दरअसल : मोहल्‍ला अस्‍सी पर मचा विवाद

-अजय ब्रह्मात्‍मज
                                                                                         पिछले कुछ समय से मोहल्‍ला अस्‍सी के अनधिकृत फुटेज को लेकर विवाद चल रहा है। किसी शरारती ने कुछ दिनों पहले फिल्‍म के कुछ दृश्‍यों को जोड़ कर यूट्यूब पर रिलीज कर दिया। उसे देख कर अनेक संगठन और अन्‍य हिमायती उठ खड़े हुए। सभी की आपत्ति है कि फिल्‍म के इस फुटेज में जिस तरह से गालियों का इस्‍तेमाल हुआ है,उससे धार्मिक भावनाओं को ठेस लगती है। बयान भी आए कि मनोरंजन के नाम पर धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। मामले की त‍ह में गए बिना सभी बयान औ फैसले दे रहे हैं।
सबसे पहले बात कि यी फुटेल अनधिकृत है। यह डायरेक्‍टर की सहमति के बगैर रिलीज हुआ है। जांच एजेंसियों को पता करना चाहिए कि यह कहां से और क्‍यों अपलोड किया गया है ? अभी बगैर सांप देखे सभी लाठी पीट रहे हैं। कुछ लोगों को हल्‍ला मचाने और सुर्खियों में आने का मौका मिल गया है। कायदे से पूरे मामले की गहन जांच होनी चाहिए कि यह फुटेज किस ने अपलोड किया ? इस फुअे ज को ट्रेलर समझने की भूल कर रहे लोगों को भी देखना और समझना चाहिए कि किसभ्‍ भी ट्रेलर में निर्माता और निर्देशक का नाम अवश्‍य होता है। उनके नाम के बगैर यह फर्जी फुटेज है।
मोहल्‍ला अस्‍सी हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक काशीनाथ सिंह के उपन्‍यास के एक खंड पांडे कौन कुमति तोहे लागी पर आधारित है। मूल कृति के आधार पर डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्‍म की स्क्रिप्‍ट लिखी और उसक मोहल्‍ला र्अस्‍सी नाम दिया। इस फिल्‍म में संस्‍कृत और संस्‍कृति की चिंता है। बनारस के अस्‍सी घाट के धर्मनाथ पांडे के आत्‍मसंघर्ष की यह गाथा देश की राजनीति और अन्‍य हलचलों को भी फिल्‍म में पिरोती है। डॉ.. द्विवेदी ने बनारस के घाटों की उथल-पुथल को कुछ किरदारों के जरिए पेश किया है। धर्मनाथ पांडे और उनकी पत्‍नी के अलावा एक धूर्त्‍त गाइड,ण्‍क नाई और एक बहुरूपिया भी है। धर्मनाथ पांडे और बहुरूपिया की नोंक-झोंक चलती रहती है। धर्मनाथ पांडे बहुरूपिया को समझाते भी हैं कि वह भ्रगवान शिव के अलावा और कोई रूप धर ले। बहुरु‍पिया उनकी बात नहीं मानता। धर्मनाथ पांडे चाहते हैं कि बनारस में संस्‍कृत और संस्‍कृति बची रहे।
डॉ. द्विेदी ने बड़े संयम और समझदारी के साथ बनारस को पेश किया है। अचानक इस फंअेज के आने से खलबली सी मच गई है। फिल्‍म के उद्देश्‍य से फुटेज का कोई लेना-देना नहीं है। डॉ. द्विवेदी के मुताबिक यह फअेज फिल्‍म की गलत झलक देता है। किसी ने बदमाशी से फिल्‍म के वैसे दृश्‍यों को ही एकत्रित किया है,जिन्‍हें एक साथ देख का लोग उत्‍तेजित हो या भड़के। जिन्‍हें यह फुटेज अव्‍छा और विचारोत्‍तेजक लग रहा है,वे भी फिल्‍म कर गलत छवि बना रहे हैं। खुश और नाखुश समूहों को फिल्‍म के कंटेंअ में रुचि नहीं है। वे सिर्फ इस फुटेज के आधार पर मंतव्‍य और फतवे जारी कर रहे हैं।
यह सोच और चिंता का विषय है कि सोशल मीडिया के इस दौर में कोई भी कृतिकार कैसे अपनी कृति की रक्षा करे ? कृति की रक्षा में उसे तुरंत सरकारी और प्रशासनिक सहयोग नहीं मिले तो कृति की गलत छवि बनती है। साथ ही कृतिकार पर भी विवाद की आंच आती है। मोहल्‍ला अस्‍सी के संदर्भ में सच उतना ही नहीं है,जो दिख रहा है। सच इस विवाद से परे निर्माता और निर्देशक की अनबन में भी है। 2011 में पूरी हो चुकी यह फिल्‍म निहित स्‍वार्थों की वजह से अभी तक रिलीज नहीं हो सकी है। फिल्‍म एंग से रिलीज हो सच सामने आएगा। साथ ही हम सनी देओल को एक ऐसी भूमिका में देख पाएंगे,जो उनकी पॉपुलर इमेज से बिल्‍कुल अलग है। 

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