लकी नंबर है 13 - कृति खरबंदा
--प्राची दीक्षित
फिल्म जगत को भट्ट
कैंप से समय –समय पर सितारे मिलते रहे हैं। इमरान हाशमी, जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु इसकी ताकीद करते रहे हैं। इस कड़ी में
अगला नाम कृति खरबंदा का जुड़ रहा है। उस कैंप की सफल फ्रेंचाइजी ‘राज’ की तीसरी
किश्त ‘राज रीबूट’ से कृति हिंदी फिल्मों में डेब्यू कर
रही हैं। इससे पहले वे साउथ की फिल्में करती रही हैं। उनकी प्रतिभा से प्रभावित हो
विशेष फिल्म्स ने उनके संग तीन फिल्मों का करार भी किया है।
राज ने बनाया
जिम्मेदार
कृति बताती हैं , ‘ 2009 में मैंने साउथ फिल्म इंडस्ट्री से अपना करियर शुरू किया। मेरा मकसद
हिंदी सिनेमा में जुड़ना नहीं था। मैं कुछ साल एक्टिंग कर शादी करना चाहती थी, लेकिन
वक्त ने मेरी दिशा बदल दी। मुकेश भट्ट ने साउथ की फिल्मों में मेरा काम देखा था।
उन्होंने एक दिन मुझे मिलने के लिए बुलाया। हमारी मुलाकात हुई। हमने जीवन, मुंबई
और अध्यात्म की बातें की। एक हफ्ते बाद मुझे इस फिल्म का प्रस्ताव मिल गया। मुझे
लगा की ‘राज रीबूट’ में मैं पैरलल लीड में हूं। पर
उन्होंने कहा कि यह महिला प्रधान फिल्म है। यह बिना ऑडिशन के मेरी झोली में आ
गिरी। इस फिल्म में मुझे चैलेंजिग तरीके से डेब्यू करने का मौका दिया था। पहली
फिल्म से खुद को साबित करने का मौका कम एक्ट्रेस को मिलता है। इस फिल्म ने मुझे
खुद के प्रति जिम्मेदार बनाया है। मैं खुद पर पहले से अधिक भरोसा करने लगी हूं।
साउथ की फिल्मों में भाषा मेरे लिए बाधा नहीं रही, पर वहां पर सीन करते समय सारा
फोकस डायलॉग पर होता था। हिंदी मेरी भाषा है। इस वजह से ‘राज रीबूट’ के दौरान मेरा ध्यान भाषा नहीं इमोशन
पर था। ऐसा महसूस हो रहा है कि मैं अपने घेरे से बाहर आकर उड़ रही हूं।’
शाह रूख मेरे अंकल
अपने शुरुआती सफऱ
के बारे में उन्होंने कहा, ‘चार साल की उम्र में मैंने पहली दफा
कैमरा फेस किया। मैंने टीवी एड से अपने करियर की शुरुआत की। मेरी पहली कमाई पांच
सौ रुपए थी। मेरे परिवार के लिए यह बड़ी बात थी। मेरी मां हमेशा मुझसे एक बात कहती है
कि जीवन में ऐसा कुछ करों की लोगों को सुनाने के लिए कहानी मिल जाएं। इस वजह से
जीवन के हर मोड़ पर पागलपंथी जरूरी है। मां ने कभी मॉडलिंग को मेरे पढ़ाई के बीच
नहीं आने दिया। मां मेरे जरिए केवल अपना शौक पूरा करना चाहती थी। मुझे भी एक्टिंग
से ज्यादा लगाव नहीं था। मैं खुद को टीवी पर देख कर खुश हो जाती थी। स्कूल में
मेरी बहन से किसी लड़की ने बचपने में पूछा कि कृति टीवी में आती है। क्या आप सब शाह
रुख खान के रिश्तेदार हैं। मेरी बहन ने तुरंत कह दिया कि शाह रुख खान हमारे अंकल
हैं। पूरे स्कूल में यह बात तेजी से फैल गई। मजाक में कही गई बात को लोगों ने सच
मान लिया। खैर, इस प्रोफेशन में गंभीर ना होने के बावजूद मुझे कई बड़े मौके मिले। कॉलेज में ही मैंने कई बड़े ब्रांड के साथ काम किया। सिनेमेटोग्राफर राजीव मेनन के बैनर के साथ छह टीवी एड किए। इसके जरिए मुझे आसानी
से साउथ फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री मिली।’
13 है लकी मैस्कट
कृति के जीवन में तेरह नंबर का बड़ा
महत्व है। वह बताती हैं, ‘कई लोग 13 नंबर को अशुभ मानते
हैं। मेरे लिए तेरह नंबर शुभ है। मैंने अपनी पहली साउथ फिल्म तेरह तारीख को साइन
की थी। और पहली हिंदी फिल्म राज रीबूट भी तेरह तारीख को ही साइन की। यहां तक की ‘राज रीबूट’ का पहला टीज़र भी तेरह तारीख को रिलीज़ हुआ। इस तरह तेरह नंबर से मेरा करियर जुड़ा हुआ है। ‘राज रीबूट’ के समय मैं थोड़ा घबरा गई थी। इस फिल्म को साइन करते वक्त
मैंने सोचा कि एक हॉरर फिल्म को मैं तेरह तारीख को साइन कर रही हूं। लेकिन फिर
मैंने महसूस किया है कि नंबर केवल नंबर होता है जब तक आप उसे महत्व नहीं देते हैं।
इसके बाद तेरह नंबर को लेकर मेरा वहम हमेशा के लिए निकल गया। वैसे तेरह नंबर को
खतरा मानते हैं। अब मैं ‘राज रिबूट से फिल्म
इंडस्ट्री में लोगों के लिए खतरा बनकर आ रही
हूं।
बोल्ड सीन से परहेज
कृति ने कहा, ‘केवल बोल्ड कंटेंट प्रस्तुत करने के लिए फिल्में नहीं बनाई जाती
हैं। इंटरनेट ने हमारी सोच का विस्तार किया है। अब लोग कंटेंट आधारित फिल्में
देखना पसंद करते हैं। ‘राज रीबूट’ में कई किसिंग सीन हैं। पर मैं किसिंग सीन को बोल्ड नहीं मानती
हूं। किसिंग सीन अब आम बात है। भारतीय टीवी शो पर भी किसिंग सीन शामिल किए जा रहे
हैं। ‘राज रीबूट’ की स्क्रिप्ट में किसिंग सीन का
प्लाट जरूरी था। यह फिल्म त्रिकोण प्रेम कहानी है। यह फिल्म रिश्तों और भावनाओं से
जुड़ी है। मुझे किसिंग सीन से कोई समस्या नहीं है। पर हां, जबरदस्ती के बोल्ड सीन
से मैं दूर रहना चाहूंगी। बहरहाल, इस फिल्म में इमरान हाशमी और गौरव अरोड़ा मेरे
साथ हैं। इमरान अनुभवी कलाकार हैं। गौरव की यह दूसरी फिल्म है। इमरान से मुझे काफी
सीखने को मिला।गौरव के साथ मुझे अपने काम में एक स्तर आगे जाने का मौका मिला। विक्रम
सर बेहतरीन निर्देशक हैं। वह एक दोस्त की तरह सेट पर रहते थे। वह एक्टर को अपनी
भावनाओं को प्रस्तुत करने का मौका देता हैं। इस फिल्म की शूटिंग रोमानिया में हुई।
रोमानिया ठंडा शहर है। घने कोहरे के कारण सौ किलोमीटर तक कोई दिखाई नहीं पड़ता था।
ऐसे में इस फिल्म की शूटिंग करना मेरे लिए भयानक अनुभव रहा।’
Comments
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'