कॉमेडी और एक्शन कंफर्ट जोन है- अक्षय कुमार
अक्षय कुमार
रिलीज के
समय फिलमों का प्रचार एक बड़ा काम हो गया है। ज्यादा से ज्यादा दर्शक तैयार करना
मकसद है। सोशल मीडिया के विस्फोट के बाद सभी कलाकार उसके भिन्न माध्यमों के साथ
संगत बिठा रहे हैं। इस इंटरव्यू के ठीक पहले अक्ष्य कुमार ने एक ऐप् के लिए
लाइव चैअ किया। जिस तेजी से सवाल आ रहे थे,उस तेजी से एक कलाकार के लिए जवाब दे
पाना मुश्किल था। फिर भी अक्षय कुमार उत्फुल्लित थे। उन्होंने आज कुछ नया सीखा
था। बातचीत आरंभ इसी तथ्य से हुई कि नई चीजे सामने आ रही है और कलाकारों के लिए
चुनौती है कि वे उसके लिए अंगूठों के बल तैयार रहें। वे उन वर ध्यान दें। 15 मिनट
में दुनिया भर के प्रशंसकों से लाइव कनेक्शन बना और उन्हें अपने सवालों के जवाब
भी मिल गए।
अक्षय कुमार तकनीक के साथ जुड़ना और
अपडेट रहना जरूरी मानते हैं,लेकिन साथ ही हिदायत देते हैं कि वर्चुअल दुनिया के
साथ-साथ अपनी फिजिकल दुनिया से भी जुड़े रहना जरूरी है। वे कहते हैं,’ बच्चे आज कल मोबाइल या लैपटॉप पर फुटबॉल और क्रिकेट के ऐप
खोल कर खेलते रहते हें। इस से वे शार्प होते हैं,लेकिन अपनी दुनिया से वे कटते जा
रह हैं। मैं देखता हूं कि समुद्र के किनारे बच्चे कम आ रहे हें। वे खुले में नहीं
खेल रहे हैं। मुझे लगता है कि रियल खेलों से टच खत्म नहीं हो। जीवन के लिए खेल
में शरीर का थकना जरूरी है।‘
अभी
प्रचार के तौर-तरीके बदल गए हैं। अक्षय में भी बदलाव आया है,लेकिन वे स्वीकार
करते हें,’पहले ज्यादा मजा आता था। तफसील से
बातें होती थीं। अभी 20 दिनों तक हम बोलते रहते हैं। पता ही नहीं चलता कि क्या हो
रहा है ? खर्च बढ़ रहा है सो अलग। अभी करें तो
भी क्या ? सभी की जरूरतें पूरी करनी होती हैं।
सोशल मीडिया का इंपैक्ट बढ़ गया है। सच कहूं तो पहले की बातचीत में माहौल भी आता
था। अभी तो दोटूक सवाल होते हैं और उनके दोटूक जवाब होते हें। पहले एक पर्सनल टच
रहता था। अब तो ऐसे प्रडयूसर भी नहीं रहे। हमें निर्माता के तौर पर कारपोरेट हाउस
के तीन अधिकारी मिलते हें। फिल्म बनाने का मजा भी कम हुआ है। अब स्टूडियो से
बातें होती हैं। हाल ही में मैंने साजिद नाडियाडवाला से कहा कि तुम बने रहना। तुम्हारे
जैसे इंडेपेंडेंट प्रडयूसर नहीं हैं।‘
अक्षय कुमार
की ‘सिंह इज ब्लिंग’ आ रही है। वे इसकी कहानी बताते हैं,’ इस फिल्म की हीरोइन को हिंदी नहीं आती और हीरो को अंग्रेजी
नहीं आती। दोनों आपस में बात नहीं कर सकते हैं। फिर एक ट्रांसलेटर आती है। वह अर्थ
का अनर्थ कर देती है। उसकी वजह से हमारी जिंदगी तबाह हो जाती है। इस फिल्म में
ब्लिंग का मतलब है चमकना। दुनिया की आंखों में और अपने मां-बाप की आंखों में चमको1
कुछ चमकदार कर के दिखाओ। ब्लिंग इन योर लाइफ। फिल्म में मेरा नाम रफ्तार सिंह है।
मैं लोगों की तकलीफें बांटता और कम करता हूं। उसकी वजह से मेरी डांट-डपट होती रहती
है। मेरी एक और समस्या है कि मैं एक चीज पर फोकस नहीं रहता हूं। हां,यह सही है कि
मैं हमेशा खुश रहता हूं और सभी को खुश रखने की कोशिश करता हूं। यह छुट्टियों वाली
मौज-मस्ती की फिल्म है।‘
‘सिंह इज ब्लिंग’ जैसी फिल्म और रफ्तार सिंह
जैसा किरदार अक्षय कुमार के लिए थोड़े आसान होते हैं। ऐसे किरदारों में वे खूब
जंचते हैं। अक्षय कुमार भी माते हैं,’ यह मेरा कंफर्ट जोन है।
इसमें मैं आसानी से काम कर लेता हूं। यहां
अधिक सोचना नहीं पड़ता। मैं एक्शन भी आसानी से कर लेता हूं। मेरे लिए कामेडी और
एक्शन एफर्टलेस है।‘ अक्षय कुमार अमिताभ बच्चन और
गोविंदा जैसे चंद कलाकारों में हैं जो पूरे प्रभाव के साथ कॉमिक किरदारों को पर्दे
पर कैरी कर लेते हैं। अक्षय सहमति के साथ जोड़ते हें,’वे दोनों हमारे जोरदार कलाकार हैं। उन्के साथ मुझे नहीं रख
सकते। मैं कोशिश करता और दर्शकों को मेरी कोशिश पसंद आ जाती है। अभी एक गैप के बाद
ऐसी फिल्म कर रहा हूं।‘
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