भावनाओं का शिखर है शिवाय : अजय देवगन
-अजय ब्रह्मात्मज
दो साल की कड़ी तपस्या
के बाद अजय देवगन अब आखिरकार अपनी अति महत्वाकांक्षी फिल्म ‘शिवाय’ पूरी कर चुके
हैं। वह इस साल दीवाली पर रिलीज होगी। दर्शकों को कुछ अलग देने की गरज से उन्होंने
इस में आर्थिक, शारीरिक व मानसिक तीनों निवेश किया है।
-फिल्म देखने पर हम समझें कि शिवाय क्या है। किस चीज ने आप को फिल्म की तरफ आकर्षित
किया।
०- जी बिल्कुल। देखिए यह एक भावना है। मेरी ज्यादा
फिल्में जो वर्क करती हैं, मैं काम करता हूं। उसमें भावनाएं सबसे
मजबूत होती हैं। या तो पारिवारिक भावनाएं हो या जो भी इमोशन हो। इस फ़िल्म का आधार भावनाएं
ओर परफॉरमेंस हैं। बाकी सब आप भूल जाइए।तकनीक और एक्शन को
एकतरफा कर दीजिए। यह सब आकर्षण हैं, इससे हम एक स्केल पर जा सकते
हैं। लेकिन कहानी में आपको कोर भावनाएं अाकर्षित करती हैं , जो कि यूनिवर्सल होता है। वह एक सोच है। हमने बिल्कुल उलझाने की कोशिश नहीं की है। हम नहीं बता रहे हैं
कि नए तरह की फिल्म है। भावनाएं तो वहीं हैं जो आपकी और मेरी होती है। आपके परिवार
की तरफ जो भावनाएं हैं, वही मेरे परिवार की
तरफ मेरी भावनाएं हैं। वो तो बदल नहीं सकता। फिर चाहे वह अमेरिका हो या हिंदुस्तान
। भावनाओं को मजबूत करते हुए हम फिल्म के स्केल को कहां लेकर गए, कहां हमने उसका चित्रण किया, बात वही है।
-शिव भगवान का और शिवजी
से आपका कुछ? आपने टाइटल में शिवाय
दिया है।
० देखिए। यह फिल्म शिव
भगवान के बारे में नहीं है। मैं शिवजी का भक्त हूं यह सबको पता है। मैंने फिल्म में
ऐसा नहीं रखा है कि किरदार सुबह उठता है और शिवजी की पूजा करता है। वह आज का मार्डन
आदमी है। शिवजी के अलावा फिल्म में उसके और तीन टैटू हैं। जो शिवजी के ही हैं। वह शिव
भक्त है। पर वह इस तरह का पूजा-पाठ वाला भक्त नहीं है। वह एक ऊपरवाले का साथ अपना कनेक्शन मानता है। शिव जी
के साथ ऐसा कनेक्शन मुझे लगता है कि वह एक ही ऐसे किस्म के भगवान हैं जिन्हें जब भी
दर्शाया जाता है एक इंसान के तौर पर किया जाता है।
-जी,सारे देवताओं में एक ऐसे हैं।
०-वह सारे देवताओं में एक ऐसे हैं, जिसमें सारी खामियां है। जो आप में और मुझमें है। उन्हें भोला भंडारी भी कहते
हैं। अगर आप उनकी कहानियां पढ़े तो। उन्हें भांग भोगी भी कहते हैं।अब यह रिकार्ड में
बोलना चाहिए या नहीं पर वह चिलम लेते थे।यह सब किताबों में लिखा है। इससे आप गलत नहीं
ठहरा सकते हैं। गुस्सा आज जाएं बिना सोचे समझे काट भी देते थे। बाद में उन्हें अपनी
गलती का अहसास भी होता था। आप मुझे बताइए ऐसे कौन से देवता हैं, बाकी सारे भगवान परफेक्ट हैं। यही जो हैं जिनका आज के इंसान के साथ कनेक्शन
है। जितने इंसान में अच्छी या बुरी चीजें हैं वह शिव भगवान की हैं।
-और जिसको ग्रे कैरेक्टर
कहा जाता है।०-जी। वह खत्म करते हैं तो करते हैं। वह फिर आगे
पीछे नहीं देखते हैं। अफसोस करते हैं तो करते हैं। आज हम में यही सारी खूबियां और खामियां
है।अब आप उन खूबियों को खामी कैसे बनाते हैं। और खामी को खूबियां कैसे बनाते हैं। यह
हम पर निर्भर करता है। यह कांसेप्ट किरदार से उठाया है। किरदार का नाम शिवाय है।
-अच्छा फिल्म में जो
आप का नाम है।
०-बाकी ऐसा कुछ नहीं है कि मैंने दिखाने की कोशिश
की है कि शिव जी ऐसे थे या वैसे थे। बहुत ही सैटल तरीके से दिखाया है कि किरदार पहाड़
में रहता है। उसका एक कनेक्शन है।वह ऐसी जगह पर रहता है। पर कहीं ऐसा नहीं है कि वह
पूजा-पाठ में रहता है।
-यह उसका अपना कैलाश है एक तरीके से?
०- जी उसकी जिंदगी है। लेकिन दिमाग में उसकी सोच
वैसी है। जो आपने कहानियों में पढ़ा हुआ है। पर आज के मार्डन डे के हिसाब से। कही वह
शिवलिंग पर जल चढ़ा रहा है। शिवजी की पूजा कर रहा है, ऐसा कुछ
नहीं है। हां। बस वक्त आता है तो वह हम सब की तरह ही है। ट्रांसफार्मर ,प्रोटेक्टर डिस्ट्रॉयर।
-निर्देशन की सफलता
का मंत्र क्या है।
०- यही कि आप तीन सौ लोगों की यूनिट में से सौ
को भी अपने विजन की तरफ कर पाना। बाकी लोगों को नहीं। हालांकि सब का आप के साथ चलना
अहम है। वह भी बिना आप के कहें। उन्हें लगें कि वह कुछ ऐसा बनाना चाहता है,
जिसे हम भी दिखाना चाहते हैं कि यह ऐसा लगे। यह उनका क्रेडिट है।
-हां जैसे हॅालीवुड औऱ बाहर होता?
०- आज अगर यह फिल्म में हॅालीवुड में बनाऊं तो
हजार करोड़ की फिल्म होगी। उससे नीचे की फिल्म नहीं होगी। मतलब आप किसी भी हॅालीवुड
की फिल्म से तुलना कर लें फिर आपको लगें कि कहीं कोई कमी है तो आप मुझे आ कर सीधे कह
सकते हैं।
-ऐसा होता है कि आप परफ़ॉर्मर
के तौर प्र इंडिविजुअल परफॉर्म कर रहे होते हैं । जैसे खेल में होता है ना। सचिन ने शतक लगाया। वह सचिन की
निजी एचिवमेंट है। पर कहीं ना कहीं क्रिकेट की भी एचिवमेंट है।
०- जी , बिल्कुल। अप्रोच
वही है ना। आज आप मुझे बताइए। उस दिन में एक लेख पढ़ रहा था। आज हमारी फिल्में हॅालीवुड
फिल्म से स्पर्धा करने उतर आयी हैं। आप बड़े स्टार की बात करते हैं। लेकिन आप आखरी
की कुछ फिल्में देखें तो बड़े स्टार से ज्यादा बिना स्टार वाली हॅालीवुड फिल्मों ने
कमाई की है। पर क्यों। क्योंकि हमारे दर्शकों को एक एक्सपोजर मिल गया है। मैं केवल
क्लास की बात नहीं कर रहा हूं। मैं मॅास की बात कर रहा हूं। आज आप जगंल बुक भी देखते
हैं, उसमें कौन सा बड़ा हीरो था। एक छोटा सा बच्चा था.
दर्शकों को चाहिए। आप दर्शकों को मौका क्यों दे रहे हो कि सामने वाले
की फिल्म वह देखें। आप खुद क्यों सामने नहीं आ रहे हो।
-तकनीक के तौर पर पीछे
रहने की बात बहुत सारे लोग करते हैं। एक तौ पैसा बड़ा फेक्टर है।
०- एक तो पैसा बड़ा फेक्टर हैं और दूसरा इन्टनैशन।
जैसा कि मैंने कहा , आज पैसा मेरे लिए बड़ा फेक्टर है। जिस बजट
पर मैंने फिल्म बनाई उसमें मैं डायरेक्टर और सब लेकर करता तो शायद फिल्म बना ही नहीं
पाता। मुमकिन ही नहीं था। फिर बजट ही जोड़ते हुए जान निकल जाती। इसके लिए आपने क्या
किया। जो आप को लेना चाहिए था आपने पूरा त्याग दिया। आपने पूरा ही फिल्म में लगा दिया।
फिल्म के बजट का तीस प्रतिशत ही फिल्म पर लगाया जाता है। बाकी तो लोग ले जाते हैं।
-अजय देवगन
एक्टर हैं, निर्देशक हैं, निर्माता हैं। अजय देवगन बिजनेस मैन हैं। जिसकी कोई चर्चा नहीं है। बाकी के
स्टार चर्चा में रहते हैं। आपने अपना थोड़ा बहुत बिजनेस स्टेअप किया है। अगर कह लें
कि आपके नाम के आगे एक ही कुछ लिखना हो, मैं क्या लिखूं औऱ आप
क्या लिखवाना पसंद करेंगे।
इंसान सही होगा।
-नहीं वो तो हैं ही।
और क्या कह सकते हैं।
0 मैं क्या कहूं।
-चूंकि हम इमोशन और रिलेशन
की बाते कर रहे हैं।
मैं इसी वजह से इंसान कह रहा हूं कि, क्योंकि आप बोलें कि अजय देवगन बेटे के
तौर पर या पति के तौर पर या अजय देवगन पिता के तौर पर या अजय देवगन बिजनस मैन या
फिल्ममेकर या एक्टर जो भी आप कह लीजिए। मतलब का का में एक चीज हो गई। तो आप किस को
ज्यादा ऊपर मानेंगे। उस पर मैं पिन पाइंट नहीं कर सकता हूं।
-काजोल की अहमियत और परिवार में उनके योगदान को किस तरह रेखांकित करना चाहेंगे।
मैं अपने काम को भी उतना ही महत्व देता हूं।अब यह मैं कैसे कर पाता हूं यह पता
नहीं। लेकिन कुछ ना कुछ मैनेज कर लेता हूं मैं। आज सबसे कम जरूरत घर में किसी की
है वह मेरी है। मैं आपसे इसलिए कहूंगा कि जब आपका परिवार आपसे में घुल मिल जाता है,आपके माता-पिता आपके बच्चे और पत्नी आपस में
घुल मिल जाते हैं तो उससे ज्यादा सफल आप अपने आप को क्या कह सकते हो। अगर मेरी मां
की तबीयत ठीक नहीं है ,मुझे परेशान होने की जरुरत नहीं है। मेरी
पत्नी है। मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं है तो वह मुझ पर इतना विश्वास नहीं करेंगी जितना
विश्वास काजोल पर करेंगी। ऐसा ना हो मगर आज अगर मेरे माता-पिता
में से किसी को अस्पताल जाना पड़े तो मैं नहीं रहूंगा वहां चलेगा। वहां पर काजोल जरूर
रहनी चाहिए।आज मेरे बच्चे लंदन छुट्टी के लिए गए हुए हैं। काजोल साथ में गई हुई है।
जब मैं घर जाता हूं मा शुरू हो जाती है। वह कहती हैं कि मैं बच्चों को मिस कर रही हूं।
बच्चों से ज्यादा काजोल को मिस कर रही हूं। सबसे ज्यादा शोर घर पर वह करती है। जब आपको
यह मिल जाता है ना ,फिर सारी चीजें बैलेंस हो जाती हैं।
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