जीवन में संतुष्‍ट होना बहुत जरूरी : राजकुमार राव




-अजय ब्रह्मात्‍मज  
प्रतिभावान राजकुमार राव की अगली पेशकश ‘अलीगढ़़’ है। समलैंगिक अधिकारों व व्‍यक्ति की निजता को केंद्र में लेकर बनी इस फिल्‍म में राजकुमार राव पत्रकार दीपू सेबैस्टिन की भूमिका में हैं। दीपू न्‍यूज स्‍टोरी को सनसनीखेज बनाने में यकीन नहीं रखता। वह खबर में मानव अधिकारों को पुरजोर तरीके से रखने का पैरोकार है। 
राजकुमार राव अपने चयन के बारे में बताते हैं, ‘दीपू का किरदार तब निकला, जब मनोज बजापयी कास्ट हो रहे थे। उस वक्‍त हंसल मेहता सर की दूसरे एक्टरों से भी बातें हो रही थीं। नवाज से बातें हुईं। और भी एक्टरों के नाम उनके दिमाग में घूम रहे थे। जैसे कि नाना पाटेकर। वह सब केवल दिमाग में चल रहा था। तब दीपू का किरदार फिल्म में था ही नहीं। जहन में भी नहीं थी। केवल एक हल्का स्केच दिमाग में था। जब स्क्रिप्ट तैयार हुई तब पता चला कि दीपू तो प्रिंसिपल  कास्ट है। जैसे वो बना हंसल ने तय कर लिया कि यह राजकुमार राव का रोल है। हंसल मेहता के मुताबिक उन्‍हें मेरे बिना फिल्म बनाने की आदत नहीं है। दरअसल हम दोनों की जो कला है, कला में आप विस्तार करते हो। अपने भीतर के कलाकार को उभारने का मौका मिलता है। एक कलाकार के जरिए। दूसरे कलाकार के जरिए। एक दूसरे से बांटने का काम होता है। उनके लिए मैं सिग्नेचर बन चुका हूं।
वे मुझ पर काफी भरोसा करते हैं। ठीक वैसे, जैसे किसी पिता को अपने लायक बेटे पर होता है। सर का औऱ मेरा एक कनेक्शन है। वह केवल फिल्म तक नही है। वह सिर्फ डायरेक्टर और एक्टर का नहीं है। वह उसके भी आगे है। बहुत आगे। हम हर तरह की बात करते हैं। हम मस्ती करते हैं। पार्टी करते हैं। गोसिप करते हैं। फिल्म पर ढेर सारी बातें करते हैं। जब मैं सर के साथ काम करता हूं तो बतौर एक्टर बहुत चैलेंज महसूस करता हूं। वह इस तरह के किरदार मेरे लिए लिखते हैं। मुझे करने का मौका देते हैं। एक्टर के तौर पर मुझे बहुत मजा आता है। मेरे जितने भी बेहतरीन काम रहे हैं। जैसे शाहिद। मैं मानता हूं कि उसमें हंसल सर सबसे ऊपर आते हैं। मैंने कई फिल्में की लेकिन उन सब चीजों का मौका मुझे सर के साथ ही आता है। हंसल सर ऐसा एक माहौल देते हैं। एक स्पेस देते हैं कि बतौर एक्टर मैं बहुत खुला हुआ महसूस करता हूं। मुझे लगता है कि मैं किसी को कुछ दिखाने के लिए नहीं कर रहा हूं। मैं केवल अपने लिए काम कर रहा हूं।
मनोज बाजपयी प्रोफेसर सिरस की भूमिका में हैं। प्रोफेसर सिरस को समलैंगिकता के आरोप में अलीगढ़ युनिवर्सिटी से निकाला जाता है। राजकुमार राव सिरस के बारे में अपनी सोच जाहिर करते हैं, ‘प्रोफेसर सिरस मेरे लिए एक ऐसा बंदा है जो जिंदगी को जीना जानता है। उसमें कमाल का टैलेंट हैं।वह आइडियल आदमी है। हम सभी कहीं ना कहीं दूसरों पर निर्भर करते हैं अपनी खुशी के लिए या फिर अपना दुख बांटने के लिए। वहीं वह ऐसा आदमी है जो अपनी दुनिया में बहुत खुश है। उसको जीवन से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। उसके लिए उसका संगीत या यूं कह सकते हैं कि वह अपने स्पेस में बेहद खुश है। इस किरदार से मैंने एक शब्द सीखा कि जीवन में कंटेंट होना बहुत जरूरी है। नहीं तो दिमाग को तो कुछ ना कुछ चाहिए ही रहता है। हमें अपने रोज के जीवन में कुछ ना कुछ चाहिए ही रहता है। कभी गाड़ी .कभी घर को कभी नए दोस्त।
दीपू सेबैस्टियन एक ऐसा इंसान है जिसे कुछ नहीं चाहिए। उसे केवल अपना स्पेस चाहिए। यह सोसायटी उसे वह भी देने को तैयार नहीं है। उससे सबकुछ छिन लिया जा रहा है। मैंने सिरस से यहीं सीखा। मनोज बाजपयी सर उनके साथ मेरा खास नाता है। जब मैं बड़ा हो रहा था तो मैंने शूल देखकर बड़ा हो रहा था। उनका एक प्रभाव मुझ पर रहा है। वह बतौर एक्टर मुझ पर हावी रहे हैं। उनकी परफॉरमेंस से मैं प्रभावित हो जाता था। एक तरफ शाहरूख खान की डीडीएलजे देखकर उनकी भी नकल करता था। वैसा बनना चाह रहा था। दूसरा मैं शूल देख रहा था। मैं मनोज सर की नकल करता था। मुझ पर उनका बहुत बड़ा प्रभाव रहा है। वह आज तक है।

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