कुछ तो बदल सकूं यह दुनिया - सोनम कपूर
-अजय ब्रह्मात्मज
सोनम कपूर ‘नीरजा’ में शीर्षक भूमिका में दिखेंगी। निर्देशक राम माधवानी ने
फिल्म का खयाल आते ही सोनम के नाम पर विचार किया था। सोनम ने नीरजा की कहानी और
स्क्रिप्ट सुनी तो तुरंत हां कह दी। साेनम इस बातचीत में बता रही हैं अपनी सहमति
की वजह और ‘नीरजा’ फिल्म
और व्यक्ति के बारे में...
-बताएं कि कैसे यह फिल्म आप तक पहुंची ?
0 तकरीबन ढाई साल पहले मुझे इस फिल्म की जानकारी
मिली। मुझे बताया गया कि राम माधवानी इसे मेरे साथ ही करना चाहते हैं। स्क्रिप्ट
पढ़ते समय ही मुझे रुलाई आ गई। मैंने राम माधवानी के बारे में सुन रखा था कि वे ऐड
वर्ल्ड का बड़ा नाम हैं। ‘नीरजा’ की कहानी बहुत स्ट्रांग है। वह एक साधारण लड़की थी। उनके
पिता एक जर्नलिस्ट थे। उनकी मां हाउस वाइफ थीं। वह खूबसूरत थी तो उसे माडलिंग के
असाइनमेंट मिल जाते थे। उनके टाइम में एयर होस्टेस के जॉब के साथ ग्लैमर जुड़ा
हुआ था। वह एयर होस्टेस बनना चाहती थ। उनके डैड बहुत ओपन माइंड के थे। उन्होंने
हां कर दी। घर में सभी उसे लाडो बुलाते थे। वह परिवार की लाडली थी।
-लगता है ‘नीरजा’ के बारे में काफी रिसर्च किया है आप ने...
0 अपने किरदार को जानना जरूरी होता है। वह सिद्धांतवादी
लड़की थी। मेरे खयाल में उनकी परवरिश ही ऐसी थी। वह अपने पिता के समान थी। वह अन्याय
नहीं बर्दाश्त कर पाती थीं। इस घटना के चार हफ्ते पहले वह हाइजैक ट्रेनिंग के लिए
गई थीं। आने पर उन्होंने मां को सब बताया तो उनकी मां ने दूसरी आम मां की तरह
समझाया कि तेरा जहाज हाइजैक हो तो तुम भाग जाना। तुम बहादुरी मत दिखाना। नीरजा ने
तब कहा था कि सभी मां तुम्हारी तरह सोचने लगेंगी तो देश का क्या होगा? वह मां से नाराज हो गई थी। नीरजा की मां रमा आंटी ने मुझे
बताया था कि जहाज के हाइजैक की खबर सुनते ही उन्हें लग गया था कि वह वापिस नहीं
आएगी। वही हुआ। उसने हाइजैक कोड पायलट को दिया तो पायलट निकल गए। फिर वह हेड हो गई
तो वही कप्तान बन गईं। उन्होंने अपनी ड्यूटी निभाई। खुद ही विमान के सभी
यात्रियों को बचाने की जिम्मेदारी ले ली। उस मुश्किल घड़ी में एक साधारण लड़की ने
असाधारण काम कर दिया। उनकी जिंदगी उदाहरण है कि सच के साथ रह कर ड्यूटी पूरी करें
तो असाधारण काम कर सकते हें।
- नीरजा के नाम के अवार्ड समारोह में आप चंडीगढ़ गई
थीं। वहां का अनुभव कैसा रहा?
0 मैं दुविधा में थी कि मुझे क्यों सम्मान मिल रहा
है। मैं तो एक अभिनेत्री हूं,जिसने नीरजा की भूमिका निभाई है। वहां आए सभी लोग
मुझे नीरजा का प्रतिरूप समझ रहे थे। उसी दिन लोहड़ी भी थी।
-फिल्म अभिनेत्रियों के बारे में धारणा है कि उनकी
जिंदगी में चमक तो है,लेकिन वह नकली सी है। ऐसे में रियल लड़कियों से मिल कर कैसा
लगता है?
0 मुझे आश्चर्य होता है कि
मेरी फैंस में लड़कियों की तादाद अच्छी-खासी है। वे मुझे हर रूप में पसंद करती
हैं। सच है कि हमारी जिंदगी ककून जैसी है। जिंदगी की खुरदुरी सच्चाइयां हमें छू
नहीं पातीं। मैं कोशिश करती हूं कि अपनी फिल्मों और पर्सनैलिटी के जरिए थोड़ा
फर्क तो ले आऊं। मेरी बातें सभी ध्यान से सुनते हैं,इसलिए मुझे जब भी मौका मिलता
है मैं सही बात करती और कहती हूं। मैं आज की लड़की की तरह पेश आती हूं। मन की बात
कहती हूं। साथ ही ऐसी भूमिकाएं निभाने की खोज में रहती हूं,जिसका समाज पर असर हो।
-क्या नीरजा और सोनम में समानताएं हैं?
0 हम सभी को नेक काम करने,सच
की राह पर चलने और समाज का भला सोचने की बात सिखाई जाती है। जिंदगी में प्रवेश
करने के बाद हम अपने-अपने अनुभवों से हम कुंद और कठोर हो जाते हैं। स्क्रिप्ट
पढ़ते समय मुझे अपने किशोर उम्र की बातें याद आ गईं। नीरजा के चेहरे पर एक नूर और
गर्मजोशी थी। मैंने नीरजा की आत्मा छूने की कोशिश की। सच कहूं तो नीरजा की थोड़ी
क्वालिटी मेरे अंदर आ गई1 जो समानताएं थीं,वे मजबूत हो गईं।
-क्या आप ने महसूस किया है कि आप अपने किरदारों को
अपनी पर्सनैलिटी से कोमल और प्रिय बना देती हैं? उन
पर एक मृदुल परत पड़ जाती है।
0 आप बताएं कि यह अच्छी बात है कि बुरी बात है? यों मेरे करीबी लोग कहते हैं कि में अपने किरदारों की तरह ही
लगने लगती हूं। मैं पूछती भी हूं कि ऐसा है क्या? आप
जो कह रहे हें,कुछ वैसी ही बात आनंद राय ने भी कही थी। उसी वजह से उन्होंने मुझे ‘रांझणा’ में जोया का किरदार दिया। ‘रांझणा’ में निगेटिव होने के बावजूद
दर्शकों ने जोया से नफरत नहीं की।
- निर्देशक राम माधवानी के
बारे में कुछ बताएं?
0 उनके निर्देशन में मॉडर्न आउटलुक और स्टायल है। वे
तो रियल टाइम में शूट करना चाहते थे। वह मुमकिन नहीं था। फिर भी यह फिल्म रियल
के करीब है। उन्होंने नीरजा की दिलेरी और मर्म को छुआ है।
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