फिल्‍म समीक्षा : घायल वन्‍स अगेन




प्रचलित छवि में वापसी
-अजय ब्रह्मात्‍मज
      हिंदी फिल्‍मों के अन्‍य पॉपुलर स्‍टार की तरह सनी देओल ने धायल वन्‍स अगेन में वही किया है,जो वे करते रहे हैं। अपने गुस्‍से और मुक्‍के के लिए मशहूर सनी देओल लौटे हैं। इस बार उन्‍होंने अपनी 25 साल पुरानी फिल्‍म घायल के साथ वापसी की है। नई फिल्‍म में पुरानी फिल्‍म के दृश्‍य और किरदारों को शामिल कर उन्‍होंने पुराने और नए दर्शकों को मूल और सीक्‍वल को जोड़ने की सफल कोशिश की है। नई फिल्‍म देखते समय पुरानी फिल्‍म याद आ जाती है। और उसी के साथ इस फिल्‍म से बनी सनी देओल की प्रचलित छवि आज के सनी देओल में उतर आती है। नयी फिल्‍म में सनी देओल ने बार-बार गुस्‍से और चीख के साथ ढाई किलो के मुक्‍के का असरदार इस्‍तेमाल किया है।
    घायल वन्‍स अगेन में खलनायक बदल गया है। बलवंत राय की जगह बंसल आ चुका है। उसके काम करने का तौर-तरीका बदल गया है। वह टेक्‍नो सैवी है। उसने कारपोरेट जगत में साम्राज्‍य स्‍थापित किया है। अजय मेहरा अब पत्रकार की भूमिका में है। सच सामने लाने की मुहिम में अजय ने सत्‍यकाम संस्‍था खोल ली है। वह सत्‍य उजागर करने और न्‍याय दिलाने में हर तरह के जोखिम के लिए तैयार रहता है। शहर के बाशिंदों का उस पर भरोसा है। वहीं भ्रष्‍ट और अपराधी उससे डरते हैं। हम पाते हैं कि सिस्‍टम और मशीनरी आज भी ताकतवरों के हाथों में है। वे अपने स्‍वार्थ और गलतियों के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उन्‍हें दूसरों के जान-माल की फिक्र नहीं रहती। एक नई बात है कि खलनायक का एक परिवार भी है,‍िजसके कुछ सदस्‍य नैतिकता की दुहाई देते हैं।
    संयोग कुछ ऐसा बनता है कि शहर के चार युवक-युवतियों को अजय मेहरा में नयी उम्‍मीद नजर आती है। वे दिन-दहाड़े हुई हत्‍या का सच सामने लाना चाहते हैं। उन्‍हें अपने परिवारों से जूझना और वंसल के कारकुनों का मुकाबला करना पड़ता है। अजय मेहरा से उनकी मुलाकात होने के पहले भारी चेज और एक्‍शन चलता है। फिल्‍म एकबारगी दो दशक पीछे चली जाती है। यहां आज के नए दर्शकों को दिक्‍कत हो सकती है। इस दौर में लंबे चेज और दो व्‍यक्तियों की भागदौड़ हास्‍यास्‍पद लगने लगती है। इंटरवल के बाद सनी देओल और बंसल देओल के कारकुन के बीच की धड़-पकड़ कुछ ज्‍यादा लंबी हो गई है। इसी प्रकार ट्रेन के एक्‍शन सीक्‍वेंस में भी समस्‍याएं हैं। एक्‍शन रियल रखा गया है,लेकिन क्रियाएं एक-दूसरे से जुड़ी नहीं रह पातीं। कई बार फिल्‍म के बहाव में दर्शक ऐसी भूलों को नजरअंदाज कर जाते हैं। सनी देओल की गतिविधियां बांधे रहती हैं।
    घायल वन्‍स अगेन में सनी देओल अपनी उम्र के साथ अजय मेहरा के रूप में हैं। वे पिछली फिल्‍म की एनर्जी और एंगर वे लाने की कोशिश करते हैं,लेकिन उम्र आड़े आ जाती है। फिर भी यह सनी देओल का ही कमाल है कि इस उम्र में भी वे प्रभावशाली एक्‍शन करते दिखते हैं। नरेन्‍द्र झा राज बंसल की भूमिका में हैं। नए किस्‍म के खलनायक से हम परिचित होते हैं। वह अपराध में स्‍वयं संलग्‍न नहीं है,लेकिन अपने बिजनेस अंपायर की रक्षा और बेटे को बचाने की कोशिश में वह सिस्‍टम का उपयोग करता है। यहां उसकी क्रूरता नजर आती है। नरेन्‍द्र झा ने इस किरदार को अपेक्षित ठहराव के साथ निभाया है। इस फिल्‍म के पुराने कलाकारों में ओम पुरी और रमेश देव पुराने किरदारों के विस्‍तार के साथ मौजूद हैं। सनी देओल की तरह वे भी नई और पुरानी फिल्‍म के बीच कड़ी बनते हैं। घायल वन्‍स अगेन में चार नए एक्‍टर हैं। आज की युवा शक्ति के तौर पर उन्‍हें पेश किया गया है। शिवम पाटिल,ऋषभ अरोड़ा,आंचल मुंजाल और डायना खान ने दृश्‍यों के मुताबिक अपनी योग्‍यता जाहिर की है। शिवम पाटिल और आंचल मुंजाल मिले दृश्‍यों में उभरते हें। एक्‍शन दृश्‍यों में उनकी भागीदारी और ऊर्जा सराहनीय है।
    फिल्‍म के अंतिम दृश्‍यों के एक्‍शन दृश्‍यों में आज की मुंबई नजर आती है। अपराध और अपराधियों के बदले स्‍वरूप और तेवर से भी हम परिचित होते हैं। एक्‍शन में काफी कुछ नया है। उन्‍हें विश्‍वसनीयता और बारीकी से पेश किया गया है। फिल्‍म के इमोशनल दृश्‍यों में सनी देओल अजय मेहरा के कोमल और भावपूर्ण पक्ष को दिखाते हैं।
    घायल वन्‍स अगेन सनी देओल ने अपने दर्शकों और प्रशंसकों को ध्‍यान में रख कर ही लिखी और निर्देशित की है। यह उसकी खूबी है,जो कुछ हिस्‍सों में सीमा भी बन जाती है।
अवधि-127 मिनट
स्‍टार- तीन स्‍टार  

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