दरअसल : 2016 की पहली छमाही



-अजय ब्रह्मात्‍मज
2016 की पहली छमाही के कलेक्‍शन में पिछले साल 2015 की तुलना में 2 करोड़ का इजाफा हुआ है। इस साल पहली छमाही में 1 फिल्‍म ज्‍यादा रिलीज भी हुई है। 2016 में जनवरी से जून के बीच कुल 111 फिल्‍में रिलीज हुई हैं। गौर करें तो 2014 के बाद से पहली छमाही में 100 से ज्‍यादा फिल्‍में रिलीज हो रही हैं। पिछले साल रिलीज फिल्‍मों की संख्‍या 110 और उसके पहले 2014 में केवल 102 रही थी। अगर और पीछे जाएं तो 2009 में पहली छमाही में केवल 33 फिल्‍में ही रिलीज हुई थीं। फिल्‍मों के बाजार और बिजनेस के लिहाज से उत्‍तरोत्‍तर प्रगति हो रही है।
बाजार और बिजनेस की बात करें तो पहली छमाही का कुल कलेक्‍शन 1025 करोड़ रहा है। यह राशि बहुत अधिक नहीं है,लेकिन निराशाजनक स्थिति भी नहीं है। पहली छमाही में एयरलिफ्ट और हाउसफुल 3 ने 100 करोड़ से अधिक का करोबार किया। संयोग से दोनों ही फिल्‍में अक्षय कुमार की हैं। अक्षय कुमार बाक्‍स आफिस के भरोसेमंद स्‍टार हैं। उनकी फिल्‍में ज्‍यादा हल्‍ला-गुल्‍ला नहीं करतीं। निर्माताओं को लाभ होता है। दूसरी छमाही में भी उनकी फिल्‍में आ रही हैं। अक्षय कुमार की दोनों फिल्‍मों के साथ राम माधवानी की नीरजा,शकुन बत्रा की कपूर एंड संसत्र,आर बाल्‍की की की एंड का,साबिर खान की बागी और अभिषेक चौबे की उड़ता पंजाब ने भी अच्‍छा कलेक्‍शन किया और फायदे में रहीं। कुछ फिल्‍में नहीं चलीं। उनमें ज्‍यादातर बुरी फिल्‍में थीं। हां,अच्‍छी फिल्‍में उल्‍लेखनीय कारोबार नहीं करतीं तो थोड़ी निराशा होती है,लेकिन दर्शकों की पसंद सिर-आंखों पर...कलेक्‍शन और कारोबार कर रही फिल्‍मों के महत्‍व को स्‍वीकार करना ही होगा । आखिरकार फिल्‍म एक बिजनेस है। हम इसे हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री कहते हैं।
पहली छमाही में हालीवुड की जंगल बुक ने सबसे ज्‍यादा कारोबार किया है। इसके अंग्रेजी और हिंदी संस्‍करणों के कलेक्‍शन को मिला दें तो कुल कलेक्‍शन 250 करोड़ से अधिक रहा। हिंदी की कोई भी फिल्‍म इसके करीब नहीं पहुंच सकी। कैप्‍टन अमेरिका ने भी 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया था। डेडपुल,कुंग फू पांडा 3,एक्‍स मैन : एपोक्ल्प्सि जैसी हालीवुड की फिल्‍मों के कलेक्‍शन ने भी हिंदी फिल्‍मों को नुकसान पहुंचाया। हालीवुड की फिल्‍में हिंदी फिल्‍मों के लिए खतरा बन रही हैं। ऐसा लग रहा है कि जल्‍दी ही भारतीय निर्माता चीन की तरह भारत में भी हालीवुड की फिल्‍मों के आयात की संख्‍या तय करने की मांब करेंगे। हालीवुड की फिल्‍मों पर तो अधिनियम से पाबंदी लगा देंगे। देश की भाषा का क्‍या करेंगे? हाल ही में मराठी फिल्‍म सैराट के कलेक्‍शन ने सभी को चौंका दिया। दर्शकों को जिस भाषा की फिल्‍म अच्‍छी लगेगी,वे उन्‍हें देखेंगे। ग्‍लोबल दौर में दर्शक किसी एक भाषा तक सीमित नहीं रह गए हैं। वे अब सबटायटल के साथ भी फिल्‍में देख रहे हैं। दर्शक सिनेमा में शिक्षित हो रहे हैं।
हिंदी फिल्‍मों के कलेक्‍शन और करोबार में उल्‍लेखनीय छलांग नहीं दिख रही है। यह चिंता का विषय है। हम इस तथ्‍य सं संतुष्‍ट नहीं हो सकते कि कोई गिरावट नहीं आई है। किसी भी बिजनेस में तभी तरक्‍की दर्ज की जाती है,जब पिछले साल की तुलना में इस साल हर आंकड़े में बढ़ोत्‍तरी हुई हो। हम खुद को समझा सकते हैं कि हर साल दूसरी छमाही का कलेक्‍शन पहली छमाही से बेहतर होता है और इस साल तो लगभग सभी पॉपुलर सितारों की फिलमें जुलाई से दिसंबर के बीच आ रही हैं। इसकी शुरूआत अली अब्‍बास जफर की सलमान खान और अनुष्‍का शर्मा अभिनीत सुल्‍तान से हो चुकी है। अभी मदारी,मोहोंजो दारो,मिरजिया,रुस्‍तम,अकीरा,ऐ दिल है मुश्किल,शिवाय,रॉक ऑन2 और दंगल जैसी फिल्‍में आनी हैं।
पिछले साल 2015 में कुल कलेक्‍शन 2775 करोड़ रहा था। उम्‍मीद है कि इस साल हम 3000 करोड़ का आंकड़ा आसानी से पार कर जाएंगे।

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