दरअसल : बाजीराव मस्तानी का आईना महल
-अजय ब्रह्मात्मज
संजय लीला
भंसाली अपनी पीढ़ी के अकेले फिल्मकार है,जो संवेदना और सौंदर्य के साथ फिल्में
बनाते हैं। उनकी फिल्मों में भव्यता के साथ सौंदर्य भी रहता है। यह सौंदर्य
सेट,लोकेशन,कलाकार,किरदार,गीत-संगीत सभी में अलग-अलग स्तर और रूपों में दिखता है।
उनकी फिल्में हिंदी फिल्मों की परंपरा का निर्वहन करती हैं। साथ ही वे दृश्यों
और चरित्रों के निरूपण में अपनी खास सौंदर्य दृष्टि का उपयोग करते हैं। संजय की
फिल्मों में नायिकाओं का सौंदर्य निखर जाता है। उनके साथ काम कर चुकी सभी
अभिनेत्रियों ने यह स्वीकार किया है कि संजय के फिल्मों में वे सर्वाधिक सम्मोहक
दिखती हैं। मनीषा कोईराला से लेकर दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा तक इसे
दोहराती हैं। संजय लीला भंसाली की ‘बाजीराव मस्तानी’ में दोनों अभिनेत्रियां बाजीराव बने रणवीर सिंह के साथ
दिखेंगी। दीपिका मस्तानी और प्रियंका काशी बाई की भूमिका निभा रही हैं।
संजय लीला
भंसाली सेट पर हों या लोकेशन पर...दोनों ही स्थितियों में वे परिवेश की सुदरता को
उसकी गहराई के साथ अपनी फिल्मों में ले आते हैं। उनकी हर फिल्म में इस गहराई से
किरदारों और दृश्यों को भिन्न आयाम मिलते हैं। उनकी फिल्मों में प्रयुक्त सारी
सामग्रियां विशाल और भव्य होती हैं। उन्होंने अपनी बातचीत में इसे जाहिर किया है
कि बचपन और किशोरावस्था में
छोटी जगह में सिकुड़ कर रहने से मिली ग्रंथि से वे
मुक्त होना चाहते हैं,इसलिए उनकी फिल्मों में कुछ भी छोटा और संकीर्ण नहीं होता।
उनकी कोशिश रहती है कि दर्शकों को नयनाभिरामी दृश्य मिलें। उनके किरदार खुलें और
विस्तार पाएं। वे अपनी फिल्मों में बारीकी पर ध्यान देते हैं। चादर की सलवटों
से लेकर अभिनेत्रियों की लटों तक पर उनका ध्यान रहता है। हिंदी फिल्मों के
समकालीन निर्देशकों में अकेले रूपवादी फिल्मकार हैं। रूप और शिल्प पर अधिक फोकस
करने की वजह से उनकी फिल्मों के कथ्य में काल्पनिकता अधिक रहती है। उनकी फिल्में
मूल स्वरूप में पलायनवादी होती हैं।
‘बाजीराव मस्तानी’ में उन्होंने आईना महल का
सेट लगाया था। 12500 वर्गफीट के इस सेट में दीवारों,खंभों और छत में शीशे से नक्काशी
की गई है। जयपुर के कारीगरों ने फिल्म के प्रोडक्शन डिजायनर सलोनी धत्रक,श्रीराम
आयंगार और सुजीत सावंत की देखरेख में इसे तैयार किया है। के आसिफ की फिल्म ‘मुगलेआजम’ के शीशमहल की तर्ज पर तैयार
इस आईना महल में भी फिल्म का एक अहम गाना शूट किया गया है। फिल्म के टर्निंग
पाइंट पर यह गाना आएगा। इस गाने में मस्तानी खुद अपना परिचय देगी। रेमो फर्नांडिस
के निर्देशन में इस गाने की कोरियोग्राफी हुई है। रेमो आधुनिक नृत्य शैली के लिए
मशहूर है। उन्हें संजय ने क्लासिक नूत्य संयोजन की चुनौती दी है। संजय मानते
हैं कि कलाकारों की योग्यता वर भरोसा कर उन्हें चुनौती दो तो उनके सामथ्र्य में
इजाफा होता है। वे रेमो के काम से बहुत खुश हैं।
संजय लीला
भंसाली आईना महल से मुगलेआजम और के आसिफ को कलात्मक श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।
उन्हें मालूम है कि वे किसी भी तरह शीशमहल की बराबरी नहीं कर सकते। शीशमहल की
मौलिकता अक्षुण्ण रहेगी। फिर भी ऐतिहासिक पूष्ठभूमि की ‘बाजीराव मस्तानी’ में आईना महल की संभावना
देख उन्होंने दृश्य रचे। आईना कहल और उसमें फिल्मांकित गीत दीपिका के लिए भी
बड़ी चुनौती है। उन्हें भी मालूम है कि उनकी तुलना मधुबाला से की जागी।
संजय लीला
भंसाली के आईना कहल में शूटिंग की वैसी मुश्किले नहीं हैं,जैसी शीशमहल के गीत में
हुई थी। तब मालूम नहीं था कि शीशे से परावर्तित हो रही लाइट को कैसे रोका जाए।
कैमरामैन आरडी माथुर ने रिफ्लेक्टेड लाइट की तकनीक से इसे संभव किया था। आईना महल
के इस गीत में संजय लीला भंसाली ने 12 नर्त्तकों और 16 नर्त्तकियों को दीपिका
पादुकोण के साथ समूह त्य में रखा है। यह गीत और आईना महल ‘बाजीराव मस्तानी’ का हाईलाइट होगा।
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