तारा की स्पिरिट समझती हूं-दीपिका पादुकोण
-अजय ब्रह्मात्मज
इम्तियाज अली के निर्देशन में दीपिका पादुकोण की दूसरी
फिल्म है ‘तमाशा’।
इसमें वह अपने पूर्व प्रेमी रणबीर कपूर के साथ हैं। दोनों की पिछली फिल्म ‘ये जवानी है दीवानी’ बेहद सफल रही थी। निर्देशक
दोनों के निजी जीवन के प्रेम और अलगाव को फिल्म की स्क्रिप्ट में ले आते हैं और
दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर बगैर ना-नुकूर के उन्हें पर्दे पर निभाते हैं। पहले
ऐसा मुमकिन नहीं था। पर्सनल संबंधों और प्रोफेशनल जरूरतों का यह नया संयुक्त आयाम
है। अब के कलाकार अलग होने के बाद भी स्क्रीन पर बेलाग लगाव दिखाते हैं। वे पूर्व
संबंधों के बोझ लेकर नहीं चलते। दीपिका पादुकोण ने ‘तमाशा’ में तारा की भूमिका निभाई है।
- कौन है तारा ?
0 तारा साधारण और मामूली सी
लड़की है। वह अपनी जिंदगी में मस्त है। वह कामकाजी है। उसका ब्वाम्य फ्रेंड है।
वह अच्छे परिवार से आती है। उसे अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है। वह वेद से
मिलती है तो उसे कुछ हो जाता है। ऐसा लगता है कि अंदार से कुछ खुल जाता है। वेद से
मिलने के पहले वह कुछ अलग थी। मिलने के बाद वह कुछ और हो जाती है। बेहतर तरीके
से...
-वेद से प्रभावित क्यों होती है तारा?
0 वह खुद तो वेद से प्रभावित
होती है,साथ ही वह वेद पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है। हम सभी के साथ ऐसा होता
है। हम अपनी जिंदगी में अनेक लोगों से मिलते हैं,लेकिन कुछ का असर रह जाता है।
पर्सनैलिटी,एनर्जी,पॉजीटिविटी कुछ भी प्रभावित कर देती है और हम में बदलाव आता है।
तारा और वेद के साथ भी यही होता है। वह वेद की जिंदगी में कैटलिस्ट का काम करती
है। वह उसमें जिंदगी का संचार करती है।
-वेद और तारा के जरिए क्या कहना चाह रहे हैं इम्तियाज
अली ?
0 हमारे समाज में
युवक-युवतियों पर अनेक दबाव रहते हैं। आप को यह बनना है,वह करना है। यह हासिल करना
है। हमेशा हम पर कोई न कोई रोल निभाने का दबाव रहता है। इतनी अपेक्षाएं रखी जाती
हैं कि हम खुद से अपेक्षाएं रखने लगते हें। हम दूसरों के अनुसार जीने लगते हें। इस
फिल्म में इम्तियाज अली का एक ही संदेश है- बी योरसेल्फ। मैं तो फिल्म इंडस्ट्री
से अनेक उदाहरण दे सकती हूं कि उन्होंने पढ़ाई कुछ और की,लेकिन अभी फिल्मों में
अच्छा कर रहे हैं। वे सब कुछ छोड़ कर आए और फिल्मों पर ध्यान दिया। कुछ लोग
जिंदगी की एकरसता में फंस जाते हैं। वे हिम्मत नहीं कर पाते। कुछ अपनी जिंदगी का
निरीक्षण करते हैं और वर्त्तमान से तौबा कर नई कोशिश करते हैं। यही ‘तमाशा’ है।
-वेद और तारा की जिंदगी गुंथी हुई है फिर ?
0 पहले वेद तारा की जिंदगी
में जोश भरता है। बताता है कि जिंदगी कितली मजेदार हो सकती है। बाद में तारा उसे
अहसास दिलाती है कि वह वास्तव में क्या है ?
-तारा की मुलाकात कैसे होती है वेद से ?
0 तारा अपनी जिंदगी में मस्त
है। वह अपने परिवार के साथ रहती है। आजाद खयालों की लड़की है। वह एस्ट्रिक्स
कॉमिक्स की फैन है। एस्ट्रिक्स कॉमिक्स इन कोर्सिका पढ़ने के बाद वह वहां जाने
के लिए बेताब है। कोर्सिका में ही वेद से उसकी मुलाकात होती है। तारा ने जिंदगी का
रस नहीं खोया है।
-क्या कभी तारा जैसी लड़की से आप मिली हैं या खुद को
उसके करीब पाती हैं ?
0 हां,मैं तारा जैसी लड़कियों
से मिली हूं। मैं खुद वैसी नहीं हूं। मैं शुरू से ही अपने मन का काम कर रही हूं।
मेरी जिंदगी में तारा जैसा कंफ्ल्क्टि नहीं रहा है। मरे मां-पिता ने कभी कोई दबाव
नहीं डाला। मैं जो करना चाहती थी उसी के लिए उन्होंने प्रोत्साहित किया। फिल्म
के संदेश से मैं जुउ़ाव महसूस करती हूं। मेरे पिता हमेशा कहते हैं कि जिंदगी में
वही करो जो करना चाहती हो। जिसके लिए पैशन और एक्साइटमेंट हो।
- आज के भारतीय समाज में आजाद खयाल लड़की होना और अपनी
मर्जी का करिअर चुनना कितना आसान है ?
0 मेरी फ्रेंड्स सर्किल में
ऐसी लड़कियां हें। उन्होंने पढ़ाई की। पढ़ाई में अव्वल रहीं और फिर दबाव में आकर
शादी कर ली। वे जो करना चाहती थी,वह नहीं कर सकीं।
-तारा और दीपिका से मैं जानना चाहता हूं कि हासिल करने
की जिद में कुछ खोया भी है क्या ?
0 नहीं। मैं खुश हूं। मेरा एक
ही रिग्रेट है कि मैं जिस इंडस्ट्री में हूं,वह मुंबई में है। मेरे मां-पिता
बंगलुरु में रहते हैं। एक ही इच्छा है कि सुबह आंखें खोलूं तो वे मेरे सामने हों।
मां आकर जगाएं। पिता के साथ चाय पी लूं। कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। हमलोग
साथ रहने की कोशिश करते हैं।
- एक महीने के अंदर इम्तियाज अली और संजय लीला भंसाली दोनों
के साथ आप की दूसरी फिल्म आ रही है। दोनों के साथ हम दीपिका की कौन सी नई खूबी से
परिचित होंगे ?
0 ‘तमाशा’ में तारा के स्पिरिट को
मैंने पहली बार पर्दे पर जिया। मैंने तारा या उसके आसपास का किरदार भी पहले नहीं
निभाया है। मैं हमेशा रणबीर और इम्तियाज के साथ काम करना चाहती थी। मैंने दोनों के
साथ अलग-अलग काम किया है।‘रॉकस्टार’ के लिए नहीं चुने जाने पर मुझे बुरा लगा था। रहमान सर के साथ
भी यह मेरी पहली फिल्म होगी।
-संगीतकार से एक्टिंग में किस तरह की मदद मिलती है ?
0 बहुत ज्याद। खास कर ऐसी
फिल्म में...जिसमें बैकग्राउंड स्कोर या म्यूजिक स्कोर का खास उपयोग किया गया
है। गानों पर परफार्म करने में मजा आता है। हमलोगों ने इस फिल्म के गानों पर सीन
की तरह परफार्म किया है। अगर फिल्म देखते वक्त गाना अच्छा लगे तो उसका श्रेय
एक्टर को मिलता है लेकिन मेहनत तो संगीतकार की होती है। म्यूजिक सीन और
परफारमेंस को प्रभाव बढ़ा देता है।
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