फिल्म समीक्षा : हाउसफुल 3
फूहड़ और ऊलजुलूल
-अजय ब्रह्मात्मज
साजिद नाडियाडवाला हाउसफुल सीरिज के
निर्माता हैं। 2010 में ‘हाउसफुल’ और 2012 में ‘हाउसफुल 2’ के बाद उन्होंने 2016 में ‘हाउसफुल
3’ का निर्माण किया है। इस बार उन्होंने डायरेक्टर बदल
दिया है। साजिद खान की जगह अब साजिद-फरहाद आ गए हैं। एक से भले दो...दो दिमागों ने
मिलकर ‘हाउसफुल 3’ का लेखन और निर्देशन किया है। तय कर पाना मुश्किल है कि यह
पहली दोनों से किस मायने में कमतर या बेहतर है। मन में यह भी सवाल उठ सकता है कि
साजिद खान कैसे साजिद-फरहाद से अच्छे या बुरे हैं कि साजिद नाडियाडवाला ने उन पर
भरोसा किया। बता दें कि ‘हाउसफुल 3’ के क्रिएटिव डायरेक्टर स्वयं साजिद नाडियाडवाला हैं।
फिल्म की कहानी...माफ करें कहानी
बताने के नाम पर घटनाएं लिखनी होंगी,जिनका एक-दूसरे से कोई संबंध नहीं है और उनके
होने के पीछे कोई तर्क भी नहीं है। साजिद-फरहाद इस कला में माहिर हैं। उन्होंने ‘इट्स एंटरटेनमेंट’ के बाद फिर से साबित किया
है कि उन्हें ह्वाट्स ऐप लतीफों को सीन बनाने आता है। शुक्रिया कपिल शर्मा और उन
जैसे कॉमेडी के टीवी होस्ट का...हम हंसी-मजाक में किसी भी स्तर तक फिसल सकते
हैं। हम रंग,नस्ल और विकलांगता पर हंस सकते हैं। इतना हंस सकते हैं कि खुद और
दूसरों को भी रोना आ जाए। ‘हाउसफुल 3’ देखते हुए सचमुच रोने का मन करता है। कोफ्त होती है। खुद पर
और उन कलाकारों पर भी,जो निहायत संजीदगी से ऊलजुलूल हरकतें करते हें। टांग उठा कर
नाचते हैं और मुंह फाड़ कर खिलखिला सकते हैं। अक्ष्य कुमार और रितेश देशमुख ‘हाउसफुल’ सीरिज के स्थायी नगीने
हैं। इस बार अभिषेक बच्चन को भी शामिल कर लिया गया है। हंसी की मात्रा बढ़ाने के
लिए मौके-कुमौके अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन का भी लेखक-निर्देशक ने
दुरुपयोग किया है। रितेश देशमुख ने एक जगह जीनिलिया उच्चारण किया है। पता नहीं
कैसे ट्विंकल मजाक बनने से रह गईं।
‘हाउसफुल 3’ उस हफ्ते आई है,जब सचिन
तेंदुलकर और लता मंगेशकर पर तन्मय भट्ट के मजाकिया वीडियो पर थू-थू,विरोध और
प्रवचन चालू हैं। इस फिल्म में मजाक बन रहे अमिताभ बच्चन,ऐश्वर्या राय बच्चन,मैडम
तुसाद संग्रहालय की अन्य हस्तियों के मखौल पर किसी को आपत्ति नहीं होगी। कॉमेडी
फिल्म के नाम पर सब माफ है। अपाहिजों का मजाक माफ है। अंधे,गूंगे और लंगड़े की चल
रही तौहीन माफ है। मजेदार तथ्य या विडंबना यह है कि ऐसी फिल्में देखते हुए दर्शक
ठहाके लगा रहे हैं। हैं। सिनेमाघरों से निकलते समय टीवी चैनलों के कैमरे के आगे
कलाकारों की तारीफ कर रहे हैं। उनमें ही किसी को अच्छा और किसी को कम अच्छा बता
रहे हैं। यह इस दौर की विसंगति है। इस विसंगति से भी कुछ लोग पैसे बना रहे हैं।
अक्षय कुमार और रितेश देशमुख के लिए ‘हाउसफुल 3’ की हरकतें नई नहीं हैं।
अभिषेक बच्चन उन्हें बराबर का साथ देते हें। गौर करने की बात है कि फिल्म की
तीनों हीरोइनों जैक्लीन फर्नांडिस,नरगिस फाखरी और लिजा हेडन के विदेशी कनेक्शन
हैं। तीनों के रंग-रूप और कद-काठी के साथ मेकअप और चाल-ढाल में भी समानता रखी गई
हैं। वैसे भी उन्हें ज्यादातर दिखने-दिखाने और गानों के लिए ही रखा गया है। वे
बहाना हैं,ताकि तीनों हीरो बेवकूफाना हरकतें कर सकें। बोमन ईरानी और चंकी पांडे के
साथ इस बार जैकी श्राफ को जोड़ लिया गया है। तीनों ने फिल्म को हास्यास्पद
बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
यह फिल्म फूहड़ दृश्यों और राइटिंग
का नमूना है। लेखक संवादों में डबल मिन्रिंग से बचते हैं,लेकिन सिंगल मिनिंग भी खो
देते हैं। बेमतलब और बेखुदी में ही किरदार कुछ बकते नजर आते हें।
अवधि- 135 मिनट
स्टार- एक स्टार
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