ले लिया है चैलेंज : शाहिद कपूर
‘
-स्मिता श्रीवास्तव
शाहिद कपूर लगातार
वरायटी रोल कर रहे हैं। खासकर वैसे युवाओं का, जो किन्हीं कारणों से ‘भटका’ हुआ या
बागी है। मिसाल के तौर पर ‘हैदर’ में बागी युवक। अब ‘उड़ता पंजाब’ में वह भटके हुए रॉक स्टार की भूमिका में हैं। ‘हैदर’ में किरदार को रियल टच
देने के लिए उन्होंने सिर मुंडवाया था। यहां उनके लंबे बाल हैं। शरीर पर टैटूओं की
पेंटिंग है। साथ में ज्वैलरी है।
शाहिद कहते हैं, ‘‘ लोग मुझे ऐसी फिल्में करने से मना करते हैं। उनकी दलील रहती है कि पता नहीं वैसी
फिल्मों की कितनी आडियंस होगी। मेरा मानना है अगर कहानी उम्दा हो, उसमें इमोशन और एंटरटेनमेंट हो तो उम्मीद से अधिक आडियंस उसे देखती है। साथ ही
कहानी अच्छी से कही गई हो तो। आडियंस अब उम्दा कहानियां ही देखना चाहती है।‘
एक वक्त ऐसा भी था जब ‘उड़ता पंजाब’ खटाई में पड़ गई थी। दरअसल, मैंने स्वीकृति दे दी थी। बाकी तीन किरदारों को लेकर कलाकार संशय में थे। वे
फैसला नहीं कर पा रहे थे कि करे या न करें। यह फैसला आसान भी नहीं था। यह जोखिम
भरा कदम था। मुझे लगा यह सुअवसर है। दर्शकों ने मुझे इस अवतार में न देखा है न कभी
उम्मीद की है। यही नहीं भारतीय सिनेमा में ऐसा किरदार पर्दे पर दिखा नहीं है।
लिहाजा मेरे लिए यह काफी एक्साइटिंग था।
मेरे किरदार का नाम टॉमी सिंह है। मेरे लिए बेहद एंटरटेनिंग किरदार है।
स्क्रिप्ट सुनाने के दौरान निर्देशक अभिषेक चौबे ने मुझसे कहा था कि आडियंस उससे
नफरत करेगी। हालांकि थोड़े समय बाद उसे पसंद करने लगेगी। यही तुम्हें ट्रांसफॉर्म
करना है। टॉमी सिंह बदतमीज,
लाउड और बदमिजाज है। उसे लगता है कि वह सबसे अच्छा है।
हालांकि उसकी हरकतें देखकर लगेगा कि उसे कमरे से निकाल दो। यह सब चीजें आम तौर पर
हीरो के किरदार में नहीं होती। यह एंटी हीरो टाइप है। मुझे यकीन है कि लोगों को
पसंद आएगा। टॉमी बाहरी तौर पर भले ही बुरा हो मगर अंदरुनी तौर पर भला इंसान है। उस
किरदार को निभाने मेरे लिए बड़ा चैलेंज था।
मैंने जब पहली बार किरदार सुना था तो तभी अपने मन में उसकी एक छवि बना ली थी।
मसलन उसके शरीर पर टैटू होने चाहिए। बाल जटा की तरह लंबे। पहले सोचा था कि इसके
बाल कलर कर देंगे। सडक़ पर इसे चलते देखकर लगेगा कि कौन पागल जा रहा है। मैंने
अभिषेक से आइडिया शेयर किया तो वह डर गए। फिर मैंने बालों का लुक बनाकर फोटो भेजी।
उसे देखकर वे और डर गए। उस समय वे करीना कपूर और दिलजीत दोसांझ के साथ पहले हिस्से
की शूटिंग कर रहे थे। दोनों के किरदार काफी रियलिस्टिक हैं। उन्हें लगा कि शाहिद
मेरी फिल्म खराब कर देगा। शूटिंग से फुर्सत पाकर अभिषेक मुझसे मिले। फिर हमने बात
की। उन्हें भी वह लुक पसंद आने लगा। टॉमी बाकी सभी किरदारों से बेहद अलग है। वह
कोकीन का आदी है। वह बहुत बड़ा रॉकस्टार है। वह अपने तौर-तरीके की जिंदगी जी रहा
है। यह सब भावनात्मक ही नहीं शारीरिक तौर पर भी दिखना चाहिए था। लोगों ने टॉमी के
लुक को पसंद किया, यह काफी उत्साहवद्र्धक था। मेरा अनुमान था कुछ लोगों की ही प्रतिक्रिया
मिलेगी। मगर बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिक्रिया दी। शायद इसके विषय को देखते
हुए।
इसका विषय ओरिजनल है। इस स्पेस में फिल्म नहीं बनी है। एक वक्त था, जब ऐसी
फिल्मों को दर्शक नजरअंदाज करते थे। आज वक्त बदल चुका है। अब अगर आप कुछ अलग करते
हैं तो आडियंस उसे नोटिस करती है। यही उड़ता पंजाब के साथ हुआ है। यह फ्रेश
प्रोडक्ट लग रहा है। फिल्म में चार बड़े सितारे हैं लेकिन कोई स्टार सरीखा नहीं
रहा। सबने अपने किरदारों को जीवंत किया है। सिर्फ इतना कहूंगा कि यह ओरिजनल फिल्म
है। इसे सपोर्ट करना चाहिए। इसमें ड्रग्स की बात की गई है। इसकी अहमियत हमें
वर्तमान में भले महसूस न हो लेकिन पांच साल बाद यह आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा
मुद्दा बनने वाला है। इस विषय पर बात होनी चाहिए। कुछ फिल्में आप बतौर स्टार या
एक्टर करते हैं। मैंने इसे अपने एक्टर की संतुष्टि के लिए किया है। साथ ही खुद को
चैलेंज करने के लिए। मैं खुश हूं कि लोगों को पसंद आ रही।’
रॉकस्टार को चिरपरिचित छवि रही है। कई रॉकस्टार ने मादक पदार्थों के सेवन की
बात भी स्वीकारी है। कुछ ने हताशा में आत्महत्या भी है। आप के मन-मस्तिष्क में
रॉकस्टार को लेकर कैसी छवि रही है? यह पूछने पर शाहिद कपूर कहते हैं, ‘आप टॉमी सिंह को रॉकस्टार या पॉप स्टार कह सकते हैं। वह म्यूजिशियन है। बहुत
बड़ा स्टार है। इस प्रकार के कई पॉप स्टार रह चुके हैं। वह बहुत पापुलर थे।
हालांकि कुछ तुनकमिजाज थे। कुछ की अल्पायु में मृत्यु हो गई। उनके बारे में थोड़ा
बहुत रिसर्च किया। हालांकि मैंने ओरिजनल कैरेक्टर गढ़ा। उसे जीवित इंसान में परिणत
करने की कोशिश नहीं की। यह कोई डाक्यूमेंट्री नहीं है। न ही पॉप स्टार की जिंदगी
पर आधारित है। यह फिक्शन कहानी है। इसमें टॉमी सिंह को खोजना था। उसके अंदर इंसान
है या नहीं यह समझना था। वह ऐसा क्यों है? यह समझना था। वही कोशिश रही कि ऐसा
किरदार लाए जिसे पहले सिल्वर स्क्रीन पर देखा न गया हो। पर हां यह जरूर कहूंगा कि
हमने कई स्टार के उदय की कहानी देखी है। यह एक सटार के ढलान की है। यह उसके खुद के
खोजने की जर्नी है।’
किरदार को जीवंत बनाने की हर कलाकार की कोशिश होती है। उसके लिए तमाम तैयारी
होती है। उस जैसे लोगों से मिलने की कोशिश होती है। हालांकि शाहिद कपूर नशे के आदी
व्यक्ति से मिलने से इन्कार करते हैं। वह कहते हैं, ‘हमने कई डाक्यूमेंट्री देखी। मेरी उम्र 35 साल है। मैंने बहुत दुनिया देखी
है। कई जगहों पर लोगों को अल्कोहल या नशे का सेवन करते देखा है। उस हालत में उनका
व्यवहार अजीबोगरीब होता है। उन्हें आप आव्जर्व करते हैं। हालांकि कोकीन का नशा
करने वालों की आदतें थोड़ा अलग होती है। दरअसल, मादक पदर्ा्थ और दुष्प्रभाव
अलग-अलग होते हैं। मैंने और अभिषेक ने उस पर काफी रिसर्च की।’
फिल्म में पंजाब में फैली ड्रग समस्या उजागर की गई है। हालांकि शाहिद इसे
पंजाब तक सीमित नहीं मानते। वह कहते हैं, ‘मादक पदार्थों का सेवन
सिर्फ पंजाब नहीं पूरे विश्व की समस्या है। इसमें पंजाब बैकड्राप है। जैसे कश्मीर
पर हमने हैदर बनाई थी। हालांकि उसमें हो रही बातें सभी के हितार्थ थीं। सभी की
जिंदगी में समस्याएं आती है। व्यक्तिगत संघर्ष सभी को करना पड़ता है। लत किसी भी
चीज की लग सकती है। चारों किरदार ड्रग से ही संबंधित है। ड्रग्स की समस्या किसी घर या राज्य तक सीमित नहीं है।
पहले नशे को हेयदृष्टि से देखा जाता था। अब पार्टी वगैरह में इनका सेवन आम बात हो
गई है। कम उम्र में ही लोगों को इनकी जानकारी हो रही है। इसमें वास्तविक विषय पर
बात की गई है। यह किसी राज्य या देश की नहीं देशव्यापी समस्या है।’ हाई सोसाइटी में अल्कोहल का सेवन होना आम बात है। स्टार बनने के बावजूद शाहिद
ने खुद को इन चीजों से दूर रखा है। इस बाबत वह कहते हैं, ‘मेरा कभी मन ही नहीं किया। मुझे इसमें कभी दिलचस्पी ही नहीं रही।’
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