दरअसल : प्रयोग बढ़ा है हिंदी का,लेकिन...
-अजय ब्रह्मात्मज
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में हिंदी के चलन पर इस स्तंभ
में ‘हिंदी दिवस’ के अवसर पर लिखे गए रस्मी लेखों के अलावा भी हिंदी के चलन
पर कुछ तथ्य आते रहे हैं। निश्चित ही धीरे-धीरे यह स्थिति बन गई है कि सेट या
दफ्तर में चले जाएं तो थोड़ी देर के लिए कोई भी हिंदीभाषी वहां प्रचलित अंग्रेजी
से संकोच और संदेह में आ सकता है। फिलमें जरूर हिंदी में बनती हैं,लेकिन फिल्मी
हस्तियों के व्यवहार की आम भाषा अंग्रेजी हो चुकी है। बताने की जरूरत नहीं
स्क्रिप्ट,पोस्टर और प्रचार अंगेजी में ही होते हैं। पिछले दिनों भारत भ्रमण पर
आए एक विदेशी युवक ने अपने यात्रा संस्मरण में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया
कि शहर के सारे लोग हिंदी बोल रहे हैं,लेकिन दुकानों के नाम और अन्य साइन बोर्ड
अंग्रेजी में लिखे हुए हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अंग्रेजी के प्रति झुकाव
के संबंध में कटु विचार प्रकट कर रहे हिंदीभाषियों को सबसे पहले अपने गांव,कस्बे
और समाज में आ रहे परिवर्तन में हस्तक्षेप करना चाहिए।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लगभग दो दशक के अपने
अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूं कि इधर हिंदी का चलन बढ़ा है। फिल्मों के
प्रचार-प्रसार में हिंदी की जरूरत समझ कर हिंदी मीडिया और फिल्मों के हिंदी
पत्रकारों को स्थान दिया जा रहा है। हां,यह सब करते हुए फिल्म इंडस्ट्री के लोग
अधिक खुश नजर नहीं आते। कई बार वे इसे निबटाते नजर आते हैं। हिंदी में बातें करते
समय वे हमेशा जल्दीबाजी में रहते हैं। कई बार लगता है कि उन्हें हिंदी से एलर्जी
है। सच्चाई यह है कि उन्हें हिंदी में इंटरव्यू देने नहीं आता। ज्यादातर स्टार
हिंदी में खुद को व्यक्त नहीं कर पाते। उनके पास पर्याप्त शब्द नहीं होते। हम
भी जब उनसे बातें करते हैं तो अपने सवालों को उनकी समझ में आने लायक भाषा मैं
अनूदित कर लेते हैं। क्रिया हिंदी की रहती है,लेकिन अधिकांश शब्द अंग्रेजी के हो
जाते हैं। शाह रुख खान और अमिताभ बच्चन जैसे चंद स्टार ही अपवाद हैं। वे हिंदी
के मुहावरे भी समझते हैं।
इन दिनों निर्माता और प्रचार कंपनियां हिंदी में रिलीज
जारी करती हैं। कई बार इन विज्ञप्तियों की भाषा अशुद्ध और भ्रष्ट होती है। चूंकि
कहीं भी हिंदी के जानकार नहीं रखे जाते और बाज दफा वे मिल भी नहीं पाते,इसलिए
मराठी अनुवादकों की हिंदी से काम चला लिया जाता है। उनकी हिंदी सही नहीं होती। फिर
भी यह सराहनीय है कि उनकी तरफ से कोशिशें होने लगी हैं। उन्हें इन विज्ञप्तियोंं
और अन्य हिंदी सामग्रियों के लिए हिंदी जानकारों की मदद लेनी चाहिए। कई बार पोस्टर
पर नाम गलत आते हैं। फिल्मों में संवाद गलत होते हैं। फिल्मों में कभी टीवी
समाचार दिखाया जा रहा हो फ्लिकर में चल रही हिंदी गलत होती है। हिंदी के लिखें
पाठों में में तो अशुद्धियां रहती ही हैं।
अभी
निर्माता रिलीज के समय अपनी सामग्रियां हिंदी में भी देना चाहते हैं। उन्हें लगता
है कि हिंदी पाठ रहने पर हिंदी मीडिया में अंग्रेजी की तरह उसे ले लिया जाएगा। हाल
ही में करण जौर की आगमी फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के टीजर रिलीज के साथ धर्मा
प्रोडक्शंस की एक विज्ञप्ति आई। उनकी हिंदी का नमूना देख लें.... करन जोहर अपनी अगली
निर्देशित फिल्म के साथ वापस आ गए है। ऐ दिल है मुश्किल में अभिनीत है ऐश्वर्या राय बच्चन, रनबीर कपूर, और अनुष्का शर्मा। फिल्म इस दीवाली 28 अक्टूबर को आ रही है।
देखिये टीज़र। बातचीत में शामिल हों
ऊपर बोल्ड में लिखी विज्ञप्ति पढ़ कर देखें।नाम गलत हैं। ‘हैं’ की बिंदी गायब है। भाषा से भी स्पष्ट है कि इसे
हिंदी में नहीं लिखा गया है। यह अंग्रेजी से अनूदित है और इसे किसी ने जस का तस
उल्था कर दिया है। जब करण जौहर की कंपनी से ऐसी गलतियां हो सकती हैं तो छोटे
निर्माता-निर्देशकों का कहना ही क्या?
Comments
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'