पहली बार अकेला हूं - अनुभव सिन्हा
-अजय ब्रह्मात्मज
पंद्रह
सालों के बाद अनुभव सिन्हा फिर से ‘तुम बिन’ लेकर आ रहे हैं। इसे वे
फ्रेंचाइज कहते हैं। पिदली फिल्म के चार ततवों को लकर उन्होंने –तुम बिन 2’ तैयार की है। उन्होंने यहां इस फिल्म
के बारे में बातें कीं...
-‘तुम बिन’ और ‘तुम बिन 2’ के बीच के पंद्रह सालों में देश,समाज
ओर फिल्मों में बहुत कुछ बदल चुका है। आप क्या फर्क महसूस कर रहे हैं?
0 मैं इस तरह से
देख और सोच नहीं पाता। मुझे नहीं लगता कि किसी भी निर्देशक में इतनी सलाहियत होती है
कि वह दर्शकों को भांप सकें। इतना डिटेल अध्ययन तो मार्केटिंग के लोग कंज्यूमर प्रोडक्ट
के लिए करते हैं। आप आज कौन हैं और आप की कहानी क्या है... ये दोनों मिल कर फिल्म
तय करते हैं। सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर नजर रहती है। सामाजिक और पारिवारिक
संबंध किस रूप में बदले हैं? मैंने ज्यादा गौर नहीं किया है। मुझे एक कहानी जंची,लिखना शुरू किया और एक स्क्रिप्ट
तैयार हो गई। मैाने नहीं सोचा कि आज का यूथ क्या सोच रहा है?
-यूथ ही तो ‘तुम बिन 2’ जैसी फिल्मों का दर्शक होगा?
0 यूथ क्या पसंद
करता है ? ‘तुम बिन 2’ के टीजर में जगजीत सिंह की गजल डाली
गई तो उसक प्रति यूथ का रेस्पांस बहुत उत्सासहवर्द्धक रहा। हमलोग यूथ का हल्के रूप
में लेने लगे हैं। धारणा बन गई है कि उन्हें ट्रैडीशनल और क्लासिक पसंद नहीं है।
सच कहें तो हमलोग यूथ को ढंग से नहीं जानते। सिर्फ गेस खेलते हैं।
-पिछले पंद्रह सालों
में आप में भी तब्दीली आई होगी? प्रेम व रिश्तों के बारे में साच बदली होगी?
0 हां,बदली है न।
पहले मैं रिश्तों को अलग नजरिए से देखता था। मेरे करीबी बता रहे हैं कि उन्हें फर्क
दिख रहा है। एक डिनर का सीन है,जिसमें श्वसुर आपी बहू के लिए रेड वाइन का ग्लास भर
रहा है। 2001 में यह नहीं कर सकता था। यह सीन ऐसे डिजाइन किया गया। स्त्री-पुरुष संबंधों
में आए बदलाव को अनेक दृश्यों में देख सकेंगे। उम्र,तजुर्बे और जिंदगी की सीख ने सोचने
और देखने का तरीका बदल दिया है। कुछ कदम आगे आया हूं। परिपक्वता आ गई है।
-‘तुम बिन 2’ पहली फिल्म का रीमेक है,फ्रंचाइज
है या सीक्वल है?
0 मैा इसे फ्रेंचाइज
ही कहूंगा। सीक्वल तो हो ही नहीं सकता था। पिछली फिल्म के किरदारों को लेकर यंग कहानी
नहीं बनाई जा सकती थी। मुझे अंदाजा नहीं था कि ‘तुम बिन’ की कहानी पंद्रह साल जिंदा
रहेगी। आप बताएं कि 2001 की कितनी फिल्में याद हैं अभी? पिछले पांच सालों से मैं ‘तुम बिन 2’ के बारे में सोच रहा था। फरमाईश आ
रही थी कि कुछ करूं। लगभग हर दिन कोई न कोई ‘तुम बिन’ के लिए आभार या बधाई देता
रहा। सोशल मीडिया पर उसे कल्ट क्लासिक भी कहा गया। मेरे लिए परेशानी थी कि ‘तुम बिन 2’ में क्या हो ? किसी भी प्रेमकहानी को ‘तुम बिन 2’ नाम देना दर्शकों को धोखा देना होता।
यह खोजने में मुझे एक साल लगा कि ‘तुम बिन’ की कौन सी बातें दर्शकों
का भायी थीं। मुझे संगीत समेत ऐसे तत्वों को लेकर चलना था। अभी तत्वों के विस्तार
में जाऊंगा तो कहानी प्रगट हो जाएगी। चार तत्व हैं वे।
-इस फिल्म में
बतौर लेखक भी आप का नाम जा रहा है?
0 हां,सात फिल्मों
में पहली बार निर्देशक के साथ लेखक का टायटल ले रहा हूं। पहली बार अकेला हूं। मैं इसे
पूरी तरह से अपनी फिल्म कह सकता हूं। यहां मेरा सिग्नेचर मिलेगा।
-अपने किरदारों को
विदेश ले जाने की क्या जरूरत थी? प्रेमकहानी भारत में भी हो सकती थी?
0 चार तत्वों में
से दूसरा तत्व यही है। मुझे मनमोहक बर्फीली वादी चाहिए थी। मैं कश्मीर जा सकता था,लेकिन
वह नहीं हो सका। हो सकता है ‘तुम बिन’ की अगली कड़ी बनारस में
हो। पिछली बार कनाडा गया था। इस बार स्कॉटलैंड गया। फिल्म देखते समय आप लोकेशन के
महत्व को समझ पाएंगे।
-कलाकारों के चुनाव का आधार क्या रहा?
0 नए कलाकारों के
चुनाव में हमेशा बेहतर की उम्मीद बनी रहती है। मंकेश छाबड़ा मेरी मदद करते रहे। फिर
एक वक्त आया कि उपलब्ध कलाकारों में ही चुनाव करना पड़ा। मैंने स्क्रिप्ट,किरदार
और कलाकारों की परफारमेंस पर ही ध्यान रखा। मेरी फिल्म में नेहा शर्मा को देख कर
दंग रह जाएंगे।
-संगीत के बारे
में क्या कहेंगे?
0 अंकित तिवारी
ने संगीत तेयार किया है। मैं इन दिनों के ट्रेंड के मुताबिक अनेक संगीतकारों की मदद
नहीं लेना चाहता था। मुझे नए में अंकित तिवार अच्छे लगे। उन्होंने पहला गाना तैयार
किया। वह पसंद आया तो सिलसिला बनता चला गया। ऐसा नहीं है कि मैं उन्हें पेश करने के
भाव में हूं। यों इस फिल्म में ढेर सारे लोग डेब्यू कर रहे हैं।
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