फिल्‍म समीक्षा : तेरा सुरुर


हिमेश की गायकी और डबलिन की खूबसूरती
तेरा सुरूर

अजय ब्रह्मात्‍मज

निश्चित ही हिमश रेशमिया अपनी खूबियों के बारे में जानते हैं। वे अपनी फिल्‍मों में उन खूबियों को पर्याप्‍त स्‍पेस और फोकस के साथ पेश करते हें। उनकी फिल्‍मों की सजावट खूबसूरत और आकर्षक रहती है। तेरा सुरूर में वे दर्शकों को डबलिन के लोकेशन पर ले जाते हैं। डबलिन के विहंगम दृश्‍यों(एरियल शॉट) से शहर की खूबसूरती की मनोरम झलक मिलती है। हम इस शहर में विभिन्‍न बहानों से बार-बार हिमेश रेशमिया को देखते हैं। कभी वे गा रहे होते हैं। कभी सोच रहे होते हैं। और कभी एक्‍शन कर रहे होते हैं। कैमरा उन्‍हें खोज ही लेता है। सब कुछ अच्‍छी तरह से दिखाने के लिए फिल्‍म में स्‍लो मोशन का भरपूर इस्‍तेमाल किया गया है। हम हिमेश रेशमिया की बदली कद-काठी,हीरोइन फराह करीमी की सुदरता,मां शरनाज पटेल की ममता और शेखर कपूर,कबीर बेदी,नसीरूद्दीन शाह की मौजूदगी से अभिभूत होते हैं।
संदर्भ के लिए यह हिंदी फिल्‍मों की जूनियर आर्टिस्‍ट मां के बेटे रघु की कहानी है। बचपन में परिस्थितियों के कारण वह अपराधी बन जाता है। जेल से निकलने पर वह पुलिस और सरकार के लिए काम करता है। वह राष्‍ट्रविरोधी संगीन अपराधियों का सफाया करता है। मारने से पहले उनसे भारत माता की जय बोलवाता है। कुछ दर्शक उसके इस कृत्‍य से अतिरिक्‍त तौर पर खुश हो सकते हैं। वह तारा से बेइंतहा प्‍यार करता है। बहरहाल,हम पाते हैं कि रघु की प्रेमिका तारा ड्रग के साथ आयरलैंड में पकड़ ली जाती है। रघु के जीवन का ध्‍येय है कि वह किसी तरह तारा को जेल से निकलवाए। जब वह कानूनी तरीके से ऐसा नहीं कर पाता तो  सैंटिनो की मदद लेता है,जो 19 बार जेल से फरार हो चुका है और अभी अपने सुकून के लिए डबलिन में कैद है। फिल्‍म की पूरी कहानी तारा को जेल से निकालने के इर्द-गिर्द ही घूती है। हमें इस दरम्‍यान कुछ और बातें भी पता चलती हैं।
तेरा सुरूर की पटकथा कसी हुई है। घटनाएं तेजी से घटती हैं। इंटरवल के बाद तो व्‍यक्तियों के नाम और उनकी भागीदारी इतनी तेजी से बढ़ती है कि रघु के साथ दर्शक भी ट्रैक रखने में दिक्‍कत महसूस करते हैं। तेरा सुरूर रघु के नजरिए से पेश की गई है। समय और दृश्‍यों की बचत के लिए रधु के नैरेशन का सटीक सहारा लिया गया है। फिल्‍म के क्राफ्ट की तारीफ करनी होगी। निर्देशक ने अपने मुख्‍य कलाकारों की अभिनय सीमाओं को ध्‍यान में रखते हुए उन्‍हें ऐसे काढ़ा है कि हम उनकी कमियों पर अधिक गौर नहीं करते। डबलिन शहर की खूबसूरती और हिमेश रेशमिया की गायकी ही/भी हमें बांधती है। निस्‍संदेह हिमेश रेशमिया की आवाज और मौशिकी में आज का जादू है। और जब खुद की फिल्‍म हो तो उनका कौशल निखार पर रहता है। यह फिल्‍म हिमेश रेशमिया के प्रशंसकों को पसंद आएगी।
हिंदी फिल्‍मों के पॉपुलर स्‍टारों की तरह हिमेश रेशमिया ने भी अपनी खूबियों की पैकेजिंग सीख ली है। उन्‍होंने इस फिल्‍म के लिए अपने शरीर सौष्‍ठव पर मेहनत की है। पर्दे पर उनकी मेहनत रंग लाती है। उन्‍होंने फिल्‍म में कमीज भी उतारी है। अपनी देहयष्टि का प्रदर्शन किया है। दूसरे पॉपुलर कलाकार इसके अलावा डांस और कॉमेडी भी करते हैं। मुमकिन है हिमेश अपनी अगली फिल्‍मों में इन पर ध्‍यान दें। उनकी तेरा सुरूर इस लिहाज से भी देखी जानी चाहिए कि एक कलाकार अपनी जिद का क्रिएटिव इस्‍तेमाल कैसे कर सकता है ?
तेरा सुरूर में चसीरूद्दीन शाह,शेखर कपूर और कबीर बेदी भी हैं। इनकी मौजूदगी से फिल्‍म समृद्ध होती है। किरदार के तौर पर उन्‍हें अधिक विस्‍तार नहीं दिया गया है। फिल्‍म का सारा ध्‍यान हिमेश रेशमिया पर ही है,जो एक हिसाब से उचित ही है।
अवधि- 106 मिनट
स्‍टार- तीन स्‍टार  

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