जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा - शाह रुख खान
-अजय ब्रह्मात्मज
शाह रुख खान का ज्यादातर समय अभी
हैदराबाद में बीतता है। हैदराबाद का रामोजी राव स्टूडियो ही इन दिनों उनका ठिकाना
बन गया है। वे वहीं से कहीं जाते हैं और फिर लौट कर वहीं आते हैं। यहां तक कि
मुंबई में बांद्रा स्थित उनका बंगला मन्नत भी अस्थायी निवास हो गया है। छोटे
बेटे अब्राम से मिलने का मन किया तो मुंबई आ गए या उसे हैदराबाद बुला लिया। कभी फुर्सत
रही तो दोपहर के लंच के लिए आए और फिर हैदराबाद लौट गए। दरअसल,रोहित शेट्टी के
निर्देशन में बन रही ‘दिलवाले’ का सेट वहां लगा हुआ है। उन्होंने हैदारबाद के रामोजी राव
स्टूडियो में गोवा बसा रखा है। रोहित की फिल्मों में गोवा रहता ही है। यहां ‘दिलवाले’ के नायक काली (शाह रुख खान)
का गैरेज बनाया गया है,जहां डिजायनर कार से लेकर मोटर मरम्मत के सभी काम होते
हैं। उनका छोटा भाई भी उनके साथ रहता है। फिल्म के एक हिस्से की घटनाएं गोवा में
घटती हैं।
बहरहाल,अपने
जन्मदिन(2 नवंबर) से ठीक नौ दिन पहले उन्होंने सेट पर मिलने के लिए बुलाया। इस
बार ‘दिलवाले’ में वे आक्रामक प्रचार से भिन्न तरीका अपना रहे हैं। विभिन्न
शहरों से पत्रकारों के जत्थे बुलाते हैं। उनके साथ वे अपनी फिल्म के गानों और दृश्यों
के 20 मिनट के फुटेज शेयर करते हैं। फिल्म की मेकिंग की चुनौतियों और खुशियों की
बातें करते हैं। ‘दिलवाले’ भी उन्की महात्वाकांक्षी फिल्म है। वे बताते हैं,’ पिछली कुछ फिल्मों से मेरी कोशिश है कि मैं बड़ी फिल्में
बनाऊं। हमारी फिल्में इंटरनेशनल लेवल पर हालीवुड की फिल्मों से कम नहीं हों।
वीएफएक्स और प्रस्तुति में हमारी फिल्में कतई कमतर न दिखें। निर्माता के तौर पर
मैं अपनी फिल्मों के लिए नई से नई तकनीकी सुविधाएं जुटा सकता हूं। तकनीकी रूप से
सब कुछ बेस्ट मुहैया कर सकता हूं। मैं बार-बार यह बोल रहा हूं कि अगर हम सिनेमा
में तरक्की नहीं करेंगे तो हालीवुड की फिल्में हमें खा जाएंगी। सारी दुनिया की
तरह यहां के लाग भी हालीवुड की फिल्मों में मजे लेने लगेंगे। हमारे पास अच्छी
कहानियां हैं। अच्छे एक्टर हैं। हमारी संपन्न संस्कृति है और सिनेमा के लिए
सबसे जरूरी सुधि दर्शक हैं। फिर क्यों नहीं उनका सही इस्तेमाल हो। मैं दावा नहीं
करता कि मेरी फिल्मों में कुछ नया दिखेगा,लेकिन यह भरोसा देता हूं कि वह पहले से
बेहतर दिखेगा। दर्शकों का अनुभव और आनंद पहले से बेहतर होगा। ‘दिलवाले’ की बात करूं तो रोहित को
गाडि़यां उड़ाना पसंद है और मुझे साडि़यां उड़ाना पसंद है। इस बार साडि़यां और
गाडि़यां दोनों ही उड़ती दिखेंगी। यानी एक्शन और मॉमेडी के साथ रोमांस भी रहेगा।‘
शाह
रुख खान अच्छी तरह जानते हैं कि 18 दिसंबर को रिलीज हो रही उनकी ‘दिलवाले’ का सीधा मुकाबला संजय लीला
भंसाली की फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ से है। वे फिल्मों में ऐसे मुकाबले को स्वीकार नहीं करते।
वे स्पष्ट करते हैं,’साल में कुल 52 हफ्ते होते
हैं तो उतने ही या एक-दो ज्यादा शुक्रवार होते हैं। हर साल 100 से ऊपर हिंदी फिल्में
रिलीज होती हैं तो इस तरह दो या दो से अधिक फिल्मों का साथ आना लाजिमी है। हम सभी
बेहतर रिलीज चाहते हैं। हम चाहते हैं कि छुट्टियां और त्योहार मिल जाएं तो दर्शक
बढ़ जाएंगे। और फिर कई बार ऐसा देखा गया है कि साथ आई दोनों फिल्मों का बिजनेस
अच्छा होता है। अगर मेरी फिल्म पसंद नहीं आई तो सोलो रिलीज होकर भी कुछ नहीं कर
पाएगी। मैं तो यही ख्वाहिश रखूंगा कि दोनों ही फिल्में चलें।‘
रोहित
शेट्टी ने उन्हें इस कदर इंगेज कर रखा है कि जन्मदिन के लिए बमुश्किल एक दिन की
छ़ुट्टी दे रहे हैं। जन्मदिन के दिन काफी प्रशंसक मिलने आते हैं। मैं मीडिया से
भी मिलता हूं। चाहता हूं कि सभी से मिलूं। उनसे प्यार लूं और अपना प्यार दूं।
कुछ मजबूरियों हैं कि मैं सभी से नहीं मिल सकता। इधर मैंने महसूस किया है कि मैं
दिन भर लोगों से या हाथ मिला रहा होता हूं या या फिर प्रशंसकों की भीड़ के लिए
अपने छज्जे पर खड़े होकर हाथ हिलाता रहता हूं। कोशिश रहेगी कि इस बार थोड़ी तब्दीली
आए। मेरी टीम वर्कआउट कर रही है।‘
हाल ही में
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से डाक्टरेट की उपाधि लेकर लौटे शाह रुख खान ने वहां
छात्रों को जीवन के आठ पाठ बताए थे। वे मानते हैं कि जीवन में पढ़ाई बहुत जरूरी
है। वे दोटूक शब्दों में अपने बच्चों के उदाहरण से बताते हैं,’ मैंने उन्हें फिल्मी माहौल से दूर रखा है। मेरा पूरा यकीन
है कि जीवन में पढ़ाई बहुत काम आती है। स्कूल और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई होनी
चाहिए। मैं नहीं चाहूंगा कि आर्यन,सुहाना और अब्राम अपनी पढ़ाई छोड़ कर कुछ और
करें। फिल्मों में भी आना है तो पहले पढ़ाई पूरी करें। फिल्म इंडस्ट्री के बच्चे
पढ़ाई छोड़ कर फिल्मों में आ जाते हैं। आप उनसे मिलें और बातें करें तो पाएंगे कि
वे बड़ी मनहूस बातें करते हैं। जिंदगी के किसी भी क्षेत्र में आप पढ़ाई और जानकारी
से ही अव्वल हो सकते हैं। और हमें अव्वल रहना चाहिए। मैं यह भी नहीं मानता कि
एक्टर का बेटा या बेटी एक्टर ही हो। मेरे पिता तो एक्टर नहीं थे। मुझे एक्टिंग
से लगाव था। आज मैं इस मुकाम पर हूं। मेरे बेटे-बेटी का लगाव होगा तो वे भी कोई
मुकाम हासिल करेंगे। नहीं तो दर्शक उन्हें छांट देंगे। मैं विरासत में उन्हें
अपनी कामयाबी नहीं दे सकता। उसके लिए उन्हें खुद मेहनत करनी होगी। हाल ही मैं
गौरी ने मुझे मना किया कि मैं सोशल साइट्स पर बच्चों की तस्वीरें नहीं लगाया
करूं। अभी उन्होंने हासिल ही क्या किया है कि वे मेरी शोहरत पाएं। मुझे बात
जंची।‘
शाह रुख खान
की ऊर्जा मशहूर है। दरअसल,वे दिल-ओ-जान कौर कॉमन सेंस से काम करते हैं। इसी शाम वे
सुबह 10 बजे से काम कर रहे थे। दिन में एक स्टंट करते हुए उनके दाहिने बाजू में
चोट और खरोंच लगी। उनके घुटने में पहले से चोट लगी हुई है। डाक्टर से दिखाना है। सेहत और बाकी चीजें ठहर गई हैं। अभी बस एक ही ध्यान है कि ‘दिलवाले’ समय से रिलीज हो और दर्शकों
के बीच पहुंचे। रात में शूटिंग खत्म करने के बाद एक बजकर चालीस मिनट पर वे
कलाकारों की टीम और डायरेक्टर रोहित शेट्टी के साथ आए और सुबह साढ़े चार बजे तक
गपियाते रहे। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इतनी देर सुबह तक तो पार्टियां चलती
हैं। हैदराबाद में शाह रुख खान अनोखी बातें कर रहे थे। पता चला कि डायरेक्टर ने
उन्हें अगली सुबह नौ बजे का कॉल टाइम दे रख है। सचमुच शोहरत में समय और सेहत की
बलि चढ़ जाती है। शाह रुख टीम की सलाह को भी नकार देते हैं और अपनी परिचित टेढ़ी
मुस्कान से दिल बहलाते और बात आगे बढ़ाते हैं।
‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के
बीस साल बाद ‘दिलवाले’ आ रही है। इसमें वे अपनी विख्यात जोड़ी काजोल केसाथ हैं।
साथ में वरुण धवन,कृति सैनन,वरुण शर्मा,जॉनी लीचर,संजय मिश्रा,बोमन ईरानी,विनोद
खन्ना और कबीर बेदी भी हैं। इस फिल्म की शूटिंग बुल्गारिया,गोवा और हैदराबाद
में हुई है। पहली बार रोहित शेट्टी की फिल्म में इंटेंस रोमांस और रोमांटिक गाने
हैं। हिंदी फिल्मों में रोमांस के समय इंद्रधनुष छटा बिखेरती है। इस बार तो पूरा
आकाश ही सतरंगी हो गया है।
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