किरण को मेरा असली रूप याद नहीं-आमिर खान
-अजय ब्रह्मात्मज
आमिर खान
अपनी नई फिल्म ‘दंगल’ की
शूटिंग के लिए लुधियाना पहुंच चुके हैं। 22 सितंबर से नीतेश तिवारी की इस फिल्म
की शूटिंग आरंभ हो जाएगी। आईनेक्स्ट के लिए आमिर खान ने व्यस्त रुटीन से समय
निकाला और लुधियाना से फोन पर उन्होंने अजय ब्रह्मात्मज से खास बातचीत की :-
- अभी कितना वजन है आप का ?
0 आज मेरा वजन 95 किलोग्राम है।
-आप का वजन राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है ?
0 (लंबी हंसी) हा...हा... अपनी फिल्मों के लिए मेरी
यही कोशिश रहती है कि फिजिकली किरदार में दिखूं। मैं अपने शरीर के साथ ऐसा प्रयोग
करता हूं। लोगों को यह खिलवाड़ लगता है। एक्टर का शरीर उसका टूल होता है। अपने
काम के लिए उस टूल का सही इस्तेमाल होना चाहिए।
- इसकी जरूरत क्यों महसूस हुई और क्या करना पड़ा ?
0 फिल्म में मेरी उम्र 55 बताई जा रही है। मैं एक्स
रेसलर हूं। मेरा वजन बढ़ चुका है। फिल्म देखने पर आप समझेंगे कि वजन बढ़ाना क्यों
जरूरी था। फिल्म के शुरुआत में मैं फिट और यंग हूं। सुशील कुमार की तरह। हमलोग उस
हिस्से की शूटिंग अंत में करेंगे। पांच महीनों में मुझे अपना वजन कम करना होगा। उसे
95 से 60 किलोग्राम पर लाना होगा। शरीर को झटका तो लगता है। मेरी सांसें बदल गई
है। अभी छलांगते हुए सीढि़यां नहीं चढ़ पाता।
- आप के बच्चे खास कर आजाद की क्या प्रतिक्रिया रही ? वे तो अभी नहीं जानते कि आप एक्टर हैं और यह जरूरी है आप के
लिए ?
- बच्चों से अधिक किरण की प्रतिक्रिया बताऊं। वह बता
रही थीं कि मैं आप का ओरिजिनल रूप भूल चुकी हूं। हर साल नई फिल्म के साथ आप का
दूसरा रूप होता है। ‘लगान’ के
समश् आप का अलग रूप था। ‘मंगल पांडे’ के समय आप की मूंछें थीं और लंबे बाल थे। दर्शकों की
प्रतिक्रिया तो फिल्म की रिलीज के बाद मालूम होगी। आजाद तो बहुत छोटे हैं। वे
मेरे पेट पर बैठ कर वे खूब कूदते हैं। मेरा पेट
उनका अखाड़ा हो गया है। एक दिन वे मेरे साथ रेस्लिंग के लिए आए। अलग दिन से
वे रेस्लिंग करने लगे। स्कूल से आकर एक
कमरे में रखे गद्दे पर उनकी रेस्लिंग चलती है।
-अपने किरदार महावीर फोगाट के बारे में बताएं ?
0 मेरे लिए महावीर फोगाट हीरोइक कैरेक्टर हैं। इस
फिल्म की कहानी वे अपनी जिंदगी में जी चुके हैं। यह उनकी ही कहानी है। एक ऐसे
समाज में वे रहे,जो पैट्रियाकल सोसयटी है। छोटे से गांव में रह कर भी बेटियों को
रेस्लर बनाने का बड़ा कदम उबना बहुत उल्लेखनीय प्रयास है। उन्होंने अपनी
बेटियों को सपोर्ट दिया। उन्हें इंडपेंडेंट होने दिया। उन्हें हर हिसाब से
ताकतवर और काबिल बनाया। हम सब उनसे सीख सकते हैं। हमें सीखना भी चाहिए। मेरे लिए
वे प्रेरक चरित्र हैं।
-फिल्म कहां फोकस करती है ?
0 फिल्म देखते समय दर्शक इसे अलग-अलग तरीके से
समझेंगे। अगर फिल्म के दिल के बारे में बताऊं तो
वह वीमेन एंपावरमेंट है। एक बाप ने अपनी बेटियों को ऐसी ट्रेनिंग दी कि वे
उसका सपना पूरा कर सकें। यह बहुत ही मूविंग और इमोशनल स्टोरी है। नीतेश तिवारी ने
इसकी मजेदार स्क्रिप्ट लिखी है। इसका टॉप लेयर ह्यूमर है। उनकी स्क्रिप्ट में
राजकुमार हिरानी की खूबियां मिलेंगी। अहम और जरूरी बातें भी ह्यूमर के जरिए की गई
हें। एंटरटेनिंग तरीके से हम अपनी बात रखेंगे।
- मध्यवर्गीय परिवारों में लड़कियों को पढ़ने या अपनी
पसंद के करिअर चुनने देना भी एक संघर्ष और साहस का काम होता है ?
0 बिल्कुल... मैं समझ सकता हूं। शुरू में मैं इन पर
ध्यान नहीं देता था। मेरी अपनी जिंदगी सुरक्षित और सुविधाओं में रही। हमारे
परिवारों की लड़कियों का ऐसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। फिर भी मेरी अम्मी
बनारस की हैं। अब्बा जान का रिश्ता लखनऊ और भोपाल से रहा। देश से मेरा एक कनेक्शन
तो रहात्र उसे ‘सत्यमेव जयते’ के अनुभव ने और बढ़ा दिया। मुझे देश की ‘ऑन ग्राउंड रियलिटी’ की सही जानकारी मिली। मुझे
कड़वे और प्रेरक अनुभव मिले। लोगों की हिम्मत ने मुझे दंग किया। वे विपरीत
स्थितियों से जूझते और विजयी होते हैं। मुझे लगता है कि मैं काफी बदल गया हूं।
-आप में यह बदलाव कैसे आया ?
0 मुझ पर सबसे बड़ा असर मेरी अम्मी का है। अम्मी
सेंसिटिव इंसान हैं। दूसरों के बारे में ज्यादा सोचती हैं। बचपन में अैनिस खेलता
था। जीत कर आता था तो मां पीठ थपथपाती थीं,लेकिन फिर किसी बहाने से बताती थीं कि
जो लड़का हारा है,वह भी अभी घर पहुंचा होगा। उसकी अममी ने भी पूछा होगा कि जरते या
हारे ? उसने बोला होगा कि हारा तो उसकी अम्मी
को बुरा लग रहा होगा। तब मेरी उम्र 11 साल थी। अममी के नेचर का असर है। दूसरा सत्यजित
भटकल का बहुत प्रीााव रहा है। वे मेरे बचपन के मित्र और ‘सत्यमेव जयते’ के डायरेक्टर हैं। वे
आरंभ् से ही सोशल मुद्दों के साथ जुड़ रहे हें। वे मेरे करीबी दोस्त हैं।
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