‘अकीरा’ का अर्थ है सुंदर शक्ति - सोनाक्षी सिन्हा
-अजय ब्रह्मात्मज
अपनी पीढ़ी की कामयाब अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा में
कुढ ऐसी बातें हैं कि वह दूसरी समकालीन अभिनेत्रियों की तरह चर्चा में नहीं रहतीं।
‘दबंग’ 2010 में अई थी। पिछले छह
सालों में सोनाक्षी सिन्हा ने 15 से अधिक फिल्में की हैं और उनमें से ज्यादातर
हिट रही हैं। कल उनकी ‘अकीरा’ आ रही है। इस फिल्म के पोस्टर और प्रचार में वह किक मारती
दिखाई पड़ रही हैं। उनसे यह मुलाकात मुंबई के महबूब स्टूडियों में उनके वैनिटी
वैन में हुई।
-‘अकीरा’ साइन करने की वजह क्या रही?
0 मुझे इस फिल्म में अपना कैरेक्टर अच्छा लगा।
थ्रिलिंग और एंटरटेनिंग फिल्म होने के साथ ही इस फिल्म में एक सेदंश भी है। फिल्म
के डायरेक्टर मुर्गोदास देश के बड़े एक्श फिल्म डायरेक्टर हैं। उन्होंने इस
फिल्म का मुझे ऑफर दिया। मुझ पर उनका विश्वास भी प्रेरक रहा। मेरे लिए यह बहुत
बड़ी रात रही।
-क्या बताया था उन्होंने?
0 ‘हॉलीडे’ में मेरे काम और एक्शन से वे प्रभावित थे। उन्होंने तभी
कहा था कि वे मेरे साथ अगली हिंदी फिल्म बनाएंगे। यह मेरे अभी तक के करिअर का सबसे चैलेंजिंग रोल है।
-कुछ खास सीखना पड़ा?
0 मुझे मिक्स मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग लेनी पड़ी। चार
महीनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद शूटिंग के दरम्यान भी अभ्यास जारी रहा। ऐसे एक्श
सीन में बगैर तैयारी के जाने पर सब दिख जाता है। दर्शक समझ जाते हैं कि हीरोइन को
कितना एक्शन आता है? मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहती
थी।
-एक्शन सीन में इमोशन कैसे कैरी करती हैं? उस समय तो चेहरे के भाव पर नियंत्रण नहीं रहता।
0 हमें फिलमों में एक्शन करते समय भी सही इमोशन रखना
पड़ता है। एक्शन करने में शारीरिक तनाव रहता है,उसका असर चेहरे पर आ ही जाता है।
एक्शन में टाइमिंग,फोर्स और स्पीड पर ध्यान देना पड़ता है। हमें यह भी ध्यान
में रखना पड़ता है कि कोई चोट न लग जाए। अभी सुरक्षा और सुविधाएं बढ़ गई हैं,इसलिए
हम लड़कियां एक्शन कर पा रही हैं।
-कितनी मुश्किल रही?
0 एक्शन तो है ही। मेरे लिए यह फिल्म इमोशनली भी
मुश्किल रही। अकीरा के कैरेक्टर से मैं बिल्कुल रिलेट नहीं कर पाती हूं1 जिन
परिस्थितियों से वह गुजरी है,मैं तो दु:स्वप्न में भी उनके बारे में नहीं सोच
सकती। वह जेल जा चुकी है। करप्ट पुलिस अधिकारी से डील कर रही है। उसकी फैमिली ने
उसे छोड़ दिया है। वह असाइलम में भी जाती है।
-कौन है अकीरा?
0 अकीरा एक स्ट्रांग लड़की है। वह अपने साथ गलत हो
रही चीजों से लड़ती है और बाहर निकलती है। अकीरा जोधपुर की लड़की है। बहुत कम
लोगों को मालूम है कि अकीरा का मतलब ‘सुंदर शक्ति’ होता है। यह संस्कृत शब्द है। हमारे पास और भी नाम आए
थे,लेकिन यही नाम उचित लगा।
-अनुराग कश्यप इस फिल्म में आप के साथ बतौर अभिनेता
आ रहे हैं। क्या बताना चाहेंगी?
0 सही में वे इस फिल्म के अभिनेता हैं। उन्होंने सेट
पर कभी जाहिर नहीं किया कि वे चर्चित डायरेक्टर हैं। उन्होंने विलेन की बेहतरीन
भूमिका निभाई है। मुझे तो अपने लिए वह सही विलेन लगे1 करप्ट पुलिस ऑफिसर के रूप
में सभी उन्हें पसंद करेंगे। मैं तो उनसे मिलती रही हूं। वे ‘लूटेरा’ के प्रोड्यूसर थे। मुझे
लगता है कि दुनिया उन्हें ढंग से जानती नहीं है। वह बड़े सहज और खुशमिजाज व्यक्ति
हैं। उनके पास इतनी कहानियां हैं।
-छह सालों के इस सफर से कितनी खुश हैं?
0 मैंने 15 फिल्में कर ली हैं। बहुत काम किया है। ऐसा
लगता है कि कुल जमा अच्दा ही रहा। मैंने कुछ अच्छी और कुछ बुरी फिल्में की हैं।
करना भी चाहिए। हमारे फैसले कई बार गलत भी हो जाते हैं। उनसे सीखते हैं हम। कोशिश
करते हैं कि फिर से वैसी गलती न करें1
Comments
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अब दो बातें अकीरा पर। अकीरा जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ उज्ज्वल या चमकदार होता है। इसी नाम से सन 1988 में एक जापानी एनिमेटेड साइंस फिक्शन फिल्म आई थी जो सफल रही थी लेकिन सोनाक्षी अभिनीत यह फिल्म सोनाक्षी के स्टंट देखकर महिलाओं को मार्शल आर्ट सीखने की प्रेरणा देने के अलावा कुछ ख़ास नहीं करती। एक निहायत निम्न मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की का अकीरा नामकरण भी गम्भीर सवाल उठाता है। अनुराग कश्यप का खलनायक रूप विदूषक अधिक लगता है तो अंत में नायिका का खुद को क्रूसिफाइड करने की बात कहना पल्ले नहीं पड़ता। नायक अमित साध, ग्रे शेड वाली उर्मिला महंत और पुलिस अधिकारी कोंकणा सेन के चरित्र को गढ़ते समय पटकथा लेखक पर सिर्फ अकीरा ही हावी थी, इसलिये इनके चरित्रों को ठीक से उकेरने की ईमानदार कोशिश ही नहीं की गई। नतीजा यह निकला कि मध्यांतर तक फिल्म बेहद बोझिल रही, जिसमें मध्यांतर के बाद कसावट आती है लेकिन तब तक इतनी देर हो चुकी होती है कि सब कुछ गड्डमड्ड हो जाता है। कुल मिलाकर एक बेहद औसत फिल्म है जिसे सिर्फ सोनाक्षी के स्टंट और मार्शल आर्ट दृश्यों के लिये देखा जा सकता है।