फिल्‍म समीक्षा : ए फ्लाइंग जट्ट




साधारण फैंटेसी

-अजय ब्रह्मात्‍मज

रेमो डिसूजा की ए फ्लाइंग जट्ट सुपरहीरो फिल्‍म है। हिंदी फिल्‍मों में सुपरहीरो फिल्‍में बनाने की कोशिशें होती रही हैं। सभी एक्‍टर और स्‍टार सुपरहीरो बन कर आकाश में उड़ना चाहते हें। इसमें अभी तक केवल रितिक रोशन को बड़ी कामयाबी मिली है। ए फ्लाइंग जट्ट में बच्‍चों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे टाइगर श्रॉफ को यह मौका मिला है। टाइगर श्रॉफ में गति और चपलता है,इसलिए वे डांस और एक्‍शन के दृश्‍यों में मनमोहक लगते हैं। एक्टिंग में अभी उन्‍हें ल्रंबा सफर तय करना है। सभी फिल्‍मों में नाटकीय दृश्‍यों में उनकी सीमाएं जाहिर हो जाती हैं। यही कारण है कि उनके निर्माता-निर्देशक ऐसी कहानियां चुनते हैं,जिनमें कम बोलना पड़े और दूसरे भाव कम से कम हों। सभी निर्देशक टाइगर श्रॉफ से डांस और एक्‍शन के बहाने गुलाटियां मरवाते हैं। उनकी गुलाटियां बच्‍चों को अच्‍छी लगती हैं। गौर करें तो पब्लिक इवेंट में भी टाइगर श्रॉफ का आकर्षण गुलाटियां ही होती हैं।
बहरहाल,ए फ्लाइंग जट्ट अमन नामक युवक की कहानी है। वह नशे की आदी मां के साथ रहता है। स्‍कूल में मार्शल आर्ट्स सिखाता है। उसके घर के पास एक पुरान पेड़ है,जिस पर सिख धर्म का प्रतीक खंडा चिह्न है। उस पवित्र पेड़ से मांगी गई मन्‍नतें पूरी हो जाती हैं। उसी शहर में एक व्‍यापारी भी है,जो अपने लाभ के लिए उस पेड़ को कटवा देना चाहता है। यहां से फिल्‍म में संघर्ष आरंभ होता है। हम देखते हैं कि अमन की पीठ पर वह खंडा चिह्न उभर आता है और वह असीम शक्तियों का मालिक हो जाता है। मां उकसाती है कि अब उसे दीन-दुनिया को बचाने का काम करना चाहिए। सभी की मदद करनी चाहिए। स्थितियां ऐसी बनती हैं कि अमन और शहर का व्‍यापारी आमने-सामने आ जाते हैं। अमन को मारने के लिए व्‍यापारी राका नामक दैत्‍याकार व्‍यक्ति को भेजता है। कूड़ा-कर्कट और प्रदूषण ही राका का आहार है। धीरे-धीरे फिल्‍म स्‍वच्‍छता अभियान से जुड़ जाती है। हमें लगता है कि स्‍वच्‍छ भारत अभियान से जुड़ रही यह फिल्‍म प्रधानमंत्री के राष्‍ट्रीय संदेश को मनोरंजक तरीके से पेश कर रही है। इस फिल्‍म की सबसे बड़ी कमजोरी यही है। स्‍वच्‍छता के व्‍यापक संदेश को चंद दृश्‍यों में समेट कर निर्देशक ने ओढ़े गए दायित्‍व की इतिश्री कर ली है।
यह फिल्‍म कहानी,संरचना और प्रस्‍तुति के स्‍तर पर लचर और कमजोर है। फिल्‍म ने सिख धर्म की आड़ में मनोरंजन परोसने की कोशिश की है। हमें ध्‍यान रखना चाहिए कि कहीं हम धर्म के सहारे अंधविश्‍वास को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं। फिल्‍म में सिखों और सिख धर्म से संबंधित किंवंदतियों का खुलासा किया गया है। अचानक ग्राफिक्‍स के जरिए बताया जाता है कि सिखों के लिए 12 बजने का क्‍या महत्‍व है। शोध का विषय हो सकता है कि क्‍या नादिरशाह के आक्रमण के समय घड़ी आ गई थी? ऐसी और भी भांतियों का फिल्‍म सहारा लेती है। चूंकि यह फिल्‍म बाल दर्शकों को ध्‍यान में रख कर बनाई गई है,इसलिए ज्‍यादा सावधानी बरतनी चाहिए थी। फिल्‍म में सुपरहीरो की फैंटेसी रचने में लेखक-निर्देशक लंबा वक्‍त लेते हैं। जो रचा जाता है,वह अनेक फिल्‍मों के टुकड़ों से जोड़ा गया प्रतीत होता है। और फिर जबरन उसे स्‍वच्‍छता अभियान से जोड़ कर संदेश दिया जाता है कि सभी चीजों का विकल्‍प है,लेकिन धरती मां का नहीं।
टाइगर श्रॉफ समेत सभी अभिनेता प्रभावहीन हैं। केवल टाइगर श्रॉफ के दोस्‍त बने अभिनेता और अमृता सिंह ने अपने किरदारों के साथ न्‍याय किया है। टाइगर श्रॉफ नाटकीय दृश्‍यों में दो-ती एक्‍सप्रेशन से आगे नहीं बढ़ पाते। उन्‍हें संवाद अदायगी पर भी धान देने की जरूरत है। डांस और एक्‍शन में वे सक्षम हैं। इस फिल्‍म में भी उन्‍हें इन प्रतिभाओं के प्रदर्शन के अवसर मिले हैं। केके मेनन बिल्‍कुल नहीं जंचे हैं। उनके लुक पर भी काम नहीं किया गया है। जैक्‍लीन फर्नांडिस को केवल मुस्‍कराने के साथ अपनी मूर्खता जाहिर करनी थी। उसे भी वे ढंग से नहीं निभा पातीं।
ए फ्लाइंग जट्ट मनोरंजक सोच के साथ बनाई गई कमजोर फिल्‍म है। यह अपने उद्देश्‍यों पर ही खरी नहीं उतरती।
अवधि-151 मिनट
स्‍टार- दो स्‍टार

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