स्‍टार बनाती है हिंदी - आनंद मिश्रा




-अजय ब्रह्मात्‍मज
लंबे समय तक रंगमंच पर सक्रिय रहे आनंद मिश्रा इन दिनों हिंदी फिल्‍मों के कलाकारों की हिंदी सुधारने और संवारने में लगे हुए हैं। गैरहिंदीभाषी कलाकारों को हिंदी सिखाते हैं और हिंदीभाषी कलाकारों की हिंदी मांजते हैं। वे इस काम को पूरी गंभीरता और तल्‍लीनता से निभाते हैं। 14 सितंबर के हिंदी दिवस के अवसर पर पर उन्‍होंने अपने अनुभव झंकार से शेयर किए....
- हिंदी सीखने के प्रति कलाकारों की ललक क्‍यों बढ़ रही है?
0 नए कलाकारों में हिंदी के प्रति काफी उत्‍सुकता है। हिंदी फिल्‍मों में आने से पहले उनकी भाषा मुख्‍य रूप से अंग्रेजी या कोई और भाषा रही हो तो हिंदी सीखना जरूरी भी हो जाता है। आप देखें कि ज्‍यादातर कलाकार अंग्रेजी माध्‍यम से पढ़ कर आ रहे हैं। यहां आने पर उन्‍हें अहसास होता है कि हिंदी की प्रैक्टिस छोड़ कर उन्‍होंने सही नहीं किया। आप अगर हिंदी फिल्‍म कर रहे हैं तो हिंदी का ज्ञान तो होना ही चाहिए।
-क्‍या दो से तीन महीनों में हिंदी या कोई भी भाषा सीखी जा सकती है?
0 भाषा सीखने में तो जीवन लग जाता है। बचपन में भाषा नहीं सीखी हो तो ज्‍यादा वक्‍त लगता है। अपने अनुभव से मैं कह सकता हूं कि पांच सालों के अध्‍ययन और अभ्‍यास से आप कोई भी भाषा सीख सकते हैं। दो-तीन महीनों में तो केवल ककहरा ही सीख पाते हैं। कामचलाऊ हिंदी आ जाती है।
-आप से जो कलाकार हिंदी सीख रहे हैं,उनका जोर हिंदी बोलने पर रहता है या लिखने-पढ़ने पर भी रहता है?
0 विदेशी कलाकारों की पढ़ाई तो अक्षर ज्ञान से शुरू करता हूं। ककहरा और बारहखड़ी सिखाता हूं। तीन महीनों में वे हिंदी पढ़ने लगती हैं। भारत के कलाकारों के उच्‍चारण सुधारता हूं। मुंबई के पले-बढ़े कलाकारों की हिंदी में समस्‍या है। वे और , और ,है और हैं में उच्‍चारण भेद नहीं कर पाते। टवर्ग के पांचों अक्षरों के उच्‍चारण में उन्‍हें दिक्‍कत होती हैं। हाथ को ‍हांथ और आंखें को आखे बोलते हैं।
-कलाकरों को कौन से पाठ देते हैं भाषा सीखने के लिए?
0 मैं हिंदी की किताबें देता और सुझाता हूं। उपन्‍यास,नाटक और कहानिया देता हूं। कमिता की किताबों पर ज्‍यादा जोर देता हूं। कलाकारों की रुचि और जिज्ञासा के आधार पर किताबें सुझाता हूं। मैंने कोई आदर्श या अनिवार्य पुस्‍तक सूची नहीं बनाई है।
-क्‍या हिंदी का कोई मानक स्‍वरूप है?
0 फिल्‍मों के लिए मैं बोलचाल की भाषा पर ही जोर देता हूं। कलाकारों की हिंदी तो किरदारों के हिसाब से बदलती रहती है। मैं मध्‍यप्रदेश से हूं तो उसका असर रहता है। अभी की हिंदी में अंग्रेजी,उर्दू और स्‍थानीय भाषाओं के शब्‍द रहते हैं। मानक हिंदी पर भाषाशास्‍त्री विचार करें। मैं व्‍यावहारिक हिंदी सिखाता हूं।
-हिंदी सिखाने में सबसे बड़ी दिक्‍कत क्‍या है?
0 इन दिनों एसी में पलने से अधिकांश कलाकारों को सायनस की समस्‍या है। इसकी वजह से वे आनुनासिक शब्‍दों को नहीं बोल पाते। ऊंचे स्‍वर में भी दिक्‍क्‍त होती है। वचन,लिंग और काल के अनुसार वाक्‍य बनाने में दिक्‍कत आती है। नुक्‍ता लगा कर उर्दू शब्‍द बोलने में तो हिंदीभाषी भी असमर्थ होते हैं।
-अपने पढ़ाए कलाकारों में किन का उल्‍लेख करना चाहेंगे?
0 कट्रीना कैफ को देख कर बहुत खुशी होती है। विदेश से आकर उन्‍होंने इतनी मेहनत से भाषा और एक्टिंग सीखी। नरगिस फाखरी हैं। एवलिन शर्मा हैं। वरुण धवन हैं। वरुण बहुत ध्‍यान देते हैं। उनका भविष्‍य बहुत अच्‍छा है। कुछ नए कलाकार हैं। वे आगामी सालों में चमकेंगे। अभी उनके नाम नहीं बता सकता।

-किसी भी भाषा को सीखने के लिए आप का मंत्र क्‍या है?
0 मैं तो यही कहता हूं कि रोजाना दो नए शब्‍द सीखे और दिन भर उनका प्रयोग करो।

Comments

अच्छा साक्षात्कार। लेख में 14 सितम्बर की जगह गलती से 14 दिसम्बर लिखा गया है। आशा है संपादित हो जाएगा।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (14-09-2016) को "हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-2465) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रत्येक प्रान्त में भाषा के उच्चारण के अपने ढंग हैं और वैसी ही उनकी स्वर-तंत्रिकायें बन गई हैं ,इसलिये परिनिष्ठित हिन्दी के उच्चारणों पर कुछ प्रभाव अनायास आ ही जाते हैं .

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