चवन्नी 2015
चवन्नी के पाठकों में बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल कमेंट और प्रतिक्रियाएं कम मिलीं। हो यूं रहा है कि पाठक और परिचित फेसबुक और ट्वीटर पर ही टिप्पणी कर संतुष्ट हो लेते हैं। इस साल खयाल रखें कि ब्लॉग पर आर्टिकल के नीचे टिप्पणी करें। फायदा यह होगा कि भविष्य में ब्लॉग पढ़ते समय दूसरे पाठक आप की टिप्पणियां भी पढ़ सकेंगे। आप की मारीफ और आलोचना से बल और संबल मिलता है। प्लीज पढ़ना जारी रखें और टिप्पणी करना भी।
2015 में कुल 1,84,533 पाठकों ने चवन्नी का पठन-पाठन किया। आप बताएं कि इसे कैसे आप के लिए अधिक उपयागी बनाया जा सकता है। 2016 में कुछ नया करने के साथ चवन्नी को वेबसाइट का रूप देने की भी योजना है।यह सब आपके सुझाव और सहयोग से ही हो सकता है। वीडियो बलॉग भी आरंभ करना है।
2016 में चवन्नी पर आप की उपस्थिति का आंकड़ा यों रहा....
जनवरी- 15,331
फरवरी- 13,836
मार्च- 14,906
अप्रिल- 20,000
मई- 23,238
जून- 14,992
जुलाई- 13,528
अगस्त- 12,183
सितंबर- 13,163
अक्टूबर- 11,806
नवंबर- 13,126
दिसंबर- 18,424
कुल- 1,84,533
सब से ज्यादा पाठक(23,238) मई में आए और सब से कम पाठक(11,806) अक्टूबर में रहे। मेरी उम्मीद है कि सबसे ज्यादा और सबसे कम का यह आधे का अंतर 2016 में कम होगा।
2015 में कुल 252 पोस्ट प्रकाशित किए गए। 2016 में उनकी भी संख्या बढ़ेगी। 2015 में मेहमान लेखिका सुदीप्ति निरूपम के लेख 'अलहदा लोगों के सर्वाइवल की जगह की तलाश में 'तमाशा' सब से ज्यादा(1723) पढ़ी गई। मेरे कॉलम दरअसल के 'सिनेमा की सोच और ग्रामर बदल रहा है फैंटम' को 1582 पाठकों ने पढ़ा। फिल्म समीक्षा की बात करूं तो सब से ज्यादा पाठक 'मार्गरिटा विद ए स्ट्राॅ'(1612) को मिले। दूसरे स्थान पर 'प्रेम रतन धन पायो'(1318) रही। 'बांबे वेल्वेट'(1218) तीसरे स्थान पर रही।
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