दरअसल : एकाकी हैं करण जौहर
दरअसल
एकाकी हैं करण
जौहर
-अजय ब्रह्मात्मज
करण जौहर की
‘ऐन अनसुटेबल ब्वॉय’
मीडिया में चर्चित है। इसके कुछ अंश विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपे हैं। किताबों
से वैसे रोचक प्रसंग लिए गए हैं, जहां करण जौहर अपने सेक्सुऐलिटी के बारे में नहीं
बताना चाहते। वे सेक्स की बातें करते हैं, लेकिन अपने सेक्स ओरिएंटेशन को अस्पष्ट
रखते हैं। उनकी अस्पष्टता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। शायद पाठकों को मजा आ
रहा होगा। करण जौहर बेहद स्मार्ट फिल्मी हस्ती हैं। उन्होंने दर्शकों और पाठकों को
मुग्ध करने और अपने प्रति आकर्षित करने की कला सीख ली है। वह हिंदी फिल्म
इंडस्ट्री के पहली डिजाइनर पर्सनैलिटी हैं, जिनके बात-व्यवहार से लेकर चाल-ढाल और
प्रस्तुति सब कुछ नपी-तुली होती है। उन्हें मालूम है कि उनका लेफ्ट प्रोफाइल
ज्यादा अच्छा लगता है तो कैमरे के सामने आते ही वे हल्का सा दाहिना एंगल ले लेते
हैं। फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा सधा व्यक्तित्व नहीं है। पत्र-पत्रिकाओं में शाह
रुख खान से उनके संबंध और काजोल से बिगड़ते रिश्तों के विवरण के अंश भी प्रकाशित
हुए। दरअसल, फिल्मों से संबंधित हर किस्म के लेखन और उल्लेख में गॉसिप का तत्व
बढ़ गया है। जब भी किसी फिल्मी हस्ती के बारे में कोई पूछता है कि ...और क्या चल
रहा है उनकी जिंदगी में? तो उसका सीधा आशय होता है
कि किसी नए प्रेमी या प्रेमिका की आमद हो गई है क्या? प्रेम और रोमांस के
गुलछर्रों में सभी की रुचि रहती है। फिल्मी हस्तियों के निजी जीवन के दुख और
संत्रास के बारे में हम जानना ही नहीं चाहते।
‘ऐन अनसुटेबल बॉय’ के वे अध्याय अधिक रोचक और
जानकारीपूर्ण हैं, जिनमें करण जौहर खुद के बारे में बातें करते हैं। वे बताते हैं
कि बचपन के भोंदू करण जौहर में कब और कहां से आत्मविश्वास आया? कैसे उन्होंने अपनी बाकी कमियों को छिपाने के लिए आत्मविश्वास
का इस्तेमाल किया? क्लास में सभी के चहेते बने और अपनी
मां का नजरिया बदला। करण जौहर के पिता यश जौहर अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनसे
अपने लगाव और पिता के प्रेम और विश्वास की घटनाओं को पढ़कर आंखें छलक आती हैं। ‘दे डेट ऑफ माय फादर’ में पिता के निधन के बाद
अकेले पड़े करण जौहर को हम देखते हैं। उस असहाय अवस्था से वह कैसे निबटते हैं। मां
और अपनी कंपनी को संभालते हैं। वे धर्मा प्रॉडक्शन को देश की सफल फिल्म कंपनी के
तौर पर स्थापित करते हैं।
उन्होंने
धर्मा प्रोडक्शन और अपने प्रोडक्शन की फिल्मों के बारे में विस्तार से लिखा है।
उन्होंने अपनी कमजोर फिल्मों का बचाव नहीं किया है। उनकी कमियों को उजागर और जाहिर
किया है। उन्हें कुछ फिल्में बहुत प्रिय हैं तो ‘कभी
अलविदा न कहना’ को वे फिर से बनाना चाहते हैं। इन
अध्यायों में हमें करण जौहर की सोच और दर्शन का परिचय मिलता है। पता चलता है कि
उनकी सोच वास्तव में कितनी ‘अर्बन’ और देश की कठोर सच्चाइयों से कटी हुई है। कहीं-कहीं वे इसके
एहसास का आभास देते हैं, लेकिन अपने वजूद या परिवेश को लेकर वे किसी गिल्ट में
नहीं हैं।
इस किताब को
पढ़ते हुए पता चलता है कि हंसमुख, मिलनसार और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी करण जौहर निहायत अकेले और एकाकी व्यक्ति
हैं। उनके आसपास कोई नहीं है। एक मां के सिवा। वे चाहते हैं कि एक बच्चा गोद ले
लें या माडर्न मेडिकल सुविधाओं से एक संतान पैदा करें। उन्हें अपने बुढापे और
भविष्य की घोर चिंता है। उन्हें चिंता है कि अस्वस्थ और लाचार होने पर कौन उनकी
देखभाल करेगा? उनकी सफल और समृद्ध कंपनी का वारिस
कौन होगा? इस किताब को हमें उनके दोस्तों का
हवाला मिलता है। उनके गिने-चुने दोस्त हैं। यहां तक कि फिल्म इंडस्ट्री की सारी
यारी-दोस्ती की कलई खुलती सी दिखती है। करण जौहर अपने दोस्त और धर्मा प्रोडक्शन के
सीईओ अपूर्वा का शिद्दत से उल्लेख करते हैं। ऐसी दोस्ती फिल्मों और किताबों में ही
देखी –पढी गई है। चौथी कक्षा से लेकर अभी
तक अपूर्वा से उनकी दोस्ती जिंदगी की मुश्किलों से बचे रहने का ढाल रही है।
इस किताब के
अंतिम अध्यायों में उन्होंने समकालीन फिल्म इंडस्ट्री की भी बातें की हैं। इन
अध्यायों में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में आए बदलावों का विस्तृत विवेचन किया
है। साथ ही भविष्य की संभावनाओं के बारे में भी बताया है। करण जौहर की ‘ऐन अनसुटेबल बॉय’ सभी फिल्म प्रेमियों और खास
कर फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत युवाओं को पढनी चाहिए। यह पठनीय और उल्लेखनीय
किताब है।
बॉक्स ऑफिस
है मुकाबला ‘काबिल’ और ‘रईस’ में
-अजय
ब्रह्मात्मज
इस बार
बुधवार को ही नई फिल्में रिलीज हो गई हैं। रितिक रोशन की ‘काबिल’ और शाह रुख खान की ‘रईस’ आमने-सामने है। दोनों ही
ल्रमें के प्रशंसक और दर्शक हैं। माना जा रहा है कि पहले दिन ‘रईस’ का कलेक्शन ज्यादा होगा और
उसके बाद उस फिल्म के दर्शक बढ़ेंगे, जिसका कंटेंट और एंटरटेनमेंट दर्शकों को अधिक
पसंद आएगा। ट्रेड पंडितों के अनुसार दोनों फिल्में साथ नहीं आती तो दोनों को ही
फायदा होता। ऐसी भी उम्मीद की जा रही है कि दोनों फिल्में चल सकती हैं। क्योंकि
दोनों फिल्मों में अलग-अलग खूबियां हैं और दोनों में लोकप्रिय स्टार हैं। पिछली
फिल्मों में ‘दंगल’ अभी
तक किसी-किसी थिएटर में टिकी हुई है और उसका कलेक्शन बढ़कर 385 करोड़ से अधिक
पहुंच गया है।
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