नायिकाओं में झलकता है मेरा अक्स - पूजा भट्ट
-अजय ब्रह्मात्मज
पूजा भट्ट की फिल्मों का मिजाज अलग होता है। वह अपनी
पेशगी से चौंकाती हैं। हालांकि उनकी फिल्मों के केंद्र में औरतें होती हैं...बोल्ड,बिंदास
और आक्रामक,लेकिन साथ में पुरुष भी रहता है। उनके संबंधों में यौनाकर्षण रहता
है,जो बाद में भावनाओं के ज्वार-भाटे में डूबता-उतराता है। पूजा की फिल्में
खूबसूरत होती हैं। सीतमत बजट में वह फिल्मों की सेटिंग करती हैं। बैकड्राप में
दिख रही चीजें भी सोच-समझ के साथ एस्थेटिक्स के साथ रखी जाती हैं। उनकी फिल्मों
की हीरोइनें चर्चित होती हैं। बिपाशा बसं और सनी लियोनी उदाहरण हैं। इस बार ‘कैबरे’ में उन्होंने रिचा चड्ढा
को पेश किया है।
कैबरे की कहानी
अपनी नई फिल्म ‘कैबरे’ के बारे में वह शेयर करती हैं,’ यह दिखने मेकं केवल रिचा चड्ढा की फिल्म लग रही होगी,क्योंकि अभी तक गाने और बाकी तस्वीरों में रिचा की ही तस्वीरें घूम रही हैं। वह पसंद भी की जा रही है। यह रिचा यानी रजिया के साथ एक पत्रकार की भी कहानी है। वह शराब के नशे में धुत रहता है। खुद पर से उसका यकीन उठ गया है। आज का सिस्टम कई ईमानदार लोगों को तोड़ देता है। वे निराश होकर खतरनाक कदम उठा लेते हें। इस फिल्म में उस पत्रकार की मुलाकात रजिया से होती है और दोनों के बीच कुछ स्पार्क होता है। स्पार्क के बाद दोनों की जिंदगी में चेंज आता है।‘
अपनी नई फिल्म ‘कैबरे’ के बारे में वह शेयर करती हैं,’ यह दिखने मेकं केवल रिचा चड्ढा की फिल्म लग रही होगी,क्योंकि अभी तक गाने और बाकी तस्वीरों में रिचा की ही तस्वीरें घूम रही हैं। वह पसंद भी की जा रही है। यह रिचा यानी रजिया के साथ एक पत्रकार की भी कहानी है। वह शराब के नशे में धुत रहता है। खुद पर से उसका यकीन उठ गया है। आज का सिस्टम कई ईमानदार लोगों को तोड़ देता है। वे निराश होकर खतरनाक कदम उठा लेते हें। इस फिल्म में उस पत्रकार की मुलाकात रजिया से होती है और दोनों के बीच कुछ स्पार्क होता है। स्पार्क के बाद दोनों की जिंदगी में चेंज आता है।‘
कौस्तुभ का साथ
’कैबरे’ के निर्देशन की जिम्मेदारी पूजा भट्ट ने कौस्तुभ नारायण नियोगी को सौंपी। कौस्तुभ से उनका पुराना परिचय रहा है। ऐड की दुनिया में सफल कौस्तुभ को वह बार-बार फिल्मों में आने के लिए प्रेरित करती रही थीं। वह बताती हैं,’ कौस्तुभ बहुत शार्प और क्रिएटिव है। वह नए अंदाज में कुछ कहने की हिम्मत रखता है। मैंने तो सिर्फ फिल्म का टायटल दिया था। जब मैं सोच रही थी,तब डांस बार बंद किए जा रहे थे। बहुत गहमागहमी थी। अभी कौस्तुभ ने पूरी स्क्रिप्ट तैयार की। कहानी का खुद ही विस्तार किया। उसे झारखंड ले गया और फिर तीन चरणों में कहानी बनी। उसके गाने लिखे और म्यूजिक भी तैयार किया। भट्ट साहब भी उसे पसंद करते हैं। मुझे खुशी है कि उसने सौंपी गई जिम्मेदारी को तरीके से निभाया। मेरी अगली फिल्म में भी वह मेरे साथ है। इस फिल्म का हश्र देखने के बाद आगे की बातें करेंगे।‘
सहारे की जरूरत नहीं
पूजा बेहिचक कहती हैं कि मैं स्ट्रांग औरतों की कहानी कहती हूं। मुझे ऐसी ही कहानियां पसंद आती हैं। मेरी औरतें पारंपरिक होने के बावजूद खुद निर्णय लेती हैं,’ मेरी फिल्मों की नायिका अपने नायक पर निर्भर नहीं रह सकती। वह अपनी इच्छाओं की मालकिन होती है। अब उसे सहारे या प्रेरणा की जरूरत नहीं है। जिंदगी की लड़ाई में पुरुष पार्टनर के साथ वह बराबर की हिस्सेदार है। मैं खुद जैसी हूं,लगभग वैसी ही मेरी नायिकाएं होती हैं। भट्ट साहब सपोट्र में रहते हैं,लेकिन वे चलने व गिरने और उनसे सीखने की बात कहते हैं। उन्होंने अपनी बेटियां को ऐसी ही परवरिश दी है। मुन्ना से मैंने शादी की। हम दोनों के संबंध में कई समानताएं हैं,लेकिन कुछ बातों पर हम असहमत भी रहे। अलग होने पर भी हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। रिश्ते तो बहुत प्यारे होते हैं। उन्हें नाम देने की क्या जरूरत है?’
पूजा बेहिचक कहती हैं कि मैं स्ट्रांग औरतों की कहानी कहती हूं। मुझे ऐसी ही कहानियां पसंद आती हैं। मेरी औरतें पारंपरिक होने के बावजूद खुद निर्णय लेती हैं,’ मेरी फिल्मों की नायिका अपने नायक पर निर्भर नहीं रह सकती। वह अपनी इच्छाओं की मालकिन होती है। अब उसे सहारे या प्रेरणा की जरूरत नहीं है। जिंदगी की लड़ाई में पुरुष पार्टनर के साथ वह बराबर की हिस्सेदार है। मैं खुद जैसी हूं,लगभग वैसी ही मेरी नायिकाएं होती हैं। भट्ट साहब सपोट्र में रहते हैं,लेकिन वे चलने व गिरने और उनसे सीखने की बात कहते हैं। उन्होंने अपनी बेटियां को ऐसी ही परवरिश दी है। मुन्ना से मैंने शादी की। हम दोनों के संबंध में कई समानताएं हैं,लेकिन कुछ बातों पर हम असहमत भी रहे। अलग होने पर भी हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। रिश्ते तो बहुत प्यारे होते हैं। उन्हें नाम देने की क्या जरूरत है?’
बदल जाएगी इमेज
इस फिल्म में रिचा चड्ढा के चुनाव की भी कहानी है। पूजा चालीस लड़कियों से मिल चुकी थीं। एक अभिनेत्री को तो हां भी कह दिया था,लेकिन रिचा से मिलने के बाद ही वह संतुष्ट हुईं। पूजा कहती हैं,’ मुझे ‘कैबरे’ की नायिका के लिए विश्वसनीय लड़की चाहिए थी। रिचा में वह दम-खम है। वह बहुत आकर्षक है। ठीक है कि उसने अभी तक ग्लैमरस और हॉट हीरोइन का रोल नहीं किया है,लेकिन मुझे यकीन था कि वह कर सकती है। मैंने रिचा से इतना ही कहा कि यह रोल तुम्हारी इमेज बदल देगा। अब यह तुम्हें तय करना है कि तुम किस हद तक तैयार हो। दर्शक पाएंगे कि रिचा किसी भी हॉट हीरोइन से रत्ती भर भी कम नहीं हैं।‘
इस फिल्म में रिचा चड्ढा के चुनाव की भी कहानी है। पूजा चालीस लड़कियों से मिल चुकी थीं। एक अभिनेत्री को तो हां भी कह दिया था,लेकिन रिचा से मिलने के बाद ही वह संतुष्ट हुईं। पूजा कहती हैं,’ मुझे ‘कैबरे’ की नायिका के लिए विश्वसनीय लड़की चाहिए थी। रिचा में वह दम-खम है। वह बहुत आकर्षक है। ठीक है कि उसने अभी तक ग्लैमरस और हॉट हीरोइन का रोल नहीं किया है,लेकिन मुझे यकीन था कि वह कर सकती है। मैंने रिचा से इतना ही कहा कि यह रोल तुम्हारी इमेज बदल देगा। अब यह तुम्हें तय करना है कि तुम किस हद तक तैयार हो। दर्शक पाएंगे कि रिचा किसी भी हॉट हीरोइन से रत्ती भर भी कम नहीं हैं।‘
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