फिलम समीक्षा : वेडिंग पुलाव
बासी और ठंडा पुलाव
-अजय ब्रह्मात्मज
यह फिल्म
अनुष्का रंजन के माता-पिता ने बेटी की लौंचिंग के लिए बनाई है। ऐसी लौंचिंग फिल्म
में लेखकों को हिदायत रहती है कि सारा जोर उस कलाकार पर हो, जिसे लौंच किया जा रहा
है। फिल्म में उसके लिए ऐसे दृश्य होने चाहिए, जिसमें उस कलाकार की क्षमता और
प्रतिभा का परिख्य मिले। ऐसी फिल्में वास्तव में फिल्म से अधिक नवोदित कलाकार का
पोर्टफोलियो होती हैं, जो एक साथ दर्शकों और इंडस्ट़ी
के लिए पेश की जाती है।
इस लिहाज से
इस फिल्म की कहानी अनुष्का रंजन को ध्यान में रख कर लिखी गई है। फिल्म के आरंभ
से अाखिर तक खयाल रखा गया है कि किसी और किरदार की तरफ दर्शक आकर्षित न हो जाएं, इसीलिए
दिगंत, मनचले, सोनाली सहगल और करण ग्रोवर के किरदारों को बढ़ने का मौका ही नहीं
दिया गया है। हर बार फिल्म लौट कर अनुष्का पर आ जाती है। उनके किरदार तक का नाम
अनुष्का रख दिया गया है।
अनुष्का
सामान्य हैं। स्क्रीन पर वह अच्छी लगती हैं। अपनी लंबाई से उन्हें झेंप नहीं
आती। उनकी मुस्कराहट बौर कद-काठी अच्छी है। भावनात्मक दृश्यों में अभी उन्हें
और मेहनत करनी होगी। नाचना तो इन दिनों सभी लड़कियों को आता है। खासकर बॉलीवुड
डांस के लिए किस शास्त्रियता की जरूरत होती है। हां, उच्चारण और संवाद अदायगी की
कमियां हें। उन पर कौन ध्यान देता है। स्क्रीन पर अच्छी दिखना पहली शर्त्त
होती है। अनुष्का रंजन में इन दिनों की अभिनेत्रियों के सभी बाहरी गुण हैं।
रही फिल्म
की बात तो यह पुलाव बासी है। इसे नाच-गानों के ओवन में गर्म किया गया है। सही टेम्पेरेचर
और टाइम फिक्स न करने से यह अंदर में ठंडा ही रह गया है। फिल्म में कोई नयापन
नहीं है। दोस्ती और प्रेम में उलझी यह कहानी सैकड़ों बार हिंदी फिल्मों में आ
चुकी है।
अवधि- 123 मिनट
स्टार – एक स्टार
Comments