दरअसल : ट्रेलर लांच के दुखद पहलू



-अजय ब्रह्मात्‍मज
    पहले केवल फिल्‍म आरंभ होने के पहले ट्रेलर दिखाए जाते थे। चल रही फिल्‍म के साथ आगामी फिल्‍म के इन ट्रेलर का बड़ा आकर्षण होता था। दर्शकों को फिल्‍मों की झलक मिल जाती थी। मुझे लगता है कि पहले दर्शक फिल्‍मों को लेकर जजमेंटल नहीं होते थे। वे सभी फिल्‍में देखते थे। प्रति फिल्‍म दर्शकों का प्रतिशत अधिक रहता होगा। इसके समर्थन में मेरे पास कोई सबूत नहीं है। अपने दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के बचपन की बातों से इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा हूं। तब फिल्‍में अच्‍छी या बुरी होने के बजाय अच्‍छी और ज्‍यादा अच्‍छी होती थीं। तात्‍पर्य यह कि दर्शक सीधे फिल्‍में देखते थे। वे उसके प्रचार या मार्केटिंग से प्रभावित नहीं होते थे। तब ऐसा आक्रामक प्रचार भी तो नहीं होता था।
    ट्रेलर के बारे में कहा जाता है कि यह पहले फिल्‍में खत्‍म होने के बाद दिखाया जाता था। पीछे दिखए जाने की वजह से इसे ट्रेलर कहा जाता था। प्रदर्शकों और निर्माताओं ने पाया कि दर्शक ट्रेलर देखने के लिए नहीं रुकते। वे फिल्‍में खत्‍म होते ही सीटें छोड़ कर दरवाजे की तरफ निकल जाते हैं। लिहाजा इसे फिल्‍में आरंभ होने के पहले दिखाया जाने लगा। कुछ दशकों पहले तक फिल्‍म शुरू होने के पहले तो फिल्‍म डिवीजन की शॉर्ट फिल्‍में भी दिखाई जाती थीं। बहरहाल,अब ट्रेलर फिल्‍में आरंभ होने के पहले दिखाई जाती हैं। इंटरनेशनल मानकों के अनुसार इसकी अवधि ढाई मिनट ही होनी चाहिए। हालीवुड में संबंधित एसोशिएसन निर्माता और स्‍टूडियों को साल में एक ल्रबी अवधि का ट्रेलर दिखाने की छूट देता था। भारत में उसी का अनुकरण करते हुए ज्‍यादातर ढाई मिनट के ट्रेलर ही जारी किए जाते हैं।
    अब मैं असली बात बताऊं। इन दिनों ट्रेलर लांच फिल्‍म प्रमोशन के लिहाज से बड़ा इवेंट हो गया है। यह किसी मल्‍टीप्‍लेक्‍स में आयोजित होता है। माना जाता है कि ट्रेलर लांच से मचा शोर ही फिल्‍म के लिए दर्शक जुटाता है। यहीं से हवा चलती है। बाज दफा यह हवा मल्‍टीप्‍लेक्‍स से निकलते ही थम जाती है। आजकल ट्रेलर लांच के अगले दिन से विज्ञप्तियां आने लगती हैं कि 24 घंटे में कितने लोगों ने इसे यूट्यूब पर देख लिया। अगर एक दिन में 10 लाख व्‍यूइंग हो जाए तो मान लिया जाता है कि ट्रेलर हिट है। फिल्‍म भी हिट हो सकती है।
ट्रेलर लांच के इवेंट में पहले मीडिया के लोग बुलाए जाते थे। व्‍यवस्थित तरीके से सबसे पहले आमिर खान ने 2008 में गजनी की रिलीज के पहले चुनिंदा फिल्‍म पत्रकारों को बुला कर ट्रेलर दिखाया था और उनकी राय ली थी। यह रिवाज धीरेधीरे बेतरतीब और अनावश्‍यक रूप से बड़ा हो गया है। इस मौके पर प्रोडक्‍शन कंपनी के लोग,फिल्‍म यूनिट के सदस्‍य और स्‍टार,पीआर कंपनी के सदस्‍य,फैंस,कंटेस्‍ट विनर आदि को बुला लिया जाता है। ऑन लाइन के प्रचलन में आने के बाद ऑलजाइन जर्नलिस्‍ट की भीड़ भी रहती है। प्रकाशन समूहों से भी एक से ज्‍यादा पत्रकार आते हैं। इस हड़बोंग के बीच जब ट्रेलर दिखाया जाता है तो केवल सीटियां सुनाई पड़ती हैं। तालियां बजती हैं। शोर रहता है।
आखिर में स्‍टार,डायरेक्‍टर,प्रड्यूसर और कभी-कभी कुड और खास लोग भी मंच पर आते हैं। बताया तो यह जाता है कि सवाल-जवाब होगा,लेकिन मंचासीन सेलिब्रिटी पूदे गए सवालों का मखौल उड़ाते हैं। हर सवाल को जवाब टालने या मजाक उड़ाने के अंदाज में दिया जाता है। चूंकि सब कुछ ऐसे नियंत्रित और नियोजित माहौल में होता है कि पत्रकार मसखरे हो जाते हैं। पीआर के सदस्‍यों का पूरा दबाव रहता है कि फिल्‍मों या उस ट्रेलर से इतर कोई और बात नहीं पूछी जाए। इस खेल में कई बार पत्रकार भी असंगत सवाल पूछते हैं। ट्रेलर तीन मिनट से छोटा ही होता है,लेकिन ये इवेंट कम से कम एक घंटे देर से आरंभ होते हैं और कार्यक्रम आधे घंटे तक चलता है। कई बार तो दो-तीन घंटे का समय बर्बाद होता है। इसमें मैं मल्‍टीप्‍लेक्‍स पहुचने और वहां से घर या दफ्तर लौटने का समय नहीं काउंट कर रहा हूं।
    ढाई मिनट के ट्रेलर के लांच में ढाई घंटे की बर्बादी सचमुच दुखद है। निर्माताओं को कोई नया तरीका खोजना चाहिए। यों भी लांच के चंद मिनटों के अंदर यूट्यूब पर ट्रेलर आ ही जाता है। 

Comments

Namaskar Ajay ji,
Jis khubsurati se trailor launch event ki sachchai se aapne parda uthaya hai vah kaafi sarahniy hai. Asha karti hun aapke is lekh ko padhkar aam janta filmi duniya ke is aadambar se bhi bhali bhanti parichit ho aur unki fiki chamak ka jaayza le. Chalte chalte yah bhi kahna chahungi ki sambhav ho to is tarah ke hindi film industri ki sachchaiyon ka pardafash karti baaten adhik likhi jaayen jisase bhavi yuva pidhi unhen apna aadarsh naa mante huye abhinay ki taraf kadam badhane ki bajaay desh ki tarakki me yogdan de, arthat shiksha ko mahatv dete huye shiksha se jude profession ko mahatv de.
Dhanyvaad

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