एक्टिंग का अपना अलग मजा है - प्रकाश झा
-अजय ब्रह्मात्मज
- नयी फिल्म
‘जय गंगाजल’ में आप पहली बार विधिवत कैमरे के सामने आ रहे हैं। यह फैसला क्यों और
कैसे हुआ ?
0 दो वजहों से यह निर्णय लेना पड़ा। एक तो अपने क्रिएटिव क्षितिज पर एक नयी
चुनौती चाहिए थी। स्क्रिप्ट लिखना, प्रोडक्शन की प्लानिंग करना, डायरेक्शन, कैमरा
और म्यूजिक आदि सभी पहलुओं को देख और संभाल चुका था। शूटिंग के लिए एक्टर तैयार
करना भी चल रहा था। इन सारे काम में परफारमेंस नहीं होता है। मैं परफारमेंस की
अतिरिक्त चुनौती चाहता था। इस बार मैं लाइन क्रास कर गया। अपनी फिल्मों में एकाध
सीन तो पहले भी करता रहा हूं।
-इस बार आप एक
महत्वपूर्ण किरदार में हैं ?
0 अपने किरदार
बीएन सिंह की तैयारी में मैं अनेक अधिकारियों से मिला। चार राज्यों के डीएसपी स्तर
के पुलिस अधिकारियों से मिलने पर मैंने उनमें कुछ समान बातें पाईं। मैनेरिज्म और
सोच में समानता दिखी। प्रमोशन से इस पद तक पहुंचे अधिकारी सिस्टम की अच्छी
जानकारी रखते हैं। वे अनुभवी हो जाते हैं। वे भगवान के साथ खाकी की भी पूजा करते
हैं। अपना काम निकालना जानते हें। उन्हें अपनी स्थिति मालूम रहती है, इसलिए कोई
महात्वाकांक्षा नहीं रह जाती है। बीएन सिंह का कहना है कि मस्ती से जीना है तो
कभी अपना इमेज बनने ही नहीं दो। उसे ढोना बहुत मुश्किल है। बातचीत के क्रम में मैं
उन्हें समझने लगा। मुझे लगा कि यह अच्छा मौका है, इसे निभाना चाहिए। कैमरे के
आगे आ जाना चाहिए।
- कुछ तैयारी
भी करनी पड़ी होगी ?
0 तैयारी तो
करनी पड़ी। किरदार को समझने के साथ उसमें प्रवेश करने की चुनौती रही। बाकी तरह
जिम्मेदारियों के साथ यह चौदहवीं जिम्मेदारी ले ली। पर्दे पर कैसा दिखना है ? मैनेरिज्म क्या रखना
है ? उन पर काम चलता रहा। मैं
अपने एक्टर से हमेशा कहता हूं कि जो एक्टिंग न लगे, वह सबसे अच्छी एक्टिंग है।
मैंने कोशिश की है कि एक्टिंग नहीं करूं।
- इस भूमिका के
लिए आप को अपने बॉडी पर भी काम करना पड़ा !
0 पर्दे पर आना है तो सही दिखना ही चाहिए। कैमरे के आगे आने की जिम्मेदारी
होती है। अपने एक्टर से जो चाहता हूं, वही खुद से चाहा।
-क्या किरदार
है आप का ?
0 वह संतुलन
बना कर चलता है। सभी को संभाल कर रखता है। अपने इलाके के उभरते नेताओं से संपर्क
बना कर रखता है! वह साहबों के साथ ही
नेताओं को भी संभाल कर रखता है।
-प्रियंका
चोपड़ा के साथ के दृश्यों का अनुभव कैसा रहा ?
0 प्रियंका ने पूरा सहयोग किया। उन्होंने अपने सामने एक नए एक्टर को तरजीह दी।
उसे स्वीकार किया। यह उनका आत्मविश्वास है। वह बतौर एक्टर बहुत अनुभवी है। फिर
भी अगर डायरेक्टर ही एक्टर बन कर आ रहा है तो किसी दूसरे एक्टर को असुरक्षा हो
सकती थी। हमारी बातचीत और समझदारी विकसित हो गई थी। वह बहुत अच्छी कोएक्टर हैं।
मेरी फिल्म में उन्के साथ एक-दो सीन में आए एक्टर भी यही बात कहेंगे। वह अपने
कैरेक्टर और पूरी फिल्म हमेशा ध्यान में रखती हैं।
-कोई मजेदार
वाकया...
0 वह कहती थीं
कि आप सीनियर डायरेक्टर हैं, लेकिन एक्टर तो मैं सीनियर हूं। मैं भी उन्हें चरण
स्पर्श कहता था। एक-दो बार जब मैंने अपने सीन के बारे में पूछा तो उन्होंने पलट
कर कहा कि यह डायरेक्टर का काम है। आप मुझे देखें और बताएं कि मैं कैसा परफार्म
कर रही हूं।
-डायरेक्टर
प्रकाश झा और एक्टर प्रकाश झा की एक-दूसरे के बारे में क्या राय है ?
0 दो आयाम हैं। एक्टर के तौर पर मुझे मजा आया। सभी एक्टर का मुझ पर विश्वास
था। एक्टिंग के प्रौसेस का अपना आनंद है। डायरेक्शन मेरे लिए नैचुरल काम हो गया
है। एक्टिंग के समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती थी। मुझे लगता है कि दोनों
एक-दूसरे से संतुष्ट रहे। कभी सिर्फ एक्टिंग मिले तो ज्यादा मजा आएगा। इस फिल्म
में तो कैमरे के आगे से पीछे आते ही बाकी इंतजाम में लग जाना पड़ता था।
-आप कितने
इकॉनोमिकल एक्टर हैं?
0 जो मैं
दूसरों से चाहता हूं,वही मापदंड खुद के लिए भी रखता हूं। इकॉनोमिकल एक्टर हूं।
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