सबसे अलग है सोनम -उमाशंकर सिंह


 -उमाशंकर सिंह
सोनम के व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाल रहे हैं युवा फिल्म लेखक उमाशंकर सिंह। पत्रकारिता के रास्ते फिल्मों में आए उमाशंकर सिंह की लिखी पहली फिल्म ‘डॉली की डोली’ में सोनम कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
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सोनम कपूर को मैंने ज्यादातर हिंदुस्तानियों की तरह तब ही जान ही लिया था जब वह फिल्मों में भी नहीं आई थी। पर्सनली तब जाना जब मैं फिल्मों में आया ही आया था। अरबाज भाई ‘दबंग-2 के बाद हमारी स्क्रिप्ट को हां कर चुके थे। पर वह हीरोइन ओरियेंटेड फिल्म थी। वैसी फिल्मों के अपने जाखिम होते हैं। वे हीरोइनें जो इंडस्ट्री में फेमनिज्म का झंडा बुलंद करती रहती हैं। वे भी ऐसी जोखिम उठाने से बचती हैं और बड़ा स्टार, तीन सीन, चार गाने वाली सेफ फिल्म चुनती हैं। एक तो हीरोइन ओरियंटेड ट्रिकी स्क्रिप्ट, उस पर से फर्स्ट टाइमर रायटर और फर्स्ट टाइमर डायरेक्टर। एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा। उन दिनों हम अपनी कास्टिंग को लेकर परेशान थे। कई नाम उछले, पर सब में हमें कुछ ना कुछ इफ एंड बट दिखता। इन्हीं बहसों के बीच एक दिन अचानक सोनम का नाम उछला। अगले दस मिनट में हम इस बात पर कन्विंस थे कि सोनम ही हमारी सुटेबल डॉली है। उसके खूबसूरत चेहरे में वो मासूमयित और आंखों में वो इनोसेंस है जो हमें डॉली में चाहिए थे। आनन-फानन में सोनम से एक मीटिंग अरेंज की गई। हम डरे हुए थे। पर स्टार वाले लटके-झटके के बिना सोनम टाइम पर ऑफिस आईं। उन्‍होंने नैरेशन लिया। अपने कुछ डाउट रखे। कुछ अच्छे सजेशन दिये। अपने डाउटों पर हमारे प्वाइंट सुने। कुछ खुद करेक्ट हुई, कुछ हमें किया और फिल्म को उन्‍होंने डन कर दिया। उस दो-तीन घंटे में ही सोनम कपूर हमारे लिए सोनम हो गई थी। निकलते-निकलते सोनम ने हमें एक और झटका दे दिया। उन्‍होंने स्क्रिप्ट मांगी और कहा हिंदी (नागरी लिपी) में दो। यहां हिंदी फिल्में भी हिंदी में लिखी नहीं जाती। अगर कोई हिंदी में फिल्म लिखता भी है तो वो रोमन हिंदी होती है, ना कि नागरी हिंदी।  सोनम चली गईं। मैं इस सोच में गुम हो गया कि मुंबई में एक स्टार परिवार में पैदा हुई लड़की मुझसे हिंदी में स्क्रिप्ट मांग रही है जबकि हिंदी पट्टी से आए कई लड़के-लड़की ज्यादा मुंबई और बॉलीवुड जैसा होने-दिखने के लिए अंग्रेजी में स्क्रिप्ट मांगते हैं!! 
सोनम की एक और खासियत है। जैसे यूनिवर्सिटी का अधिकांश प्यार कोर्स खत्म होने के साथ खत्म हो जाता है वैसे ही फिल्म के सेट पर बने अधिकांश रिश्ते भी फिल्म खत्म होने के साथ ही खत्म हो जाते हैं। पर सोनम के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं है। ‘रांझणा’ के लेखक हिमांशु शर्मा, ‘रांझणा’ में सोनम की सहअभिनेत्री स्वरा भास्‍कर और जीशान अयूब जैसे उसके दोस्त सेट पर ही बने हैं। जीशान डीयू का मेरा एक साल जूनियर है। इस नाते वह मुझे भैय्या कहता है,  जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। जीशान को भी मेरे नासंदगी की कोई परवाह नहीं है और वह यही कहता है। एक बार इसी बात पर मैं जीशान से दोस्ताना झगड़ा कर रहा था। अपना शॉट देकर आई सोनम ने पूछा क्या हुआ?? मैंने मजाक को आगे बढ़ाते हुए सोनम से कहा कि मैं बिहार से बिलांग करता हूं इसलिए ये मुझे भैय्या कहता है। सोनम ने जीशान को पांच मिनट तक जीशान दिस इज वन काइंड और रेसिज्म से लेकर क्या-क्या नहीं समझाया!! मजाक की बात थी। हम हंसते रहे पर उस दिन हमें पता चला की उसकी आधुनिकता सिर्फ पहनावे और रहन-सहन की नहीं है। वह विचारों की भी है। 40 दिनों के शूट के दरम्यान सोनम के कई और रूप दिखे। वह प्रोडयूर्सस एक्टर है। उसकी वजह से फिल्म अनावश्यक रूप से महंगी ना हो, शेड्यूल लंबा ना खींचे, इसका वह खास ख्याल रखती है। अपनी फिल्म में कम से तीन दिन ऐसा हुआ जब हम लगातार सोनम के साथ करीब चौबीस घंटे तक शूट करते रहे। अपने टाइटिल सांग की शूटिंग हमने सिर्फ तीन दिन में की। जबकि उसमें सोनम के लगभग 14 गेटअप थे और हर गेटअप के लिए उसे दो से तीन घंटा मेकअप करना पड़ता था। उसी तरह जब हम 'फट्टे तक नचना' गाना शूट कर रहे थे जिसे रेमो ने कोरियोग्राफ किया है, तो उसे फीवर हो गया था। हमारा फिल्म सिटी में एक बड़ा सेट लगा था। शूट को टालना फिल्म को थोड़ा और महंगा कर देता। सोनम ने पेन किलर खाकर वह गाना शूट किया। इसके बावजूद उस गाने में सोनम ने जो एनर्जी दिखाई है वह कमाल की है। एक हीरोइन के रूप में सोनम नॉट इजी टू हैंडल है। वह डायरेक्टर्स हीरोइन है। मगर उसके लिए आपका डायरेक्टर्स कैप पहने होना काफी नहीं है।  डायरेक्टर के रूप में आपको अपने विजन का लोहा मनवाना पड़ेगा। वह रायटर्स एक्टर है मगर एक लेखक के रूप में आपके पास उसके किरदार से जुड़े हर क्योका जवाब होना चाहिए। फिर देखिये आप सोनम का सर्पोट। वह आपकी फिल्म को आप से ज्यादा अपनी फिल्म बनाके काम करेगी। फिर एक इंटिलैक्चुल हीरोइन होने के जो भी लाभ होते हैं वो भी आपको मिलेंगे। हीरोइन के रूप में 'सांवरिया' से लेकर 'नीरजा' तक उन्‍होंने लगातार ग्रो किया है। फिल्मों को चुनने में जितनी जोखिम सोनम ने ली है उतनी किसी कंटेम्पररी हीरोइनों ने नहीं ली है। साफगोई वह इतनी बरतती है कि कई लोग उसे मुंहफट कहते हैं। विश यू वैरी वैरी हैप्पी बर्थ डे सोनम। अपना ये सोनमपना हमेशा बनाए रखना।

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