बस अभी चलते रहो -तापसी पन्‍नू

बस अभी चलते रहो -तापसी पन्‍नू
-अजय ब्रह्मात्‍मज

हिंदी सिनेमा में अभिनय और एक्शन से बाकी अभिनेत्रियों के मुकाबले अलग पहचान बना रही हैं तापसी पन्नू। 'बेबी7 और 'पिंक7 के लिए तारीफ बटोर चुकीं तापसी 'नाम शबाना' में टाइटल रोल के साथ नजर आने वालीं हैं। उन्होंने अजय ब्रह्मात्मज से शेयर किए अपने अनुभव...

अभी क्या चल रहा है?
'नाम शबाना5 की शूटिंग चल रही है। साथ ही भगनानी की 'मखनाÓ की भी आधी शूटिंग हो चुकी है। 'मखना- में मैं साकिब सलीम के साथ कर रही हूं। इसकी निर्देशक अमित शर्मा की पत्नी आलिया सेन हैं। वो बहुत बड़ी एड फिल्ममेकर हैं। उन्होंने मेरी म्यूजिक वीडियो साकिब के साथ बनाई थी। हमारी केमेस्ट्री हम दोनों को पसंद आई तो सोचा कि उन्हीं के साथ फिल्म भी कर लेते हैं। दोनों फिल्मों की शूटिंग आगे-पीछे चल रही है।
'मखना7 किस तरह की फिल्म होगी?
यह पंजाबी लव स्टोरी है। दिल्ली के किरदार हैं पर वैसी दिल्ली बिल्कुल नहीं है, जैसी 'पिंकÓ में दिखाई थी। इसमें मैं अलग तरह की दिल्ली लड़की बनी हूं। मतलब उस टाइप की नहीं जैसी मैं हूं। बहुत अपोजिट किरदार है ये मेरे लिए।
और 'नाम शबाना' क्या है ?
'नाम शबानाÓ में भी मैं कंफर्ट जोन से बाहर आई हूं। इतनी बाहर कि कई बार समझ नहीं आता कि किस सिचुएशन में किरदार क्या रिएक्शन देगा। डायरेक्टर से जाकर पूछना पड़ता है। मैं कैजुअल हूं, पर मेरा किरदार बिल्कुल कैजुअल नहीं है। मैं हंसी-खेल में काम करने वाली लड़की हूं। शबाना ऐसी बिल्कुल नहीं है। वह हर चीज में ओवर अटेंटिव रहने वाली लड़की है या फिर बहुत जल्दी गुस्सा हो जाती है। उसका व्यंग्यात्मक सेंस ऑफ ह्यूमर है। इधर-उधर की बात बिल्कुल नहीं करती। उसके अपने अंदर ही बहुत गहरी कहानी चलती रहती है।
कितना सच है कि यह 'बेबी' का प्रीक्वेल है?
काफी हद तक सच है। हम इसको टैग नहीं करना चाहते कि यह प्रीक्वेल या सीक्वेल है। यह सच है ये 'बेबीÓ फ्रेंचाइजी का पार्ट है। 'बेबीÓ में मेरे निभाए किरदार के बनने की कहानी है। उस हिसाब से प्रीक्वेल मान लीजिए पर ऐसा कोई टैग देकर हम शुरुआत नहीं कर रहे हैं। हमने नाम भी अलग रखा है। 'बेबी-1Ó या 'बेबी-2Ó नहीं रखा है। यह पूरी अलग स्टोरी है। हां, 'बेबीÓ के किरदार यहां पर भी होंगे। संक्षेप में मेरे किरदार की बैकस्टोरी है।
मनोज वाजपेयी का एक नया किरदार है? वे आपके कोच हैं क्या?
जी हां। बहुत ही विशेष किरदार है उनका। वही हैं जो शबाना के बनने के लिए जिम्मेदार होंगे। वो पूरी तरह से कोच तो नहीं हैं। उनके किरदार के बारे में पूरी तरह से फिल्म देखने पर ही आपको पता चलेगा।
मनोज के साथ कैसा अनुभव रहा?
हमारे साथ में ज्यादा सीन नहीं हैं, एक-दो सीन हैं। एक्शन है इस वजह से ज्यादा मोमेंट, चेज और रन एक्शन है। अक्षय के साथ भी एक्शन सीक्वेंस हैं। अक्षय का इस फिल्म में कैमियो है। इस बार 'बेबीÓ से ज्यादा हमारी बातचीत हो पाई है। उनका सेंस ऑफ ह्यूमर कमाल का है। हर शॉट में उनका इनपुट रहता था। वे कहते थे कि चल अब इसे ऐसा कर लेते हैं। तू ऐसा कर दियो। मैं उनसे कहती कि सर यह नीरज पांडे की लिखी फिल्म है। इसमें अगर मैंने ऐसा-वैसा कुछ कर दिया... कोई गैग डाल दिया तो वो मुझे मार डालेंगे। वे कहते थे कि कोई नहीं तू कर। वे जब बोलते हैं तो पता ही नहीं चलता कि मजाक कर रहे हैं या गंभीर होकर बोल रहे हैं। बहुत मजा आया उनके साथ काम करके।
अपनी जर्नी को कैसे देखती हैं? कहां तक आप पहुंची हैं?
अभी पीछे मुडकर देखा नहीं है कि कहां तक पहुंच गई हूं। बस मजा आ रहा है।
आगे का कुछ तो सोचा होगा न, अगर एक से दस तक मान लें तो?
हम जब अपने आपको देखते हैं तो हमारे ऊपर और नीचे लोग होते हैं। आप चाहे किसी भी मुकाम पर पहुंच जाओ। आपके ऊपर भी लोग होंगे और नीचे भी। हमारी कोशिश रहती है कि अपने पोजिशन को हम किस तरह इंप्रूव करें। अगर आप यह देखना शुरू करेंगे कि मेरे ऊपर और कितने लोग रह गए हैं तो मुश्किल बढ़ जाएगी। 
'पिंक' से बेहतर करने का प्रेशर तो नहीं है?

बहुत प्रेशर है मुझ पर। अपने आपको मुश्किल में डाल दिया है मैंने। वह सोचती हूं एक सेकेंड के लिए फिर उसे स्नैप आउट करके साइड में रख देती हूं और दोबारा सोचती हूं कि जो भी है, बस अभी चलते रहो। जो होगा, सही होगा। मैंने बिल्कुल प्लान नहीं किया था। सब कुछ अपने आप होता गया। यही सोचती हूं कि हर फिल्म ऐसे करूं जैसे मेरी पहली फिल्म हो। उसी सोच से काम करती हूं। साऊथ में मैं कुछ गलतियां कर चुकी हूं। कोशिश है कि हिंदी सिनेमा में उसे रिपीट न करूं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि तापसी मेनस्ट्रीम सिनेमा का हिस्सा हो चुकी हैं, कैसा लगता है?
जी बिल्कुल। मैंने तो अपनी शुरुआत कॉमर्शियल फिल्मों से की थी। उसके बाद सोचा कि लोगों को मैं दिख गई, चलो अब दिखाती हूं कि मैं एक्टिंग भी कर सकती हूं। अगर मैं 'पिंकÓ जैसी फिल्म से शुरुआत करती तो लोग मुझे गंभीर अदाकारा समझकर साइड लाइन कर देते।
किन डायरेक्टर्स के साथ काम करने का सोचा है?
अभी तो मैंने शुरुआत की है। तीन निर्देशकों के साथ काम किया है। अभी तो हर निर्देशक नए और टैलेंटेड हैं। ऐसा नहीं है कि गिनती के निर्देशक बचे हैं। जिन्होंने अच्छा काम किया है, अगर मैं उनकी लिस्ट बनाने बैठती हूं तो भी सबका नाम अपने दिमाग में नहीं रख सकती।
हिंदी सिनेमा में सफर में किस तरीके से आपका पूरा प्लान चल रहा है?
प्लान तो ऐसा है कि मेरा यहां पर आना ही प्लान में नहीं था। यही कोशिश करती हूं कि जहां पर भी हूं, वहां से एक लेवल ऊपर ही जाऊं। नीचे न जाऊं। उसी स्तर पर रहूं तो भी कुछ हद तक ठीक है। एक हिट फिल्म दे दी। अच्छी दिख गई। अच्छी फिल्म मिलने के लिए और क्या चाहिए? इसके बावजूद आज की तारीख में बताया जाता है कि आप कतार में हैं।
क्या ये इंडस्ट्री से बाहर का होने की वजह से होता है?
जी हां, ये तो मैं मानती हूं। मैं ये नहीं कहती कि इंडस्ट्री की लड़कियों पर मेहरबानी होती है। फिर भी उन्हें अधिक मौके मिलते हैं, जिनके माता-पिता, जान-पहचान वाला या कोई रिश्तेदार इंडस्ट्री में हों। मेरे पास इनमें से कुछ भी नहीं था। मेरे पास तो थ्री मूवी कांट्रेक्ट भी नहीं था। कई बार मुझसे पूछा जाता है कि बगैर किसी मदद के आप यहां तक कैसे पहुंच गईं? मेरे पास कोई जवाब नहीं होता। बस ये कि मुझे अपना काम पसंद है और मैं खुश होकर अपना काम करती हूं।

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