दरअसल : तनिष्‍ठा और सोनम



-अजय ब्रह्मात्‍मज

तनिष्‍ठा चटर्जी की फिल्‍म पार्च्‍ड हाल ही में रिलीज हुई। इस फिल्‍म में तनिष्‍ठा चटर्जी ने रानी का किरदार निभाया था। छोटी उम्र में शादी के बाद विधवा हो गई रानी अपने बेटे को पालती है और आदर्श मां के तौर पर समाज में पूछी जाती है। अचानक उसके जीवन में एक चाहनेवाला आता है और फिर वह शरीर के स्‍फुरण से परिचित होती है। तनिष्‍ठा ने इस किरदार को बखूबी निभाया। एनएसडी से प्रशिक्षित तनिष्‍ठा ने अनेक हिंदी और इंटरनेशनल फिल्‍मों में काम कर प्रतिष्‍ठा अर्जित की है। वह पुरस्‍कृत भी हो चुकी हैं। हिंदी सिनेमा में जो थोड़ी-बहुत पैरेलल और कलात्‍मक फिल्‍में बन रही हैं,उनमें सभी की चहेती हैं तनिष्‍ठा चटर्जी। उनका एक अलग मुकाम है।
पिछले दिनों इसी फिल्‍म के प्रचार के सिलसिले में वह एक कॉमेडी शों में गई थीं। यह विडंबना है कि मास अपील रखने वाली हिंदी फिल्‍में प्रचार के लिए टीवी शो का सहारा लेती हैं। ऐसे ही एक कॉमेडी शो में तनिष्‍ठा चटर्जी का मजाक उड़ाया गया। यह मजाक उनके रंग(वर्ण) को लकर था। तनिष्‍ठा ने आपत्ति की और बाद में चैनल के अधिकारियों से भी शिकायत की। उन्‍होंने फेसबुक पर अपनी बात सार्वजनिक की। विवाद बढ़ता देख चैनल के अधिकारियों ने तो माफी मांग ली,लेकिन उक्‍त शो के एंकर मोहम्‍मद अली रोड में पास्‍त का तर्क देने लगे।(बता दें कि मोहम्‍मल अली रोड मुंबई का मश्‍रूर मुस्लिम बहुल इलाका है,जो अपने लजीज नॉन वेज व्‍यंजनों के लिए भी मशहूर है।) तनिष्‍ठा ने लिखा है कि उनसे किया जा रहा मजाक अपने नेचर में रेसिस्‍ट और पुरानी धारणाओं पर आधारित था। न केवल रंग,बल्कि उनके ब्राह्मण होने पर भी सवाल किए गए और हैरत जाहिर किया गया कि उनका रंग ऐसा क्‍यों है? ऐसे भद्दे और फूहड़ मजाक होते रहे हैं। प्रतिष्ठित और लोकप्रिय कलाकार और स्‍टार फिल्‍म के प्रचार के दबाव में यह सब सहते रहे हैं। वे अपनी नाखुशी भी जाहिर नहीं करते।
तनिष्‍ठा की आपत्ति पर एक तबका कह रहा है कि उन्‍हें ऐसे शो पर जाना ही नहीं चाहिए था। एक मूड दिख रहा है जो ऐसे फूहड़ कामेडी शो के औचित्‍य को वाजिब ठहरा रहा है। कपिल शर्मा से आरंभ हुआ यह कामेडी का ऐसा गर्त है,जिसमें सभी गिरते हैं और ठिठोली करते हैं। कहीं ने कहीं हमारे हास्‍य-विनोद का स्‍तर लगातार गिरता जा रहा है। हरिशंकर परसाई और शरद जोशी जैसे व्‍यंग्‍यकारों के लिए गुंजाइश कम होती जा रही है। गौर करें मो हास्‍य कवि सम्‍मेलनों में टीवी शो की फूहड़ता ही दोहरायी जा रही है। कविता और लतीफों में दूसरों की भिन्‍नता का मजाक उड़ाया जाता है। सदियों पुरानी धारणाओं और पूर्वाग्रहों के आधार पर भिन्‍नताओं को कमियों की तरह पेश किया जाता है। दर्शक और समाज के तौर पर इन बेतुके लतीफों पर हम हंसते हैं।
पिछले दिनों सोनम कपूर ने आपबीती के अनुभवों को एक लेख के रूप में साझा किया। इस लेख में उन्‍होंने सौंदर्य के कथित मानदंडों की ध्‍ज्‍जी उड़ाई है। उन्‍होंने साफ सोच के साथ लिखा है कि कैसे वह किशोरावस्‍था में अपने शरीर और सौंदर्य को लेकर हीनभावना से ग्रस्‍त रहती थीं। फिल्‍मों में आ जाने के बाद भी उनकी दिक्‍कतें कम नहीं हुईं,क्‍योंकि तब किसी और कारण से उन पर फब्तियां कसी जाने लगीं। उन्‍हें बार-बार निशाना बनाया गया। उकता कर उन्‍होंने भी अपने शरीर में कॉस्‍मेटिक तब्दिीलियों की बात सोची,लेकिन तब उनकी पर्सनल मेकअप आर्टिस्‍ट नताशा सोनी ने उन्‍हें नेक और उचित सलाह दी। उन्‍होंने सोनम कपूर को आत्‍मविश्‍वास दिया। उन्‍हें यकीन कराया कि जिसे लोग उनके शरीर और सौंदर्य की कमियां कहते हैं,वास्‍तव में वे उनकी खूबियां हैं। उनकी वजह से ही सोनम कपूर दूसरी लड़कियों से अलग और विशेष हैं। उन्‍हें इन विशेषताओं पर फोकस करना चाहिए। उनकी बहन रिया ने उन्‍हें विश्‍वास दिया कि वह खूबसूरत और आकर्षक हैं। वह वैसी ही बनी रहें। नतीजा सभी के सामने हैं। आज सोनम कपूर फैशन आइकॉन हैं। वह करोड़ों लडकियों की आदर्श बनी हुई हैं। आज वह कुछ भी पहनती है तो वह उन पर फबता है। वजह सिर्फ इतनी है कि वह पूरे आत्‍मविश्‍वास से हर तरह के परिधान कैरी करती हैं। वह अदृश्‍य मैग्‍नीफाइंग ग्‍लास की परवाह नहीं करतीं,जो हर अपीयरेंस पर उनका सूक्ष्‍म परीक्षण कर रहा होता है।
तनिष्‍ठा और सोनम जैसी लाखों लड़कियां हमारे आसपास और समाज में आपत्ति और उपस्‍थ‍िति से धारणाएं बदल रही हैं। हमें उनका स्‍वागत करना चाहिए। उनका साथ देना चाहिए।

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