कॉमेडी की है मेरी अपनी परिभाषा - मनोज बाजपेयी
-अजय ब्रह्मात्मज
मनोज बाजपेयी को हाल ही में 7वें जागरण फिल्म
फेस्टिवल में ‘अलीगढ़’ के लिए श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला है। उनकी ‘सात उचक्के’ रिलीज पर है। इस साल यह
उनकी तीसरी फिल्म होगी। तीनों फिल्मों में वे बिल्कुल भिन्न भूमिकाओं में
दिखे।
- बधाई। 7वें जागरण फिल्म फेस्टिवल में श्रेष्ठ
अभिनेता का पुरस्कार पाने पर आप की क्या प्रतिक्रिया है ?
0 मुझे बहुत अच्छा लगा। दैनिक
जागरण और जागरण फिल्म फेस्टिवल से मैं जुड़ा रहा हूं। बेहतरीन सिनेमा के
प्रचार-प्रसार में वे बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मेरे लिए ‘अलीगढ़’ का पुरस्कार खास मानी रखता
है। दूसरे पुरस्कारों में मेनस्ट्रीम की फिल्मों पर फोकस रहता है। ‘अलीगढ़’ जैसी फिल्मों को पहचान और
पुरस्कार मिले तो अच्छा लगता है। ‘अलीगढ़’ को फस्टिवल सर्किट में काफी सराही गई है। मुझे मिला पुरस्कार
एक तरीके से प्रोफेसर सिरस का भी सम्मान है।
-इस बीच आप की ‘बुधिया सिंह’ भी सराही गई,लेकिन वह ढंग से दर्शकों के बीच पहुंच नहीं सकी।
0 मुझे भी लगता है कि ‘बुधिया
सिंह’ को सही बैकअप नहीं मिल पाया। उसकी
मार्केटिंग में भी दिक्कत रही। अगले ही हफ्ते दो बड़ी फिल्मों के आने से उसे
थिएटर से निकाल दिया गया।
- अभी ‘सात उचक्के’ आ रही है। इस फिल्म की चर्चा आप लगातार करते रहे हैं...आप
के उत्साह की कोई खास वजह?
0 यह अलग ढंग की फिल्म है। कहानी कहने का तरीका बिल्कुल
अलग है। हिंदी में ऐसी फिल्में नहीं लिखी गई हैं। लेखक-निर्देशक खास परिवेश और
परवरिश से आएं तभी ऐसी फिल्में हो पाती हैं। संजीव शर्मा ने इसे लिखा और
निर्देशित किया है। पुरानी दिल्ली के बारे में
तो ढेर सारी फिल्में बनी हैं। संजीव शर्मा ने पुरानी दिल्ली को नए अंदाज में देखा
और चित्रित किया है। उन्होंने वहां के किरदारों को खुद ही अचंभित तरीके से देखा
है। ‘सात उचक्के’ अनोखी फिल्म है।
-यह तो कॉमेडी फिल्म है न?
0 जी,यह कामेडी फिल्म है,लेकिन इसमें मुंह बिचकाने या
किसी पर हंसने का काम नहीं किया गया है। किसी का मजाक नहीं किया गया है। ‘सात उचक्के’ के किरदार अपनी
परिस्थितियों में यूं फंसे हैं कि हंसी आती है। मेरा किरदार कभी दबंग रहा है। अभी
वह एक लड़की से प्रेम करने लगा है। उसकी जिंदगी नष्ट हो रही है। लड़की से शादी
करने की कुछ शर्तें उसे पूरी करनी हैं। उन्हें पूरा करने के लिए वह दूसरे उचक्कों
की मदद लेता है।
- पहली बार दर्शक आप को एक कॉमिक रोल में देखेंगे?
0 मैंने कभी कामेडी करने के लिए कामेडी नहीं की। मैं
शुरू से स्पष्ट था कि मुझे क्या करना है। सीरियस भूमिकाओं में भी दर्शकों को
हंसाने के सीन मिल जाते हैं। अगर मेरी प्रतिक्रिया से किसी को हंसी आती है तो वह मेरे
लिए कामेडी है। मेरे लिए ऊलजुलूल हरकत कामेडी नहीं है। हालांकि दूसरों की ऐसी फिल्में
मुझे अच्छी लगती रही हैं।
- आप की पसंद की कामेडी फिल्में और कलाकार...
0 मुझे ‘हीरो नंबर 1’ में गोविंदा बहुत अच्छे लगे थे। ‘पड़ोसन’ मेरी प्रिय फिल्म है। मुझे
‘जाने भी दो यारो’ अपनी ब्लैक कामेडी की वजह
से बेहद पसंद है। अच्छी ह्यूमरस फिल्म का नमूना है वह। फिर से वैसी फिल्म नहीं
बनी।
- ‘सात उचक्के’ में आप के साथ अनेक उम्दा कलाकार है,जो आप के हमखयाल भी
हैं...
0 इस तरह की फिल्मों के लिए विजय राज बेहद काबिल
कलाकार हैं। उनकी टाइमिंग पकड़ पाना किसी दूसरे कलाकार के लिए मुश्किल काम है।
उनसे सिर्फ सीखा जा सकता है। मैंने के के और विजय राज से कुछ-कुछ लिया है। इस फिल्म
में अन्नू कपूर निराले अंदाज में हैं। नई लड़की अदिति शर्मा हैं। साथ ही दिल्ली
के थिएटर के के कलाकर जतिन,नितिन और विपिन है। सभी मंझे हुए कलाकार हैं। मुझे काफी
चौकनना रहना पड़ा।
Comments
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'