बाजी मेरे हाथ - रणवीर सिंह




-अजय ब्रह्मात्‍मज
      रणवीर सिंह की बाजीराव मस्‍तानी 100 करोड़ी क्‍लब में जा चुकी है। उससे भी बड़ी उपलब्धि है कि सभी उनकी भूमिका और अभिनय की तारीफ कर रहे हैं। बहुत कम ऐसा होता है,जब किरदार और कलाकार दोनों ही दर्शकों को पसंद आ जाएं। दरअसल,लोकप्रियता की यह द्वंद्वात्‍मक प्रक्रिया है। इस फिल्‍म की सफलता और सराहना से रणवीर सिंह अपनी पीढ़ी के संभावनाशील अभिनेता के तौर पर उभरे हैं। इस पहचान ने उनकी एनर्जी को नया आयाम दे दिया है। उनकी अगली फिल्‍म आदित्‍य चोपड़ा के निर्देशन में आ रही बेफिकरे है।
    फिलहाल वे लंबी छ़ुट्टी पर निकल चुके हैं। इस छ़ुट्टी में ही वे बेफिकरे के लुक और परिधान की तैयारी करेंगे। बाजीराव के किरदार से बाहर निकलने के लिए भी जरूरी है कि वे थोड़ा आराम करें। अपने अंदर से उसे उलीचें और फिर नए किरदार को आत्‍मसात करें। वे उत्‍साहित हैं कि उन्‍हें आदित्‍य चोपड़ा के साथ काम करने का मौका मिल रहा है। कम लोग जानते हैं कि आदित्‍य चोपड़ा उनके खास मेंटोर है। उनके करिअर के अहम फैसले भी वाईआरएफ(यशराज फिल्‍म्‍स) टैलेंट टीम की सलाह से लिए जाते हैं। बैंड बाजा बारात की रिलीज के बाद के पांच सालों में ही रणवीर सिंह ने पूरी संभावना जाहिर की है। अब यह उनके निर्देशकों पर निर्भर करता है कि वे उन्‍हें किन रूपों में ढालते हैं।
    बाजीराव मस्‍तानी में रणवीर सिंह ने रिलीज के पहले उम्‍मीद से अधिक आशंका ही जगाई थी। अपने खिलंदड़े अंदाज और इवेंट में बहुरुपिया मौजूदगी से उन्‍होंने दर्शकों को भ्रमित कर रखा था। यह तो तय था कि बाजीराव के रूप में संजय लीला भंसाली ने उनके साने चुनौतीपूर्ण दृश्‍य रखे होंगे और साथ ही अंकुश भी लगा रखा होगा। ऐसे हालात में निर्देशक और अभिनेता में संगति न बैठे तो गुड़ के गोबर होने में देर नहीं लगती। खुशी की बात है कि रणवीर सिं‍ह ने अपने परफारमेंस से बाजीराव में जान फूंक दी। उन्‍होंने इस किरदार के लिए आवश्‍यक सभी मनोभावों के उद्रेक के लिए यथायोग मेहनत की। 21 वीं सदी की दूसरी महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक फिल्‍म बाजीराव मस्‍तानी से उन्‍होंने अपने प्रशंसकों को खुश और आलोचकों को संतुष्‍ट किया।
    बाजीराव मस्‍तानी की कामयाबी से इतरा रहे रणवीर सिंह फिल्‍म के प्रति आश्‍वस्ति के चरण बताते हैं,पहले फैमिली और फ्रेड्स की तारीफ मिली। लगा कि ये तो करते ही हैं। फिर इंडस्‍ट्री के सीनियर्स ने तारीफ की तो थोड़ा भरोसा हुआ कि उन्‍हें मेरा काम पसंद आया। फिर भी लगा कि फिल्‍म बिरादरी के सीनियर्स तो औपचारिकतावश आलोचना नहीं करते। उसके बाद समीक्षकों की राय मिली। कमोबेश सभी ने तारीफ की तो आत्‍मविश्‍वास बढ़ा। हमारी तरह दर्शकों के बीच भी आशंका रही होगी। तभी तो पहले दिन कलेक्‍शन नहीं आया,लेकिन अगले दिन से वर्ड ऑफ माउथ का असर दिखा। यह फिल्‍म बॉक्‍स आफिस पर कुलांचें भरती रही । दूसरे हफ्ते में भी फिल्‍म स्‍ट्रांग रही। हर कोने से तारीफ मिली। आखिरकार हमारी मेहनत रंग लाई। कह सकता हूं कि बाजीराव मस्‍तानी को दर्शकों ने हिट किया है।
      हर फिल्‍म में कलाकार के लिए कुछ सीन इमोशनली तो कुछ फिजीकली भारी और मुश्किल होते हैं। बाजीराव मस्‍तानी में रणवीर सिंह को क्‍लाइमेक्‍स में ऐसी मुश्किल आई। वे बताते हैं, क्‍लाइमेक्‍स ने मुझे पागल कर दिया था। फिल्‍म की शुरुआत से ही हर दिन शाम में संजय सर से उस सीन पर चर्चा होती थी। एक साल तक उस सीन ने मुझे बेचैन रखा। मैं थिएटर के गुरु से मिलने गया। शूटिंग के दिन सुबह तक मुझे नहीं मालूम था कि मेरा अप्रोच क्‍या होगा ? क्‍लाइमेक्‍स के 11 दिनों की शूटिंग में हर दिन बेचैनी और परेशानी का रहा। बरहवें दिन की सुबह निढाल होकर मैं बेहोश हो गया था। कैमरा असिस्‍टैंट के कंधे पर सिर रखते ही मैं लड़खड़ा गया और बेसुध होकर गिर गया। खुशी की बात है कि सभी ने क्‍लाइमेक्‍स की तारीफ की। जब लोग किसी विशेष सीन की विस्‍तार में चर्चा करें तो मान लेना चाहिए कि उस सीन ने उनके दिलों को छू लिया है।
    हर बेहतरीन फिल्‍म दर्शकों के साथ कलाकारों को भी प्रभावित करती है। बाजीराव मस्‍तानी ने रणवीर सिंह को क्‍या सिखाया? रणवीर बताते हैं, जिंदगी में दिल के रिश्‍तों की अहमियत होनी चाहिए। दिल के रिश्‍तों के बारे में समाज कैसे बता सकता है कि क्‍या सही है और क्‍या गलत? बाजीराव ने राज और समाज छोड़ दिया और मस्‍तानी के साथ गया। इस फिल्‍म में मेरा एक संवाद है....दुश्‍मनों की छाती में तलवार पिरोना आसान है,पर रिश्‍तों की मोतियों में धागा पिरोना बहुत ही मुश्किल है।
    रणवीर सिंह को उम्‍मीद है कि 2016 उनके लिए 2015 से अधिक फलकारी होगा। इस साल वे नई ऊंचाइयां हासिल करेंगे।
   

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