दरअसल : विदेशों में पॉपुलर टीवी कलाकार


-अजय ब्रह्मात्मज
हाल ही में स्टार प्लस के शो  'ये रिश्ता क्या कहलाता है' की शूटिंग के सिलसिले में होनकोंग जाने का मौका मिला। इन दिनों टीवी शो भी शूटिंग के लिए अपने कलाकारों को लेकर विदेश जाने लगे हैं। उद्देश्य यही रहता है कि दर्शकों को विदेश की पृष्ठभूमि देखने को मिले। इसी बहाने दर्शक भी अपनी बैठक में बैठे-बैठे ही विदेशों की सैर कर लेते हैं। दशकों पहले जब हमारी दुनिया आज की तरह ग्लोबल नहीं हुई थी तो हिंदी फिल्मों की शूटिंग विदेशों में की जाती थी। दर्शकों को लुभाने और थिएटर में लाने का यह फार्मूला बहुत पॉपुलर हुआ था। बाद में तो पूरा परिदृश्य बदल गया। यश चोपड़ा  ने अलग तरह से विदेशों की छटा परोसी। उनके बाद तो निर्माताओं में विदेशी लोकेशन में देशी इमोशन दिखाने की होड़ लग गयी। क्या टीवी के साथ भी यही हो रहा है?हमें ख्याल रखना होगा की जब किसी टीवी शो के कलाकार विदेश जाएँ तो कहानी भी वहां जाए। वहां के स्थानीय किरदार भी कहानी का हिस्सा बनें।
बहरहाल,'ये रिश्ता क्या कहलाता है' पिछले सात सालों से दर्शकों की पसंद बना हुआ है। दर्शक इनके किरदारों से नहीं उकताए हैं। शो के प्रोडूसर भी दर्शकों की रूचि बनाये रखने लिए रोचक मोड़ ले आते हैंइस शो को देख रहे दर्शकों ने पाया होगा कि अभी उनके किरदार हांगकांग पहुँच गए हैं। इस यात्रा में नैतिक और अक्षरा अपने बेटे-बेटी के साथ हांगकांग की सैर कर रहे थे। हम उनके साथ वहां मौजूद थेकभी बिग बुद्धा तो कभी ओसियन पार्क में उन्हें कहानी और दृश्य में ढलते देख रहे थे। कहानी के बारे में विस्तार से बताना ठीक नहीं होगा। बस,इतना समझ लें की नैतिक और अक्षरा के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है। अक्षरा को शक है कि नैतिक की ज़िन्दगी में कोई और है। टीवी शो ऐसे ही शक--शुबहा से अपने दर्शकों को जोड़े रखते हैं। दरअसल,हम सभी अपनी निजी ज़िन्दगी में कमोबेश दूसरों के बारे में यह जानना चाहते हैं कि उनके बीच सब ठीक चल रहा है न?थोड़ी सी अनबन या लड़ाई की भनक लगते ही हम कानाफूसी पर उत्तर आते हैं। अपनी तरफ से कुछ जोड़ कर आगे बढ़ाने लगते हैं।
मुझे यह मज़ेदार लगा कि बगैर किसी विशेष व्यवस्था या घेराबंदी के ही टीवी क्रू शूटिंग कर रहा था। स्थानीय अनुमति के साथ सभी लोकेशन पर शूटिंग करते समय उन्होंने ने वहां के कार्य व्यापर को डिस्टर्ब नहीं किया। टीवी शो के कलाकार स्थानीय पर्यटकों के साथ घुलमिल गए थे। मेरे लिए यह देखना सुखद था कि  शो के प्रमुख कलाकार करण मेहरा और हिना खान को पर्यटक पहचान रहे थे। वे उनके साथ तस्‍वीरें खिंचवाने को बेताब थे। शो के प्रशंसक दर्शकों से बात करने पर महसूस हुआ कि केवल भारत में,बल्कि भारत के बाहर के दर्शक भी हिंदी के टीवी शो के नियमित दर्शक हैंहाँ,इनमें भारतीय ही ज्यादा है। पूछने पर पता चला कि हिंदी संवादों और देसी इमोशन की वजह से विदेशों में बस गए दर्शक भी हिंदी टीवी शो से जुड़ाव महसूस करते हैं। मुझे इंग्लैंड,कनाडा और हांनकोंग के भारतीय दर्सक और उनके मित्र मिले। स्थानीय और कुछ विदेशी नागरिक चौंक भी रहे थे कि आखिर ऐसा क्या है कि उन कलाकारों के आसपास भीड़ मंडरा रही है। एक भारतीय होने के नाते मेरे लिए यह गर्व का पल था।
निम्रत कौर और प्रियंका चोपड़ा की वजह से भारत में अमेरिकी टीवी शो की चर्चा होने लगी है। अपनी हीनग्रंथि की वजह से हम उन्हें विशेष तवज्जो देते हैंहमें यह भी देखना चाहिए कि भारतीय फिल्में और टीवी शो किस तरह बगैर शोर-शराबे के विदेशी धरती और दर्शकों के बीच पैठ बना रही हैं। मैंने तो पढ़ा और सुना है कि भारतीय टीवी शो अब विदेशी चैनलों पर भी डब होकर प्रसारित हो रहे हैं। मुझे तो ऐसा लगता है कि जल्दी ही कोई ऐसा शो तैयार हो सकता है,जिसके कलाकार और कहानी तो भारतीय हों,लेकिन कथाभूमि या पृष्ठभूमि विदेशी हो। 

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

सिनेमालोक : साहित्य से परहेज है हिंदी फिल्मों को