं।
नाम से ऐसा लगता है कि यह कोई बॉयोपिक है। विक्रमादित्य इस अनुमान से इंकार करते
हैं,’ यह एक सजग युवक की कहानी है। यों
समझें कि 21 वीं सदी के दूसरे दशक का एंग्री यंग मैन है। नाम के प्रति आकर्षण के
बारे में सच यह है कि मेरे स्कूल का एक दोस्त था भावेश जोशी। उसके नाम को ऐसा
असर था कि सभी उसे पूरा नाम लेकर बुलाते थे। मैंने फिल्म का वही नाम रख दिया।‘
विक्रमादित्य मोटवाणी हर तरह की फिल्में करना चाहते
हैं। उनके प्रशंसकों को बता दें कि फिल्मों की इंटरनेशनल साइट आईएमडीबी की सूची
में उनकी ‘उड़ान’
दुनिया की बेहतरीन 200 फिल्मों में शामिल है।
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