खेल के साथ रिश्तों की कहानी है ‘साला खड़ूस’-राजकुमार हिरानी
-अजय ब्रह्मात्मज
राजकुमार
हिरानी ‘पीके’ से सहनिर्माता बन गए थे। उसके पहले
वे विधु विनोद चापड़ा की ‘परिणीता’,’एकलव्य‘ और ‘फरारी की सवारी’ में क्रिएटिव प्रड्यूसर रहे। स्वतंत्र
निर्माता के तौर पर उनकी पहली फिल्म ‘साला खड़ूस’ होगी। इस फिल्म में आर
माधवन और रितिका सिंह ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। प्रस्तुत है बतौर निर्माता राजकुमार
हिरानी से हुई बातचीत के अंश.....- निर्माता बनने का खयाल क्यों और कैसे आया ?
0 यह संयोग से हुआ। चाहता
था कि कुछ प्रड्यूस करूं। इंतजार था कि कोई अच्छी स्क्रिप्ट आए या कोई असिस्टैंट
तैयार हो। हुआ यों कि एक दिन माधवन मेरे पास आ गए। उन्होंने 20 मिनट में एक कहानी सुनाई। वे चाहते थे कि मैं
उसे प्रेजेंट करूं। कहानी अच्छी लगी तो मु लगा कि इनवॉल्व होना चाहिए। उन्होंने
साथ आने का प्रस्ताव दिया और मैंने स्वीकार कर लिया।- बाधवन से आप की दोस्ती और
स्क्रिप्ट दोनों ने आप को राजी किया या...0 माधवन के साथ मैंने काम किया है। उन्हें
अर्से से जानता हूं। मिलना-जुलना रहता ही है। हमारी मुलाकात के समय तक माधवन अपनी बॉडी
पर काम कर चुके थे। बेहद फिट थे। उन्होंने जिस जोश से मुझे कहानी सुनाई,उसने मुझे
भी प्रेरित किया।फिर फिल्म की डायरेक्टर सुधा कोंगरा से मुलाकात हुई। वह मणि रत्नम
के साथ काम किया करती थीं। यह उनकी कहानी थी। उन पर मुझे विश्वास हुआ। निर्माता बनने
के लिए जरूरी था कि स्क्रिप्ट और डायरेक्टर पर मेरा विश्वास हो।- आप का क्रिएटिव
कंट्रीब्यूशन किस स्तर पर रहा ?
0 मिली हुई स्क्रिप्ट को
सुधारना और बेहतर बनाना। फिर एडीटिंग में इनके साथ बैठा। डायरेक्टर के साथ मैं चला।
मैंने खुद को कभी इम्पोज नहीं किया। गीत-संगीत के लिए मैं अपनी टीम लेकर गया। स्वानंद
किरकिरे को जोड़ा। म्यूजिक डायरेक्टर चेन्नई के ही हैं।-क्या है यह फिल्म ?
0 एक बॉक्सर की कहानी है,जो कभी ओलिंपिक
में जाना चाहता था,जो इंटरनल पॉलिटिक्स की वजह से नहीं जा सका। उसने बॉक्सिंग छोड़
दी। दस सालों के बाद उसे उसका दोस्त कोच बना कर ले आया। कोच बन कर आने के बाद वह महसूस
करता है कि स्थितियां और बदतर हुई हैं। उस समय के कुछ लोग आज भी मौजूद हैं। वह इस बार
कुछ करना चाहता है तो उसे दूसरी जगह भेज दिया जाता है। महिला बॉक्सर की टीम तैयार
करने की जिम्मेदारी दे दी जाती है। उसे एक दिन एक मछवारिन मिलती है। उसमें उसे क्षमता
दिखती है। वह उसे कैसे तैयार करता है,यही सब कहानी है। वास्तव में यह खेल के साथ रिश्तों
की भी कहानी है। क्लाइमेक्स बेहतरी बना है।-फिल्म के ट्रेलर से लगता है कि कोई प्रेमकहानी
भी हो ?
0 प्रेमकहानी तो नहीं है। ट्रेलर में हंसी-मजाक
के लिए डाला गया है। दोनों की जर्नी है। माधवन उसके जरिए कुछ हासिल करना चाहते हैं।
असल में दोनों ही खड़ूस हैं। एक के सपने और दूसरे के संघर्ष की पैरेलल कहानी चलती है।
सब होने के बाद भी कहानी बॉक्सिंग पर टिकी रहती है।
-ऐसी फिल्मों के दर्शक और बाजार हैं क्या?
0 हम ने इसे नियंत्रित तरीके
से बनाया है। पता नहीं रहता। कई बार छोटी फिल्में सरप्राइज कर देती है। पिछले साल
जैसे ‘मसान’ ने किया। हम तो बेहतर की उम्मीद रख
रहे हैं। इसे मैंने अपनी फिल्म के तरह ही बनाया है। मेरी फिल्मों को ट्रेड अनसेफ
कहता रहा है,लेकिन दर्शकों ने उन्हें हाथोंहाथ लिया। पूरे पैशन से बनाई है मैंने।-और
भी फिल्मों के निर्माण की योजनाएं हैं क्या ?
0 अभी नहीं। इसके बाद संजय दत्त की बॉयोग्राफी
में लग जाऊंगा। फिर मुन्नाभाई की अगली कड़ी भी लिखी जा रही है। अब मुझे एक अच्छी
कहानी मिल गई है। चार-पांच आधी-आधी लिखने के बाद यह कहानी मिली है। वह फिल्म संजय
दत्त के साथ ही होगी। बीच में सुभाष कपूर ने भी कोशिश की थी। उनसे भी नहीं हो सकी।
दरअसल,मुन्नाभाई सीरिज की अगली फिल्म पिछली फिल्मों के समकक्ष या बेहतर हागी तभी
दर्शक संतुष्ट होंगे। उस फिल्म के प्रति दर्शकों का प्रेम बना हुआ है। दोनों फिल्में
मुझे डायरेक्ट करनी हैं।
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