दरअसल : रोचक खोज सलमान खान की
-अजय ब्रह्मात्मज
खानत्रयी(आमिर,शाह रुख और सलमान खान) के तीनों खान के
बारे में देश के दर्शक बहुत कुछ जानते हैं। फिल्म स्टारों का जीवन अपरिचित नहीं
रह जाता। उनके इंटरव्यू,उनकी बातें,उनसे संबंधित समाचार और आखिरकार उनकी फिल्मों
से हर प्रशंसक और दर्शक अपने प्रिय स्टार की जीवनी लिखता रहता है। हर नई सूचना
जोड़ने के साथ वह उसे अपडेट भी करता रहता है। धारणाएं बना लेता है। फिल्मों और
फिल्म कलाकारों के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले भी फिल्म स्टारों की पूरी खबर
रखते हैं। जिन फिल्मों और फिल्म स्टारों के साथ वे बड़े होते हैं। उनके प्रति
यह लगाव बना रहता है। खानत्रयी के तीनों खानों को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में 25
साल से अधिक हो गए। इस दरम्यान उनके बारे में हजारों किस्से फैले और दर्शकों के
मानस में बैठ गए।
सुना है कि शाह रुख खान अपनी आत्मकथा लिख रहे हैं। यह
काम आमिर खान और सलमान खान को भी करना चाहिए। आधिकारिक जीवनी एकपक्षीय हो तो भी
उनसे स्टार और उनके समय की जानकारी मिलती है। हिंदी फिल्मों का संसार और कारोबार
इतना बड़ा हो चुका है,लेकिन गतिविधियों,सूचनाओं और घटनाओं के दस्तावेजीकरण पर
किसी का ध्यान नहीं है। केवल अमिताभ बच्चन यह कर रहे हैं। सरकारी या गैरसरकारी
तौर पर भी कोई कोशिश नहीं हो रही है। हमें लगता है कि सब कुछ तो उपलब्ध है। जब
जरूरत होगी तो एकत्रित कर लेंगे। इस आलस्य में सब कुछ बिखर और खो रहा है। यह
हमारे सामाजिक जीवन के साथ व्यक्तिगत जीवन में भी होता है।
इस परिप्रेक्ष्य में जसीम खान की कोशिश सराहनीय है।
जसीम खान ने सलमान खान के जीवन की घटनाओं,उनसे संबंधित व्यक्तियों के संस्मरण और
अन्य साक्ष्यों से सलमान खान को समझने की कोशिश की है। उनकी पुस्तक का नाम ही
है-ऐसे क्यों हैं सलमान। जसीम खान ने उनके पिता सलीम खान और इंदौर के
सगे-संबंधियों की बातों से सलमान खान के स्वभाव की धाराओं को समझा है। उन्होंने
व्यक्तित्व विश्लेषण का प्रयास नहीं किया है। वे स्पष्ट निष्कर्ष से भी बचे
हैं। यह पुस्तक सलमान खान के बारे में सकारात्मक सोच रखती है। सलमान खान की छवि
घटनाओं और विवादों की वजह से चकमक कुहासे में है। उनके बारे में जमाने ने धारणाएं
बना रखी हैं। सब कुछ जानने और समझने के बाद भी कई लोग यह कहते सुनाई पड़ते हैं कि
वे बड़े बाप के बिगड़ैल बेठे हैं। उन्हें सजा मिलनी ही चाहिए।
जसीम खान ने सलमान खान के पूर्वजों की तलाश की है। इस
तलाश में पता चलता है कि उनके पूर्वज अफगानिस्तान के स्वात इलाके से एक सूफी पीर
आखुद साहिब के साथ आए थे। उन्होंने इंदौर को अपना ठिकाना बनाया और बाद में उनके
वंशज यहीं पले-बढ़े। इंदौर के राज परिवार होलकर से उनके पूर्वजों के गहरे संबंध
थे। उनकी फौज में वे जिम्मेदारियों के पद पर रहे। इंदौर में उनके पूर्वजों का
रुतबा था। वे बड़े शौकीन मिजाज,मददगार और दरियादिल लोग थे। पूर्वजों की ये खूबियां
सलमान खान में भी आई हैं। जसीम खान सलमान खान के प्रति क्रिटिकल नहीं होते। वे
खबरों के आईने में उन्हें नहीं देखते। और न ही उनकी फिल्मों के जरिए उन्हें
आंकने का यत्न करते हैं।
दरअसल,जसीम खान की पुस्तक ‘ऐसे क्यों हैं सलमान’ सलमान खान के व्यक्तित्व
की गहराइयों में उतरती है। इस पुस्तक में उनके पूर्वजों और इंदौर की की जानकारी
तफसील से दी गई है। खुद सलमान खान के बचपन के तार इंदौर से जुड़े हुए हें। वहां की
धमाचौकड़ी और मासूम हरकतों में सलमान की जिद और फरागदिली के संकेत मिलते हैं। पुस्तक
में सलमान खान की प्रेमिकाओं का जरूरी जिक्र है। उनके बनते-बिगड़ते संबंधें की भी
पड़ताल की गई है। प्रेमिकाओं के संबंध में उनकी सदाशयता और संबंध टूटने के बाद की
खामोशी भी बहुत कुछ कह देती है।
फिल्म स्टारों की जीवनी लिखने का एक पैटर्न बन चुका
है। उसमें उनकी फिल्मों के विवरण,रोल और उनके निर्देशकों का उल्लेख रहता है।
मुख्य रूप से फिल्मों और फिल्मी जिंदगी की ही बातें रहती है। ‘ऐसे क्यों हैं सलमान’ में क्यों पर जोर है और उस
क्यों का जवाब है।
ऐसे क्यों हैं सलमान
लेखक- जसीम खान
प्रकाशक- पेंगुइन बुक्स
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